डीएनए हिंदी: मानसून सत्र (Monsoon Session) का समापन हो चुका है और विपक्ष ने दोनों सदनों में इस सेशन में जमकर हंगामा किया है. हंगामेदार सेशन में राहुल गांधी की सदस्यता फिर से बहाल की गई और एक बार फिर उनके भाषण पर खासा विवाद भी हुआ. विपक्षी दलों ने जहां मणिपुर और हरियाणा जैसे राज्यों में हिंसा का मुद्दा उठाया तो सरकार की ओर से भी करारा पलटवार किया गया. इसके अलावा सरकार ने कई महत्वपूर्ण बिल भी पास किए जिसमें दिल्ली सर्विस बिल से लेकर देशद्रोह कानून खत्म करने जैसे कई अहम बिल हैं. मानसून सत्र में अविश्वास प्रस्ताव भी लाया गया जिसका गिरना पहले से तय था क्योंकि सरकार के पास पर्याप्त बहुमत है लेकिन विपक्षी दल यहां एकजुट नहीं रह सके. 2024 लोकसभा चुनाव की कैसी तस्वीर होगी, यह जरूर साफ हो गई है.
विपक्ष का चेहरा बनेंगे राहुल
मानसून सेशन में जिस तरह से राहुल गांधी आक्रामक नजर आ रहे हैं वह उनके बदले हुए अंदाज को दिखा रहा है. पीएम के भाषण के बाद वॉकआउट करना हो या संसद में सीधे बीजेपी पर भारत माता की हत्या जैसे बयान देना हो, राहुल का अंदाज बेहद तीखा रहा है. विपक्षी दल भले ही अभी खुलकर कुछ नहीं कर रहे हैं लेकिन संसद से लेकर सड़क तक राहुल द्रविड़ ही विपक्ष का सबसे बड़ा चेहरा बनते दिख रहे हैं. 2024 में इंडिया गठबंधन अपने प्रधानमंत्री पद के लिए किसी चेहरे का ऐलान न करे लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस के नेतृत्व में ही लड़ाई लड़ी जाएगी.
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राहुल बनाम पीएम मोदी ही होगी लड़ाई
राहुल बनाम मोदी की लड़ाई में अब तक बाजी प्रधानमंत्री ने ही मारी है. हालांकि इसके बाद भी एक बार फिर मानसून सत्र में स्पष्ट हो गया है कि यह लड़ाई राहुल गांधी बना पीएम मोदी के बीच रहने वाली है. मानसून सत्र में जवाब देते हुए पीएम मोदी ने राहुल गांधी पर जमकर तीर भी चलाए हैं और सरकार के बड़े नेता और सांसद भी राहुल पर हमले का कोई मौका नहीं चूक रहे हैं. दूसरी ओर राहुल गांधी मणिपुर हिंसा से लेकर महंगाई और बेरोजगारी तक के लिए सीधे तौर पर पीएम को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
सरकार के पास भी तैयार हैं कई हथियार
मानसून सेशन में मोदी सरकार ने दिल्ली सर्विस बिल पास किया है. देशद्रोह कानून को खत्म करना, नाबालिग से रेप पर फांसी, आईपीसी और सीआरपीसी में बदलाव जैसे विधेयकों को पास करा सरकार ने अपनी सोच स्पष्ट कर दी है. महिला हिंसा के खिलाफ सख्ती से लेकर भ्रष्टाचार मुक्त सरकार के दावे जैसे मजबूत तर्क सरकार के पास हैं. इसके अलावा 10 साल में सड़कों का विस्तार, वंदे भारत जैसी ट्रेन, एयरपोर्ट का विस्तार, किसान सम्मान निधि जैसी योजनाएं भी हैं. मोदी सरकार 2024 के लिए अपने कोर वोटरों को खुश रखने के लिए पहले ही धारा 370, राम मंदिर और लव जिहाद जैसे मुद्दों पर सक्रिय है. सरकार के विकास कार्यों और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन जैसे दमदार हथियारों से लैस है.
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INDIA गठबंधन को भी नहीं ले सकते हल्के
इंडिया गठबंधन ने भी अभी से ही चुनावी मोड दिखा दिया है. केंद्र सरकार पर मणिपुर, हरियाणा में हिंसा के मुद्दे हैं. इसके अलावा, अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने जैसे भावुक मुद्दों को भी कांग्रेस और तमाम विपक्षी दल जोर-शोर से उठाएंगे. एलपीजी से लेकर सिलेंडर और सब्जियों तक के दाम पिछले कुछ वक्त में आसमान छू रहे हैं. रेल, बस से लेकर हवाई टिकट पहले की तुलना में कहीं गुना ज्यादा महंगा हुआ है. बेरोजगारी और महंगाई ऐसे मुद्दे हैं जिस पर सरकार के पास कोई ठोस तर्क नहीं है. इसके अलावा विपक्षी दलों के पास दिल्ली सर्विस बिल और आर्टिकल 370 को खत्म करने का मुद्दा है. इसे राज्यों की स्वायत्तता और अधिकारों के हनन के तर्क के रूप में पेश किया जाना भी तय है.
2024 के चुनावी रण में सफलता किसे मिलती है, यह तो आने वाले वक्त में तय होगा. इतना जरूर है कि यह जंग काफी रोमांचक होने वाली है. सरकार के पास यूपीए के भ्रष्टाचार और वंशवाद जैसे मुद्दे हैं लेकिन 10 साल के बाद अब जनता में इन मुद्दों पर वैसा आक्रोश नहीं बचा है. दूसरी ओर विपक्ष के पास मंहगाई और बेरोजगारी दो सबसे बड़े हथियार हैं जिसका सामना सरकार समर्थक हों या विरोधी, सभी एक समान रूप से कर रहे हैं. मानसून सेशन ने दोनों पक्षों की तस्वीर को काफी हद तक साफ कर दिया है.