J-K Assembly Election: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव पूरे हो चुके हैं और मतदाताओं ने राजनीतिक दलों के भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद कर दिया है. तीन चरणों में हुई इस वोटिंग के नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे. इस चुनाव की सबसे खास बात यह है कि आर्टिकल 370 हटने के बाद पहली बार यहां विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिससे सियासी माहौल काफी गर्म है. इस बीच, अब लगातार एक बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या इस बार जम्मू-कश्मीर को उसका पहला हिंदू मुख्यमंत्री मिल सकता है? आइए जानते हैं, चुनाव के आंकड़े और समीकरण क्या कहते है.
तीन चरणों जमकर हुई मतदान
इस बार जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में मतदान हुआ, जिसमें पहले चरण में 61.38 फीसदी, दूसरे चरण में 57.31 फीसदी और तीसरे चरण में 66.56 फीसदी वोटिंग हुई. कुल मिलाकर जमहूरियत का मतदान के प्रति विश्वाश यह दर्शाया है कि प्रदेश की जनता ने चुनाव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है. सभी की नजरें अब 8 अक्टूबर के नतीजों पर टिकी हैं, जो यह तय करेंगे कि जम्मू-कश्मीर की राजनीति का अगला अध्याय कैसा होगा.
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क्या बन सकता है हिंदू मुख्यमंत्री?
जम्मू-कश्मीर के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो अब तक कभी भी हिंदू मुख्यमंत्री नहीं बना है.अधिकांश समय राज्य की बागडोर कश्मीर क्षेत्र से आने वाले मुस्लिम नेताओं के हाथों में रही है. 2002, 2008 और 2014 के चुनावों में अलग अलग गठबंधनों ने सरकार बनाई, लेकिन इस बार माहौल कुछ अलग नजर आ रहा है. बीजेपी ने इस बार चुनाव प्रचार के दौरान खुलकर कहा है कि यदि पार्टी पूर्ण बहुमत से जीतती है तो मुख्यमंत्री जम्मू क्षेत्र से होगा, और यह भी संभव है कि वह एक हिंदू हो.
भाजपा की जम्मू की 43 सीटों पर नजर
बीजेपी का फोकस इस बार जम्मू रीजन की 43 विधानसभा सीटों पर रहा है. पार्टी ने इस क्षेत्र में विशेष रूप से अपनी ध्यान केंद्रित किया और अपने उम्मीदवारों को मजबूती से खड़ा कियाथा. पार्टी नेताओं का मानना है कि जम्मू की सीटों पर बेहतर प्रदर्शन करके वे राज्य में पूर्ण बहुमत हासिल कर सकते हैं. यदि ऐसा होता है, तो पहली बार जम्मू-कश्मीर में हिंदू मुख्यमंत्री बनने की संभावना बन सकती है.
कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का दांव
राजनीतिक पंडितों कि माने तो यदि कांग्रेस को जम्मू क्षेत्र में ज्यादा सीटें मिलती हैं, तो संभावनाएं बन सकती हैं कि एनसी और कांग्रेस, दोनों मिलकर बीजेपी को कमजोर करने के लिए किसी हिंदू नेता को मुख्यमंत्री बनाने का समर्थन करें. 2011 की जनगणना के अनुसार, जम्मू-कश्मीर की कुल जनसंख्या में 68.8% मुस्लिम और 28.8% हिंदू हैं. ऐसे में, यदि हिंदू विधायकों की संख्या ज्यादा होती है, तो राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं.
2002, 2008 और 2014 में क्या रहा चुनावी इतिहास
2002 के चुनाव में कांग्रेस, पीडीपी और अन्य छोटे दलों ने मिलकर सरकार बनाई थी, जिसमें महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री पद संभाला. 2008 में त्रिशंकु परिणाम सामने आए और नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई. 2014 में बीजेपी ने जम्मू में 25 सीटें हासिल की थीं और पीडीपी के साथ गठबंधन करके सरकार बनाई. हालांकि, अब स्थिति अलग है और बीजेपी खुले तौर पर दावा कर रही है कि यदि उसे पूर्ण बहुमत मिलता है तो मुख्यमंत्री जम्मू से ही होगा.
डोगरा समुदाय का मुख्यमंत्री बनने का आसार
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और जम्मू उत्तर से उम्मीदवार शाम लाल शर्मा ने चुनाव प्रचार के दौरान खुलकर कहा कि यदि महाराष्ट्र में मुस्लिम मुख्यमंत्री बन सकता है, तो जम्मू-कश्मीर को भी हिंदू डोगरा समुदाय से मुख्यमंत्री मिलना चाहिए. यह बयान सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है और यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बीजेपी इस बार अपनी रणनीति में सफल होती है.
भेदभाव का शिकार
अक्सर ये कहा जाता है कि जम्मू के लोगों के साथ हमेशा से भेदभाव होते आए हैं. ऐसे में, हिंदू मुख्यमंत्री बनने से जम्मू के हितों की रक्षा के दावे किए जा रहे हैं जिससे जम्मू की आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ने कि संभावना है. बीजेपी का कहना है कि यदि जम्मू क्षेत्र का कोई नेता मुख्यमंत्री बनता है, तो राज्य में संतुलन कायम होगा और विकास के नए रास्ते खुलेंगे.
परिसीमन आयोग ने बदले समीकरण
दरअसल, केंद्र सरकार ने 2019 में जामु कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को हटा दी थी.जिसके बाद सरकार ने परिसीमन आयोग कि गठन किया था.आपको बता दें इससे पहले, जम्मू-कश्मीर में 111 सीटें थीं, जिसमें 46 कश्मीर, 37 जम्मू और 4 लद्दाख के हिस्से में आती थीं, जबकि 24 सीटें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) के लिए रखा गया था.तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने बताया था कि परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में अब 90 विधानसभा और 5 लोकसभा सीटें होंगी. इनमें 43 सीटें जम्मू और 47 सीटें कश्मीर घाटी में होंगी.
8 अक्टूबर के नतीजों का इंतजार
8 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे और तभी यह साफ होगा कि क्या जम्मू-कश्मीर को पहला हिंदू मुख्यमंत्री मिलेगा. क्या बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएगी या फिर कांग्रेस और एनसी का गठबंधन राज्य की राजनीति को एक नई दिशा देगा? यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनावी समीकरण किस तरह से बनते हैं और क्या जम्मू-कश्मीर की राजनीति का नया अध्याय खुलता है.आने वाले दिनों में राज्य की सियासत में और भी बदलाव देखने को मिल सकते हैं, लेकिन फिलहाल सभी की नजरें 8 अक्टूबर पर टिकी हैं, जब ईवीएम में बंद प्रदेश के भविष्य का फैसला सबके सामने आएगा.
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