डीएनए हिंदी: भारत और मालदीव के बीच लंबे समय से रिश्ते बेहतर रहे हैं. उसने जब भी मदद मांगी भारत ने बढ़ चढ़कर उसकी मदद की है. लेकिन हाल ही में उसकी सरकार के कुछ नेताओं के बयान से दोनों देशों के बीच कडवाहट पैदा हो गई है. मालदीव के नेताओं ने पीएम मोदी के लक्षद्वीप दौरे की तस्वीरों पर आपत्तिजनक टिप्पणियां की. जिसको लेकर मालदीव के खिलाफ जबरदस्त विरोध हो रहा है. इसके लिए मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.
दरअसल, मोहम्मद मुइज्जू ने चुनाव प्रचार के दौरान मोहम्मद मुइज्जू ने 'इंडिया आउट' का नारा दिया था. नवंबर 2023 में राष्ट्रपति बनने के बाद से भारत और मालदीव के संबंधों पर सवाल उठने शुरु हो गए थे. लेकिन हाल ही में उसकी मंत्री द्वारा की गई टिप्पणी ने इसे और तूल दे दिया. हालांकि, मालदीव को अपनी गलती का एहसास हो गया है. उसने इन टिप्पणियों से किनारा करते हुए अपनी मंत्री और नेताओं को निलंबित कर दिया है. लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव अब भी कम नहीं हो रहा है. सोशल मीडिया पर मालदीव को उन 4 घटनाओं की याद दिलाई जा रही है कि जब भारत ने उसकी मदद की थी.
1- ऑपरेशन कैक्टस
मालदीव में साल 1988 में विद्रोह हुआ था, जिसे भारतीय सेना की मदद से नाकाम हो गया था. जिसका एहसान पड़ोसी देश को कभी नहीं भूलना चाहिए. दरअसल, 3 नवंबर, 1988 को मालदवी के तत्कालीन राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम भारत की यात्रा पर आने वाले थे. लेकिन तभी मालदीव में कारोबारी अब्दुल्ला लुथूकी और उनके साथी सिक्का अहम इस्माइल ने विद्रोह छेड़ दिया. लुथूकी ने श्रीलंका के चरमपंथी संगठन 'प्लोट' की मदद से राजधानी माले पर कब्जा कर लिया. सड़कों पर उसके लड़ाकू बरसाने लगे.
उस दौरान राष्ट्रपति गयूम ने भारत से उसकी सरकार बचाने की मदद मांगी. भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मालदीव के लिए 6 पैरा के 150 कमांडो से भरे विमान रवाना कर दिए. भारतीय सेना ने कुछ घंटे में मालदीव की सरकार गिराने वाले विद्रोह को नाकाम कर दिया.
2- ऑपरेशन सी वेव्स
साल 2004 में समुंद्र में भारी भूकंप आया था. जिसकी रिक्टर स्केल पर जिसकी तीव्रता 9.3 मापी गई थी. इस भूकंप की वजह से मालदीव के तटों पर भारी तबाही आई थी. इस भूकंप की वजह से मालदीव में भी काफी मौंतें हुई थी. इस मुश्किल समय में मालदीव ने भारत से ही मदद के लिए हाथ बढ़ाया. भारत ने भी तुरंत एक्शन लेते हुए 'ऑपरेशन सी वेव्स' चलाया. भारत का तटरक्षक डोर्नियर विमान और वायु सेना के दो एवरोस विमान राहत सामग्री लेकर 24 घंटे के अंदर ही मालदीव पहुंच गए. इस दौरान भारत ने 10 करोड़ रुपये की मदद की.
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3- 'ऑपरेशन नीर' के तहत बुझाई मालदीव की प्यास
भारत का मालदीव का मदद का सिलसिला यहीं नहीं थमा. 2014 में जब मालदीव की राजधानी माले में पानी का संकट आया था तो भारत ने ही उसकी प्यास बुझाई थी. दरअसल, 4 दिसंबर 2014 को माले में RO प्लांट खराब हो गया था. जिसकी वजह से पूरा शहर बूंद-बूंद पानी के लिए तरस गया था. उस दौरान माल के हर रोज पीने के लिए 100 टन पानी की जरूरत थी. प्लांट खराब होने की वजह से मालदीव सरकार पर भारी संकट आ गया था. तब मालदीव के विदेश मंत्री दुन्या मौमून ने तत्कालीन भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को फोन किया और मदद मांगी. भारत ने भी ऑपरेशन नीर के तहत वायुसेना ने तीन सी-17 और तीन आई एल-76 विमानों के जरिए पैक किया हुआ पानी दिल्ली से माले भेजा और पानी किल्लत को दूर किया.
4- कोविड-19 में की मदद
2020 में पूरी दुनिया जब कोरोना वायरस के चपेट में थी, तब मालदीव के लिए भारत ने मदद के लिए हाथ बढ़ाया था और अपनी एक बड़ी मेडिकल टीम भेजी थी. 16 जनवरी, 2021 को पीएम मोदी ने देश में टीकाकरण अभियान की शुरुआत की. इस अभियान के 96 घंटे बाद मालदीव के लिए भारत सरकार ने वैक्सीन पहुंचाने का काम किया. भारत ने मालदीव के लिए 1 लाख कोविड वैक्सीन की खुराक मुफ्त भेजी. इससे वहां की करीब 50 फीसदी आभादी को वैक्सीन की डोज मिली.
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