डीएनए हिंदी: लीथियम को दुनियाभर में खोजा जा रहा है. यह इतना जरूरी है कि इसे 21वीं सदी का पेट्रोल भी कहा जा रहा है. अब भारत के जम्मू-कश्मीर में 59 लाख टन लीथियम (Lithium Reserve) का पता लगा है. इतने बड़े खजाने के साथ भारत दुनिया में सबसे ज्यादा लीथियम का उत्पादन करने वाले देशों में तीसरे नंबर पर पहुंच जाएगा. लीथियम का सबसे बड़ा इस्तेमाल इल्केट्रिक गाड़ियों के लिए बैटरियां बनाने में होता है. जिस रफ्तार से दुनियाभर में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मांग, उत्पादन और बिक्री बढ़ रही है उसके हिसाब से कहा जा रहा है कि यह लीथियम भारत को काफी अमीर और शक्तिशाली देश बना सकता है. आइए विस्तार से समझते हैं कि यह लीथियम कितना अहम साबित होने वाला है.
केंद्र सरकार ने बताया है कि पहली बार देश में लीथियम के भंडार मिले हैं. अनुमान है कि लगभग 59 लाख टन लीथियम जम्मू-कश्मीर में मौजूद है. खनन मंत्रालय ने बताया है कि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने जम्मू-कश्मीर के रिसासी जिले में सलाल-हैमाना इलाके में लीथियम की खोज की है. अब चर्चा है कि इतना बड़ा लीथियम भंडार किस तरह से भारत के विकास और इकोनॉमी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.
क्या है लीथियम?
लीथियम एक गैर-लौह अयस्क है. यह चांदी की तरह दिखने वाला एक पत्थर होता है जो काफी मुलायम होता है. इसकी सघनता बहुत ही कम होती है. हालांकि, यह काफी प्रतिक्रिया करता है यानी बाकी के रासायनिक तत्वों से मिलने के बाद इसकी क्रिया शुरू हो जाती है. इसीलिए इसे काफी सुरक्षित तरीके से रखा जाता है. इसे सुरक्षित रखने के लिए मिट्टी के तेल या मिनरल वॉटर का भी इस्तेमाल किया जाता है.
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कहां काम आता है लीथियम?
लीथियम का सबसे बड़ा इस्तेमाल बैटरियां बनाने में होता है. लीथियम की वजह से कई देशों में प्रतिस्पर्धा चल रही है. भारत में भी इलेक्ट्रिक गाड़ियों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है. हालांकि, बैटरियों के महंगे होने की वजह से ही इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कीमत ज्यादा है. ऐसे में अगर भारत खुद लीथियम का उत्पादन कर पाएगा तो गाड़ियां काफी सस्ती हो जाएंगी.
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मौजूदा समय में भारत को जितने लीथियम की जरूरत होती है उसका 96 प्रतिशत हिस्सा दूसरे देशों से मंगाया जाता है. इसके लिए भारत की विदेशी मुद्रा खूब खर्च होती है. साल 2020-21 में ही लीथियम बैटरियों के लिए भारत ने 8,984 करोड़ रुपये खर्च कर दिए. 2021-11 में 13,838 करोड़ रुपये की बैटरियां मंगाई गईं. कहा जा रहा है कि जिस चीन से भारत अपना 80 फीसदी लीथियम मंगाता है उससे 4 गुना ज्यादा भंडार अब खुद उसके पास ही मिल गया है.
कहां आएगी मुश्किल, क्यों आसान नहीं है राह?
हालांकि, इसमें एक समस्या भी है. दरअसल, लीथियम जमीन के नीचे मिला है. जमीन से इसे निकालना और इसकी रिफाइनिंग करना काफी मुश्किल काम है. भारत में अभी तक इसकी टेक्नोलॉजी उतनी विकसित नहीं है. इसको ऐसे समझिए कि ऑस्ट्रेलिया के पास 63 लाख टन लीथियम का भंडार मौजूद है लेकिन वह सिर्फ 6 लाख टन का ही उत्पादन कर पाता है.
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फिलहाल, इलेक्ट्रॉनिक गाड़ी की बैटरियों और लीथियम के उत्पादन में चीन सबसे आगे है. अगर भारत अपने इस भंडार से खनन और उत्पादन कर पाता है तो वह इस क्षेत्र में काफी आगे निकल सकता है. यह कदम न सिर्फ भारत में इलेक्ट्रॉनिक कार और बैटरियों के बाजार को बड़ा बूस्ट देगा बल्कि भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था भी बनेगा और प्रदूषण कम करने में भी उसे बड़ी मदद मिल जाएगी.
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