Jammu and Kashmir Assembly Election 2024: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों को लेकर अब कुछ ही समय बाकी है. इसको लेकर राज्य की तमाम पार्टियों की तरफ से जोरशोर की तैयारियां की जा रही हैं. राज्य में 10 साल बाद विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं. साथ ही 370 हटने और यूटी बनने के बाद ये कश्मीर का पहला चुनाव है. इस चुनाव को लेकर राज्य में सभी बड़ी पार्टियां बड़ी रणनीति बनाती दिख रही है. बीजेपी, कांग्रेस, एनसी और पीडीपी वो पार्टियां हैं राज्य में जिनकी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सरकारे रही हैं. इस चुनाव के मौसम में आइए जानते हैं कि प्रदेश में शुरू से लेकर अब तक किन पार्टियों की सरकारें रही हैं.
किन पार्टियों की रही हैं सरकारें, कौन-कौन रहे हैं सीएम
- गुलाम मोहम्मद सादिक (कांग्रेस)- 30 मार्च 1965- 21 फरवरी 1967, 21 फरवरी 1967- 12 दिसम्बर 1971, कुल 6 वर्ष 257 दिन
- सैयद मीर कासिम (कांग्रेस)- 12 दिसम्बर 1971- 17 जून 1972, 17 जून 1972- 25 फरवरी 1975, कुल 3 वर्ष 75 दिन
- शेख अब्दुल्ला (एनसी)- 25 फरवरी 1975- 26 मार्च 1977, 9 जुलाई 1977- 8 सितम्बर 1982, कुल 7 वर्ष 90 दिन
- फारूक अब्दुल्ला(एनसी)- 8 सितम्बर 1982- 24 नवंबर 1983, 24 नवंबर 1983- 2 जुलाई 1984, 7 नवंबर 1986- 23 मार्च 1987, 23 मार्च 1987- 19 जनवरी 1990, 9 अक्टूबर 1996- 18 अक्टूबर 2002, कुल 5 वर्ष 6 दिन
- गुलाम मोहम्मद शाह (एएनसी)- 2 जुलाई 1984- 6 मार्च 1986, कुल 1 वर्ष, 247 दिन
- मुफ़्ती मोहम्मद सईद (पीडीपी) - 2 नवंबर 2002- 2 नवंबर 2005, 1 मार्च 2015- 7 जनवरी 2016, कुल 3 वर्ष, 312 दिन
- गुलाम नबी आज़ाद (कांग्रेस)- 2 नवंबर 2005- 11 जुलाई 2008, कुल 2 वर्ष, 252 दिन
- उमर अब्दुल्ला (एनसी)- 5 जनवरी 2009- 8 जनवरी 2015, कुल 6 वर्ष, 3 दिन
- महबूबा मुफ़्ती (पीडीपी)- 4 अप्रैल 2016- 20 जून 2018, कुल 2 वर्ष, 77 दिन
राज्य का सियासी इतिहास
राज्य के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो प्रदेश का भारत में एकीकरण 26 अक्टूबर, 1947 में हुआ था. कश्मीर के महाराजा हरि सिंह की अगुवाई में प्रदेश का भारत में विलय किया गया था. हालांकि उनकी तरफ से फैसला लेने में थोड़ी देरी हुई, जिसकी वजह से राज्य को पाकिस्तान की ओर से कबिलाई हमले का भी सामना करना पड़ा. उसके बाद जब भारतीय सेना एक्शन में आई और उन्हें वापस खदेड़ दिया गया.
यूएन की तरफ से सीज फायर की घोषणा होने की वजह से बीच में युद्ध रोकना पड़ा, और कश्मीर के पश्चिमी हिस्से पाकिस्तान के कब्जे में ही रह गए. इस इलाकों को हम पीओके कहते हैं. कश्मीर में विधानसभा चुनावों की बात करें तो पहली बार ये चुनाव 1965 में हुआ था. उससे पहले वहां प्रधानमंत्री का पद दिया गया था, और उसके लिए अलग तरीके से चुनाव करवाए जाते थे.
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