लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) करीब आते ही लोगों के मन में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) को लेकर जिज्ञासाएं बढ़ जाती हैं. आखिर EVM मशिन किस तरह से काम करता है, साथ ही VVPAT की क्या उपयोगिता है. आए दिन विपक्षी दलों की तरफ से EVM पर सवाल उठाए जाते हैं. साथ ही बैलेट पेपर पर चुनाव कराने की मांग की जाती है. ऐसे में VVPAT पर्चों की महत्वता बढ़ जाती है. आज ही सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है कि क्या लोक सभा चुनाव 2024 के दौरान EVM के साथ-साथ सभी VVPAT की गिनती की जाएगी. ऐसे में VVPAT की फंक्शनिंग को समझना बेहद जरूरी हो गया है. आइए इसे विस्तार से जानते हैं.
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1. आखिर VVPAT कहते किसे हैं?
VVPAT असल में EVM मशीन से जुड़ी एक छोटे से बक्से के साइज की मशीन है. कोई भी वोटर जब EVM का बटन दबाता है तो VVPAT मशीन से एक कागज का पर्चा निकलता है, जिसमें वो देख सकता है कि उसने किसे वोट डाला है.
2. क्या सब करता है VVPAT?
शिशे के पीछे होने के बाद यह पर्ची मतदाता को अपने वोट का सत्यापण करने के लिए 7 सेकंड तक दिखाई देती है. ये पर्ची EVM से जुड़े बैलेट से निकलकर VVPAT बक्से में गिर जाती है. उस पर्ची में आपके द्वारा चुने गए उम्मीदवार का क्रमांक, नाम और चुनाव चिह्न प्रिंटेड रहते हैं.
3. कैसे आया था VVPAT?
VVPAT के इस्तेमाल को लेकर देश में चुनाव आयोग ने 2010 में सभी राजनीतिक दलों के साथ चर्चा की थी. दरअसल इसे लाने का मकसद EVM को लेकर पारदर्शिता और विश्वास को मजबूत करना था. VVPAT को बनाने की जिम्मेदारी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (ECIL) को दी गई थी. ये दोनों ही पब्लिक सेक्टर यूनिट है. ये दोनों कंपनियां EVM भी बनाती हैं. VVPAT को लेकर टेस्टिंग 2011 में लद्दाख, तिरुवनंतपुरम, चेरापूंजी, पूर्वी दिल्ली और जैसलमेर में किया गया था. चुनाव आयोग ने दो सालों तक सियासी दलों के साथ इस पर चर्चा की और सुझाव मांगा. उसके बाद एक एक्सपर्ट कमेटी ने 2013 में VVPAT के डिजाइन को लेकर अपनी सहमति दे दी
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