क्या होता है Medical Tourism, दुनिया में कैसे टॉप 10 जगहों में शामिल होता गया भारत?

के.टी. अल्फी | Updated:Aug 06, 2022, 04:10 PM IST

भारत में हार्ट सर्जरी का खर्चा लगभग 4 लाख रुपये है जबकि थाईलैंड में यह लगभग 15 लाख रुपये है. वहीं, बात अगर अमेरिका की करें तो यहां से हार्ट सर्जरी कराने के लिए आपकी जेब में करीब 80 लाख रुपये होने चाहिए.

डीएनए हिंदी: जब लोग अपने इलाज के लिए अपने देश से बाहर किसी अन्य देश की यात्रा करते हैं तो यह चिकित्सा पर्यटन या मेडिकल टूरिज्म कहलाता है. हर साल, लाखों विदेशी नागरिक इलाज के लिए मेडिकल टूरिज्म वीजा पर भारत आते हैं. आजकल सबसे सस्ते और क्वालिटी ट्रीटमेंट के लिए कई विकसित देशों के मरीज भी भारत का ही रुख कर रहे हैं. पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में इलाज का खर्चा लगभग 30 प्रतिशत कम है और दक्षिण पूर्व एशिया सबसे सस्ता माना जाता है.

क्या कहते हैं आंकड़े?
भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए रोगियों की संख्या के मामले में थाईलैंड, मैक्सिको, अमेरिका, सिंगापुर, भारत, ब्राजील, तुर्की और ताइवान पहली पसंद हैं. भारत में हार्ट सर्जरी का खर्चा लगभग 4 लाख रुपये है जबकि थाईलैंड में यह लगभग 15 लाख रुपये है. वहीं, बात अगर अमेरिका की करें तो यहां से हार्ट सर्जरी कराने के लिए आपकी जेब में करीब 80 लाख रुपये होने चाहिए. 2017 से 2020 के बीच, बांग्लादेश से सबसे अधिक मरीज इलाज के लिए भारत आए. ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इराक, अफगानिस्तान और मालदीव दूसरे स्थान पर हैं. ओमान, केन्या, म्यांमार और श्रीलंका से आने वाले मरीजों की तादाद भी काफी ज्यादा है.

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कौन सा देश है मेडिकल टूरिज्म में नंबर 1? 
साल 2020-2021 में 46 देशों में कनाडा पहले पायदान पर था. इस दौरान ग्लोबल टूरिज्म रैंकिंग में देश का इंडेक्स स्कोर 76, 47 था. ये इंडेक्स Medical Tourism Industry, Destination Environment और Quality of Facilities and Services के द्वारा दी गई रेटिंग्स में बताया गया है जिसमे करीब 14M तो केवल अमरीकी नागरिक ही होते हैं. चिकित्सा और स्वास्थ्य देखभाल की सुविधा के मामले में अपने आधुनिक तकनीक और गुणवत्ता के चलते कनाडा ने ख्याति हासिल की है और क्योंकि अमरीका जैसा विशाल देश कनाडा से सटा हुआ है, इसके चलते मेडिकल टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलता है. 

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भारत में मेडिकल टूरिज्म बढ़ने के कारण 
• भारत में बोनमैरो प्रत्यारोपण, बाइपास सर्जरी, घुटने की सर्जरी तथा लीवर प्रत्यारोपण जैसी सर्जरी पर पश्चिमी देशों के मुकाबले बेहद कम खर्च आता है. इसके साथ ही देश में लाखों कुशल डॉक्टर्स व लाखों की संख्या में प्रशिक्षित नर्स हैं.

• भारत में तकनीकी रूप से उन्नत अस्पताल, विशेषज्ञ डॉक्टर और ई-मेडिकल वीजा जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं जो इसे एशिया में सबसे तेजी से बढ़ रहे चिकित्सा पर्यटन स्थलों में से एक बनने में मदद कर रही हैं.

• भारत में चिकित्सा सेवा की लागत पश्चिमी देशों की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत कम है.

• भाषा मुख्य कारक है जो चिकित्सा और स्वास्थ्य पर्यटन के लिए बहुत अधिक संख्या में विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करती है. भारत में अच्छी अंग्रेजी बोलने वाले डाक्टरों, मार्गदर्शकों और चिकित्सा स्टाफ की बड़ी संख्या है. यह विदेशियों को भारतीय डाक्टरों के साथ बेहतर संपर्क बनाने में सुविधा प्रदान करता है.

• भारतीय डाक्टरों को सफल कार्डियक सर्जरी, अस्थि-मज्जा ट्रांसप्लांट, लीवर ट्रांसप्लांट, आर्थोपैडिक सर्जरी और अन्य चिकित्सा उपचार करने में विशेषज्ञता हासिल है.

• भारत में बांझपन के उपचार की लागत विकसित राष्ट्रों की तुलना में लगभग एक चौथाई है. आधुनिक प्रजनन तकनीकों जैसे कि इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) और असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (एआरटी) सेवाओं ने भारत को बांझपन के उपचार के लिए पहली पसंद बना दिया है.

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156 देशों के नागरिकों को ई-मेडिकल वीजा
केंद्र सरकार का फोकस है कि भारत दुनियाभर में मेडिकल और वेलनेस सेक्टर में एक ब्रांड बनकर उभरे. ऐसे में भारत को एक मेडिकल और वेलनेस टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. इसी के तहत 'मेडिकल वीजा' की भी शुरुआत की गई है. इससे देश में मेडिकल टूरिज्म को भी बढ़ावा मिल रहा है. मेडिकल टूरिज्म के तहत अब तक 156 देशों के नागरिकों को ई-मेडिकल वीजा (e-medical visa) सुविधा दी गई है.

सरकार दे रही है आर्थिक मदद 
पर्यटन मंत्रालय मार्केटिंग विकास सहायता योजना के तहत एनएबीएच (अस्पताल और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड) की ओर से मान्यता प्राप्त चिकित्सा पर्यटन सेवा प्रदाताओं को चिकित्सा, पर्यटन मेलों, चिकित्सा सम्मेलनों, कल्याण सम्मेलनों, स्वास्थ्य मेलों और संबद्ध रोड शो में हिस्सा लेने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है. अधिकतम वित्तीय सहायता  50:50 शेयरिंग के आधार पर रु. 25.00 लाख तक प्रदान किया जाएगा. यह सहायता केवल  राज्य सरकारों /Chambers of  Commerce / National Wellness & Medical Associations को दी जाएगी. कोविड-19 के प्रभाव को कम करने को लेकर सरकार ने देश में पर्यटन क्षेत्र को फिर से पटरी पर लाने के लिए विभिन्न उपायों की घोषणा की है, जिसमें मेडिकल और वेलनेस टूरिज्म शामिल हैं.

पर्यटन मंत्रालय की भूमिका
देश में मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय ने पर्यटन मंत्री की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय चिकित्सा और कल्याण पर्यटन बोर्ड का गठन किया है. इसके अलावा पर्यटन मंत्रालय अपनी जारी गतिविधियों के तहत देश के विभिन्न पर्यटन स्थलों और प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देने के लिए 'अतुल्य भारत' ब्रांड-लाइन के तहत विदेशों के महत्वपूर्ण व संभावित बाजारों में वैश्विक प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन मीडिया कैंपेन चलाता है. मेडिकल टूरिज्म को लेकर मंत्रालय के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर नियमित रूप से डिजिटल पोस्ट भी किए जाते हैं.

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