लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) में अब 2 महीने से भी कम का समय बचा है. ऐसे में सभी दलों ने सत्ता पाने की जुगत में एड़ी-चोटी का जोर लगाना शुरू कर दिया है. पार्टियों सोच समझकर अपने उम्मीदवारों का चयन कर रही हैं. आमतौर पर लोकसभा चुनाव में भले ही बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला रहता हो. लेकिन क्षेत्रीय पार्टियां का भी इस चुनाव में अहम रोल होता है. पिछले चुनाव में क्षेत्रीय पार्टियों ने 145 से ज्यादा सीटें जीतकर बड़े दलों की हालत खराब कर दी थी.
लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम से पता चलता है कि देश की 97 सीटें ऐसी थी जहां कांग्रेस और बीजेपी एक व दो नंबर पर कहीं नजर नहीं आ रही थी. ये सीटें ज्यादातर दक्षिण भारत की थीं. लंबे समय से कांग्रेस का गढ़ रहे आंध्र प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों पर मुख्य मुकाबला जमनमोहन रेड्डी की YRS कांग्रेस और चंद्र बाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (TDP) के बीच था. वाईआरएस कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 22 सीटों पर जीत दर्ज की. टीडीपी 3 सीटों पर सिमट गई. जबकि बीजेपी और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी खाता भी नहीं खोल पाईं.
ऐसा ही एक राज्य तमिलनाडु है. राजनीतिक दृष्टि से यह प्रदेश बड़ी अहमियत रखता है. इस राज्य में दो प्रमुख राजनीतिक दल ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) सत्ता में बने रहे हैं. डीएमके ने लोकसभा चुनाव 2019 में जबरदस्त सफलता हासिल की थी. DMK गठबंधन ने राज्य की 39 सीटों में से 37 पर जीत दर्ज की थी, जबकि 1 सीट पर AIADMK को संतोष करना पड़ा था.
द्रमुक और अन्नाद्रमुक के रहा मुकाबला
1962 में कांग्रेस ने आखिरी बार तमिलनाडु में सरकार बनाई थी. इसके बाद डीएमके का दबदबा शुरू हुआ. 1972 में एमजीआर ने अन्नाद्रमुक बनाकर कांग्रेस को तमिलनाडु से लगभग बाहर कर दिया. इसके बाद डीएमके और एआईएडीएमके मुख्य मुकाबले में आ गईं. 2014 में कांग्रेस 4.3 प्रतिशत वोट मिला. हालांकि, 2019 के चुनाव में 12.6 प्रतिशत वोट हासिल करने में कांग्रेस कामयाब रही. भाजपा की बात करें तो वह तो सफलता से बहुत दूर है.
क्षेत्रीय दलों ने झटकी 145 सीटें
उत्तर से दक्षिण तक के राज्यों में फैले क्षेत्रीय दलों ने 2019 के चुनाव में 145 सीटों पर कब्जा जमाया था. इनमें कई सीटें ऐसी भी शामिल हैं, जिन्हें बीजेपी-कांग्रेस के साथ गठबंधन करके प्राप्त किया गया.
पंश्चिम बंगाल की बात करें तो कांग्रेस के कमजोर होने के बाद तृणमूल कांग्रेस और वामदलों के बीच ही मुख्य मुकाबला होता था. लेकिन भाजपा के प्रवेश ने अब दोनों की राह कठिन कर दी है. बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 40.25 प्रतिशत वोट हासिल करते हुए 42 सीटों में से 18 पर कब्जा जमाया था.
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अब देश में कुल 6 राष्ट्रीय दल
आजादी के बाद देश में जब पहला आम चुनाव हुआ था, तब कुल 53 दलों ने हिस्सा लिया था. जिनमें 14 राष्ट्रीय दल थे. लेकिन सात दशक बाद 2019 के चुनाव में राजनीतिक पार्टियों की संख्या 12 गुना बढ़कर 671 हो गई, लेकिन नेशनल पार्टियां कम हो गईं. अब सिर्फ 6 राष्ट्रीय दल बचे हैं. इनमें भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी (BSP), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और नेशनल पीपल्स पार्टी शामिल हैं.
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