Natra Jhagda Tradition: क्या है नातरा-झगड़ा प्रथा, जिसके खिलाफ लाल चूनर टीम की महिलाओं ने खोल रखा है मोर्चा 

Written By स्मिता मुग्धा | Updated: Sep 18, 2024, 02:30 PM IST

सांकेतिक चित्र 

Natra Jhagda Tradition: भारत में बाल विवाह एक कुरीति के तौर पर आज भी मौजूद है. देश के कई हिस्सों में कठोर कानूनों के बाद भी बाल विवाह हो रहे हैं. जानें क्या है इसी से जुड़ी प्रथा नातड़ा-झगड़ा.

भारतीय समाज में शादी आज भी एक महत्वपूर्ण संस्था है.शादी के लिए निर्धारित उम्र होने के बाद भी आज भी कई राज्यों में बाल विवाह (Child Marriage) जैसी कु्प्रथा जारी है. बाल विवाह के साथ ही जुड़ी है नातड़ा-झगड़ा प्रथा. इसके खिलाफ सख्त कानून हैं, लेकिन बावजूद इसके आज भी कुछ लोग इसका पालन कर रहे हैं या करवा रहे हैं. इस कुरीति के खिलाफ कई सामाजिक संस्थाएं काम भी कर रही हैं. आइए जानते हैं क्या है प्रथा और कैसे यह लड़की के परिवार से पैसे उगाही का तरीका बन गई है. 

क्या होती है नातरा-झगड़ा प्रथा 
नातरा-झगड़ा प्रथा मूल रूप से आज भी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के सीमित इलाकों में प्रचलित है. मध्य भारत में आदिवासी और अन्य हाशिये पर रहने वाले समुदाय में इस प्रथा का आज भी पालन किया जा रहा है. इसके तहत, अगर कोई बालिग महिला बाल विवाह को नहीं मानना चाहती है या फिर उससे बाहर निकलना चाहती, तो उसके परिवार को कई लाख रुपये लड़के के परिवार को देना पड़ता है. इस प्रथा के विरोध में कई संस्थाएं जागरुकता अभियान चला रही हैं.


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इस प्रथा के खिलाफ मुहिम चला रही हैं लाल चुनर की महिलाएं 
‘नातरा झगड़ा’ एक पुरानी प्रथा है, लेकिन आज के दौर में इसका इस्तेमाल वर पक्ष के लोग शोषण और पैसे उगाही करने के लिए कर रहे हैं. इस प्रथा के तहत अगर कोई महिला अपनी शादी से निकलना चाहती है या फिर बचपन में तय शादी को तोड़ना चाहती है या बाल विवाह को मानने से इनकार कर दे, तो मामला पंचायत में पहुंचता है. 

पंचायत महिला के परिवार पर लाखों रुपये का मुआवजा लगाता है और कभी -कभी तो यह 50 लाख तक पहुंच जाता है. ज्यादातर परिवारों के लिए इस रकम को चुका पाना असंभव होता है.धन उगाही के साथ ही यह महिलाओं के शोषण के तरीकों को संरक्षण देने वाली प्रथा भी है. इसके विरोध में मध्य प्रदेश में लाल चुनर टीम की महिलाएं काम कर रही हैं. कई और सामाजिक संस्थाएं भी इस प्रथा के विरोध में मुहिम चलाती हैं.


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लाल चुनर सेना क्या है? 
मध्य प्रदेश के राजानंदगांव में लाल चुनर सेना में 900 से ज्यादा महिलाएं शामिल हैं. ये महिलाएं इस कुप्रथा के खिलाफ मुहिम चलाती हैं.  इस सेना में शामिल कई महिलाएं खुद भी इस प्रथा की भुक्तभोगी रही हैं. इस टीम में शामिल महिलाएं अब इसके खिलाफ आदिवासी और पिछड़े सामाजिक तबके से आने वाले लोगों को जागरूक करने का काम कर रही हैं. इस टीम की महिलाएं पहचान के तौर पर लाल रंग की साड़ी या चुनरी पहनती हैं, इसलिए इन्हें लाल चुनर महिलाएं कहा जाता है. 

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