एक दिन पहले PM मोदी कर रहे थे तारीफ, अगले दिन खट्टर को कुर्सी से हटाया, हरियाणा में क्या है BJP का प्लान?

Written By रईश खान | Updated: Mar 13, 2024, 12:45 AM IST

pm modi and manohar lal khattar (file photo)

Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव के ऐन पहले सीएम बदलकर बीजेपी हरियाणा में क्या हासिल करना चाहती है. उसकी नजर किस वोट बैंक पर है? आइये जानते हैं.

बीजेपी के वरिष्ठ नेता मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफा देने के बाद मंगलवार को नायब सिंह सैनी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली. यह घटनाक्रम इतनी तेजी से हुआ कि हर किसी के मन में सवाल है कि पिछले 24 घंटे में ऐसा क्या हुआ कि बीजेपी को मुख्यमंत्री को बदलना पड़ा. दरअसल, सोमवार को पीएम मोदी ने द्वारका एक्सप्रेस-वे के उद्धाटन के दौरान मनोहर लाल खट्टर की जमकर तारीफ की थी. लेकिन मंगलवार सुबह होते ही खट्टर के जाने की तैयारी हो गई. 

पीएम मोदी ने कहा था कि वो और मनोहर लाल खट्टर एक ही मोटरसाइकिल से रोहतक से गुड़गांव आया करते थे. वह पीछे बैठते थे और खट्टर बाइक चलाते थे. दोनों का पूरा दिन हरियाणा में घूमते हुए निकल जाता था. प्रधानमंत्री ने यह बात उस दौर की बता रहे थे जब वह हरियाणा के प्रभारी हुआ करते थे. पीएम मोदी जब खट्टर की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे थे तभी कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने अंदाजा लगा लिया था कि कुछ होने वाला है. लेकिन किसी को इतनी भनक नहीं थी कि लोकसभा चुनाव से कुछ समय पहले ही खट्टर को कुर्सी से हटा दिया जाएगा. 

गैर-जाट वोटबैंक पर नजर
अब सवाल ये है कि बीजेपी के मन में चल क्या रहा है. चुनाव के ऐन मौके पर सीएम बदलकर वह हरियाणा में क्या हासिल करना चाहती है? दरअसल, हरियाणा की राजनीति में जाटों का वर्चस्व रहा है. जब से राज्य में बीजेपी की सरकार बनी है मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री रहे हैं. खट्टर पंजाबी समुदाय से आते हैं. जाटों को यह बात खटकती रही है. 2016 में हरियाणा में जब जाट आरक्षण आंदोलन हुआ तो सबसे ज्यादा नुकसान पंजाबियों और सैनियों का हुआ था. जाट जितना इन समुदायों के खिलाफ आक्रामक हुआ बीजेपी का एंटी जाट वोट उतना ही मजबूत होता गया.

बीजेपी गैर-जाट वोटबैंक को अपने पाले में करने में कामयाब रही है. यही वजह है कि उसने नायब सिंह सैनी की मुख्यमंत्री बनाकर पंजाबी, दलित, यादव और सैनी वोटों को एकजुट करने का दांव चला है. नायब सिंह सैनी कुरुक्षेत्र से सांसद हैं और उससे पहले खट्टर सरकार में मंत्री रहे हैं. बीजेपी ने पहले उन्हें हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी थी.

क्या है बीजेपी का जातिय गणित
बीजेपी का राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटें जीतने का प्लान है. हरियाणा में लगभग 23 प्रतिशत आबादी जाटों की है. राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से कम से कम 40 पर सीधा जाटों का प्रभाव है. 2014 के विधानसभा चुनाव में जाटों ने भाजपा को एकतरफा वोट दिया था. लेकिन 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन के बाद पासा पलट गया. 2019 के विधानसभा चुनाव जाटों का वोट कांग्रेस ( 30 सीट), जेजेपी (10 सीट) और आईएनएलडी (1) को गया.

बीजेपी के दिग्गज नेता कैप्टन अभिमन्यु और ओम प्रकाश धनखड़ और तत्कालीन राज्य बीजेपी अध्यक्ष सुभाष बराला को हार का मुंह देखना पड़ा. राज्य में ब्राह्मण, पंजाबी और बनिया समाज की 29 से 30 प्रतिशत वोट हैं. इनका वोट सीधा बीजेपी को जाता है. अगर पिछड़ा वर्ग के करीब 24 से 25 प्रतिशत वोट बीजेपी को मिल जाएं तो उसकी नैय्या पार है.

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