चार्टर्ड प्लेन में अफ्रीका से भारत आएंगे 12 चीते, शुरू हो गई हैं स्वागत की तैयारियां, जानें पूरी कहानी

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jul 26, 2022, 12:28 PM IST

african cheetah india Mou

70 साल पहले जो चीते भारत में लुप्त घोषित कर दिए गए थे अब वह फिर लौट रहे हैं. क्या है इसकी कहानी और कैसे हो गई थी चीतों की यह प्रजाति लुप्त जानें पूरी डिटेल

डीएनए हिंदी: भारत और नामीबिया ने हाल ही में एक समझौता किया है. इसके तहत अफ्रीकी चीतों को भारत लाया जाएगा. हाल ही में नई दिल्ली में पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और नामीबिया के विदेश मंत्री नेतुंबो नंदी ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. सन् 1952 में भारत में एशियाई चीतों को लुप्त घोषित कर दिया गया था. यह विलुप्त होती प्रजाति अब सिर्फ ईरान में है. अब भारत में इस प्रजाति के स्वागत की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं. जानते हैं क्या है ये पूरी कहानी-

क्या है भारत और नामीबिया के बीच समझौता
भारत और नामीबिया के बीच हुए समझौते के तहत दोनों देशों के बीच वन्य जीव संरक्षण, चीता संरक्षण, जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों से जुड़े अनुभव साझा किए जाएंगे. इसी समझौते के तहत नामीबिया से 12 अफ्रीकी चीते भारत लाए जाएंगे. ये दो बैच में होगा. पहले बैच में 4 नर और 4 मादा यानी 8 चीते भारत आएंगे. इसके बाद बाकी 4 चीते भारत लाए जाएंगे. इन चीतों को मध्यप्रदेश के कूनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में रखा जाएगा. 

यह भी पढ़ें- रेगिस्तान में भी नहीं होगी पानी की कमी! नई तकनीक हवा में मौजूद पानी से बुझाएगी प्यास

चार्टर्ड प्लेन से भारत आएंगे चीते
रिपोर्ट्स के मुताबिक इन चीतों को चार्टर्ड प्लेन से भारत लाया जाएगा. ग्वालियर पहुंचने के बाद सड़क के रास्ते ये चीते कूनो पालपुर पार्क पहुंचेंगे.इनके 15 अगस्त से पहले भारत आ जाने की उम्मीद है.

क्या है इन चीतों के भारत आने का महत्व
जानकार बताते हैं कि चीता जंगल का एक प्रमुख जीव है. इसकी मौजूदगी से वन संरक्षण में मदद मिलती है. चीते ना रहने से जंगलों के धीरे-धीरे खत्म होने का खतरा भी पैदा हो रहा है. इस समझौते से वन संरक्षण को एक उम्मीद मिलेगी. साथ ही इससे टूरिज्म को बढ़ावा मिलने के भी पूरे आसार हैं.

यह भी पढ़ें- World Forestry Day 2022: एक बार जरूर घूमने आएं भारत के इन 5 शानदार जंगलों में

कैसे खत्म हो गए देश में अफ्रीकी चीते
70 साल पहले भारत में अफ्रीकी चीते हुआ करते थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक इस प्रजाति के आखिरी बचे तीन चीतों का सन् 1948 में मध्य प्रदेश की एक रियासत के राजा ने शिकार कर दिया था. इसके बाद 1952 में इस प्रजाति को आधिकारिक रूप से भारत से खत्म घोषित कर दिया गया था. 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.