आरक्षण पर कैसे माने मराठा, सरकार ने किए कौन से वादे, किसने लिखा महाराष्ट्र अध्याय? पढ़ें इनसाइड स्टोरी

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Nov 03, 2023, 11:35 AM IST

maratha reservation

Maratha Reservation: मनोज जरांगे ने नौंवे दिन मंत्रियों से मुलाकात के बाद अपना अनशन समाप्त कर दिया. आइए आपको बताते हैं कि यह अनशन खत्म कैसे हुआ है और सरकार ने क्या वादा किया है.

डीएनए हिंदी: मराठा आरक्षण के दौरान कई तरह की हिंसा सामने आने लगी थी, जो शिंदे सरकार के लिए चुनौती बन रही थी. ऐसे में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे की हड़ताल खत्म कराने में सफल रहे. मनोज जारांगे ने 9 दिन पुराना अनशन समाप्त कर दिया. उन्होंने सरकार से दो महीने के भीतर मराठा आरक्षण का मुद्दा सुलझाने को कहा है. महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों की तरफ से अनशन खत्म करने के लिए मनाने के बाद उन्होंने कहा कि जब तक सभी मराठों को आरक्षण नहीं मिल जाता, तब तक अपने घर में दाखिल नहीं होंगे. जरांगे ने कहा कि अगर दो महीने में कोई निर्णय नहीं लिया गया तो मुंबई में मराठा आरक्षण आंदोलन का वो नेतृत्व करेंगे. आइए हम आपको बताते हैं कि मराठा आरक्षण की मांग कर रहे लोगों ने अनशन कैसे खत्म किया. इसके साथ आपको मनोज जारांगे के बारे में भी बताएंगे, जिन्होंने इस आंदोलन का का नेतृत्व किया. 

महाराष्ट्र के चार मंत्रियों ने मनोज जरांगे से मुलाकात की. उनकी अपील पर जरांगे ने अपना अनशन खत्म करने का फैसला लिया. जिसके बाद उन्होंने कहा कि सरकार अगले दो महीने के भीतर मुद्दा सुलझाए. इस दौरान उन्होंने जनता से भी सवाल किया कि उन्होंने पूछा कि क्या सरकार को समय देना चाहिए तो इस पर वहां मौजूद जनता ने हां में जवाब दिया. इस बीच महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में सभी दलों के नेता इस बात पर सहमत हुए कि मराठा समुदाय को आरक्षण मिलना चाहिए. यह निर्णय लिया गया कि आरक्षण कानून के दायरे में और अन्य समुदाय के साथ अन्याय किए बिना होना चाहिए.

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मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने किए ऐसे वादे 

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस आंदोलन के शुरु होते ही एक्टिव हो गए थे. वह लगातार इस आंदोलन पर नजर बनाए हुए थे. इस बीच जब आंदोलन उग्र होने लगा तो उन्होंने कैबिनेट के बैठक और फैसलों के साथ सर्वदलीय बैठक की. जिसके बाद उन्होंने पूर्व जजों की टीम को जालना भेजने का फैसला किया. जिसके बाद  सीएम शिंदे ने जस्टिस शिंदे कमेटी को इस मसल पर 24 दिसंबर तक विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए निर्देशित किया. ऐसे में पूर्व जस्टिस शिंदे की कमेटी से मिलकर जरांगे भी आश्वत हो गए कि सरकार गंभीरता से काम कर रही है. रिपोर्ट के मुताबिक 30 अक्टूबर तक लगभग 1 करोड़ 74 लाख 45 हजार 432 रिकॉर्ड्स की जांच की जा चुकी है, और अब तक 13 हजार 514 रिकॉर्ड वैरिफाई हो चुके हैं. जरांगे ने बताया कि सरकार सीधे तौर पर सभी मराठों को कुनबी सर्टिफिकेट देने पर सहमत हुई है. मराठवाड़ा में 13 हजार कुनबी डिटेल्स मिली थी, जिसके आधार पर आरक्षण देने की बात सरकार ने की थी, जिसे हमने नकार दिया और अब सरकार सीधे तौर पर आरक्षण देने की बात मानी है.

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वादा नहीं पूरा होने पर फिर से आंदोलन करेंगे जरांगे 

मनोज जरांगे ने अनशन खत्म करते हुए सरकार को अल्टीमेटम भी दिया. उन्होंने कहा कि यदि आप वादा तोड़ोगे तो मैं आपकी सरकार को एक मिनट भी नहीं दूंगा. 50 दिनों के बाद भी आपने मामले वापस नहीं लिए, जो अंतरवल्ली सराती के लोगों पर थोपा गया है. इसके साथ उन्होंने सीएम शिंदे से हुई अपनी बातचीत को लेकर कहा कि उन्होंने कहा है कि 2 दिन के अंदर हम सभी केस वापस ले लेंगे. अब मैं आपको बता रहा हूं कि तय समय में सभी मुकदमे वापस ले लिए जाएंगे.

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ये गांव बना मराठा आंदोलन का केंद्र 

 जालना से 70 किमी दूर अंतरवाली सराटी इस आंदोलन का केंद्र बन गया. 25 अक्टूबर को इस गांव के विट्ठल मंदिर के कैंपस में  मनोज जरांगे पाटिल भूख हड़ताल पर बैठे थे. मनोज जरांगे पाटिल समेत कई लोग दावा कर रहे हैं कि मराठा समाज मूल रूप से कुनबी जाति से है यानी मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाणपत्र दिया जाता है तो आरक्षण मिलने पर उसे ओबीसी कोटे से लाभ मिल जाएगा. आपको बता दें कि ओबीसी कोटे से आरक्षण 19 फीसदी है. ओबीसी समुदाय के संगठनों का मानना ​​है कि अगर इसमें मराठा समुदाय को भी शामिल किया गया तो आरक्षण का फायदा नए लोगों को मिलेगा. 

कौन हैं मनोज जरांगे पाटिल?

मनोज जरांगे पाटिल मूल रूप से महाराष्ट्र के बीड जिले के रहने वाले हैं, जो आज मराठा आंदोलन का मुख्य चेहरा बन गए हैं. उन्होंने 2010 में 12वीं पास की और उसके बाद ही पढ़ाई छोड़ दी थी, जिसके बाद से वह वह मराठा आंदोलन से जुड़ गए. होटल में नौकरी करके थोड़ी आमदनी होती थी लेकिन उसके बावजूद मराठा आंदोलन की चाहत ने उन्हें पीछे नहीं हटने दिया. मराठा समुदाय द्वारा अगस्त 2016 में आरक्षण के लिए आंदोलन शुरू किया गया था. उस समय आंदोलन के लिए कोई बड़ा चेहरा नहीं था. 2016 के आंदोलन में जरांगे शामिल थे, उन्होंने अपनी मांगों को लेकर भूख-हड़ताल और पैदल मार्च किया था लेकिन वह मीडिया या सरकार का ध्यान आकर्षित नहीं कर पाए. जारंगे के परिवार में उनकी पत्नी, चार बच्चे, उनके तीन भाई और माता-पिता हैं. जारंगे का दावा है कि उनका विरोध प्रदर्शन गैर-राजनीतिक है। हालांकि, वह 2004 में पद छोड़ने से पहले तक वह कांग्रेस के जिला युवा अध्यक्ष के रूप में जुड़े थे. दुबले-पतले शरीर वाले 41 वर्षीय समाजिक कार्यकर्ता अबतक 35 आंदोलन कर चुके हैं. 

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