डीएनए हिंदी: बीते 19 जून को बिहार में आकाशीय बिजली गिरने के कारण अलग-अलग क्षेत्रों में 17 लोगों की मौत हो गई है. इस बारे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ट्वीट कर दुख भी जताया. मगर प्राकृतिक हादसा विरल घटना नहीं है. भारत में आकाशीय बिजली से हर साल औसतन 2800 लोगों की मौत होती है. आकाशीय बिजली गिरने के कारण होने वाली कुल मौतों की 60 प्रतिशत देश के पांच राज्यों मध्य प्रदेश, उड़ीसा, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में देखने को मिलती है. वैज्ञानिकों ने चेताया है कि साल दर साल साल बिजली गिरने की घटनाओं में बढ़ोतरी होती जाएगी.
सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा- बिजली गिरना
हर साल देश में प्राकृतिक कारणों से औसतन 8,000 से ज्यादा मौतें होती है. प्रकृति जनित कारकों से होने वाली 70 प्रतिशत मौतें बिजली गिरने, लू लगने, ठंड लगने, बाढ़ और भूस्खलन के कारण होती है. इनमें भी लगभग हर तीसरी मौत बिजली गिरने के कारण होती हैं. गौरतलब है कि सरकारी रिकॉर्ड में हिमस्खलन, ठंड की चपेट में आना, चक्रवात, बवंडर, सुनामी, भूकंप, महामारी, बाढ़, गर्मी- लू लगना, भूस्खलन, बिजली गिरना, मूसलधार बारिश और जंगल की आग जैसे 14 घटनाओं से होने वाली मौतों को प्रकृति जनित घटनाओं में शामिल किया गया है.
आकाशीय बिजली गिरने के कारण लगातार बढ़ रही है मौतें
प्रकृति जनित कारणों से होने वाली आकस्मिक हादसों में पिछले 6 सालों में कुल 48,758 मौतें हुई हैं. जिनमें से करीब 16,936 यानी 35 प्रतिशत मौतें सिर्फ आकाशीय बिजली के कारण हुई हैं. अगर पिछले 6 सालों के आकड़ों को देखा जाए तो पता चलता है कि साल दर साल प्रकृति जनित घटनाओं के कारण मौतों में जहां थोड़ा सुधार देखा गया है. लेकिन बिजली गिरने से होनी वाली मौतों में कोई कमी नहीं देखी जा रही है.
इन पांच राज्यों 60 प्रतिशत से ज्यादा मौतें
पिछले पांच सालों में आकाशीय बिजली से सबसे ज्यादा मौतें मध्य प्रदेश में दर्ज की गई हैं. 2016 से 2020 के बीच मध्य प्रदेश में कुल 2,301 मौतें दर्ज हुई हैं. इसके बाद उड़ीसा, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश राज्यों में बिजली गिरने के कारण सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं. देश में बिजली गिरने से हुई कुल मौतों का 60 प्रतिशत आंकड़ा इन्ही पांच राज्यों से हैं.
बिजली गिरने का ग्लोबल वॉर्मिंग कनेक्शन
ग्लोबल वॉर्मिंग एक ऐसा शब्द है जो गाहे-बगाहे हम और आप सुनते रहते हैं. इसी ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण कुछ दशकों में तापमान बढ़ने से भारतीय उपमहाद्वीप में तूफान और बिजली गिरने के मामले बढ़ रहे हैं. शोध बताते हैं कि हर एक डिग्री सेल्सियस तामपान बढ़ने पर बिजली गिरने की घटनाओं में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है.
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दामिनी लाइटनिंग ऐप है मददगार
वर्ष 2020 में भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा दामिनी लाइटनिंग ऐप बनाया गया है. यह ऐप बिजली गिरने की सभी घटनाओं के बारे में आगाह करता है. अगर किसी व्यक्ति के समीप बिजली गिरने की घटना हो रही हो तो यह ऐप उसे 20 से 40 किलोमीटर के दायरे में जीपीएस के माध्यम से सूचना पहुंचा देती है. साथ ही इस ऐप में बिजली गिरने पर क्या करें क्या न करें की भी जानकारी दी गई है.
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बिजली गिरने के लिए सावधानियां - घर के अंदर और बाहर
बिजली गिरने का शिकार होने पर क्या करें
आईएमडी (भारतीय मौसम विभाग) के अनुसार, किसी व्याक्ति पर बिजली गिरने की स्थिति में आपको तुरंत ये काम करने चाहिए.
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