डीएनए हिंदी: 35 साल पुराने रोड रेज केस में 1 साल की कैद काट रहे नवजोत सिंह सिद्धू जेल से रिहा हो रहे हैं. पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष रहे नवजोत सिंह सिद्धू, पार्टी के कर्णधार रहे हैं. नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस के लिए हमेशा किसी पहली की तरह रहे हैं. कब उनके तेवर नर्म रहते हैं, कब गर्म कहा नहीं जा सकता है. ऐसे में उनकी रिहाई के साथ ही माना जा रहा है कि वह पंजाब की राजनीति में लोकसभा चुनाव 2024 के ठीक पहले सक्रिय हो रहे हैं.
पटियाला सेंट्रल जेल में कैद नवजोत सिंह सिद्धू की सियासत, कांग्रेस के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं रही है. 2022 में हुआ विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए किसी सबक से कम नहीं रहा. ऐसा कहा जाता है कि कांग्रेस की दुर्गति के पीछे नवजोत सिंह सिद्धू भी जिम्मेदार रहे हैं. उन्होंने पार्टी को ऐसे उलझाया कि लोग समझ ही नहीं सके कि चरणजीत सिंह चन्नी और उनके बीच ठीक तालमेल है या नहीं.
पंजाब कांग्रेस के लिए मुसीबत से कम नहीं रहे हैं नवजोत सिंह सिद्धू
क्रिकेट, कमेंटेटर, राजनीतिज्ञ और कॉमेडियन नवजोत सिंह सिद्धू, चर्चित सेलिब्रिटी रहे हैं. टीवी देखने वाला हर तबका उन्हें जानता और पहचानता है. नवजोत सिंह सिद्धू, चुनाव तो हमेशा जीतते रहे लेकिन कभी सधे राजनेता नहीं बन सके. उनका गुस्सा, उनकी राह में कांटे बोता रहा. वह अपने गुस्से का सार्वजनिक प्रदर्शन करने से भी नहीं चूकते हैं. यह उनके और पार्टी के लिए कभी ठीक नहीं रहा.
इसे भी पढ़ें- सजा पूरी होने से पहले ही कैसे रिहा हो जाते हैं कैदी, सिद्धू की रिहाई से आ जाएगी बात समझ
सिद्धू एक, नाराज अनेक
पंजाब कांग्रेस की अस्थिरता की सबसे बड़ी वजह सिद्धू ही माने जाते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हीं की वजह से सूबे के सबसे बड़े नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह से सोनिया गांधी ने इस्तीफा मांग लिया था. चरणजीत सिंह चन्नी जब मुख्यमंत्री बने तो सिद्धू ने उनसे भी पंगा ले लिया, जिसका असर चुनावों में साफ नजर आया. वह कांग्रेस के अध्यक्ष थे लेकिन कभी इस्तीफे की पेशकश करते थे, कभी सियासी ड्रामे पर उतर आते थे. सिद्धू के तेवर कभी नहीं बदलते हैं. उनसे उनके ही सहयोगी नाराज हो सकते हैं.
कभी नरम-कभी गरम रहते हैं सिद्धू के तेवर
नवजोत सिंह सिद्धू के तेवर भी नरम तो कभी गरम वाले रहे हैं. कब वे किस बात पर अपनी ही पार्टी से रूठ जाएं कहा नहीं जा सकता है. बिजली, भ्रष्टाचार, ड्रग्स और ट्रांसफर के मुद्दे पर लगातार कैप्टन सरकार के खिलाफ रहे सिद्धू, इन्हीं मुद्दों को लेकर वह कभी अमरिंद सिंह के खिलाफ खड़े होते तो कभी चरण जीत सिंह चन्नी के खिलाफ. उनके अस्थिर रुख से हमेशा कांग्रेस डरती रही है.
सिद्धू के गुस्से से डरते हैं करीबी
नवजोत सिंह सिद्धू भारतीय जनता पार्टी से सांसद रहे हैं. 15 जनवरी 2017 वह तारीख थी जब नवजोत सिंह सिद्धू बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए. पूर्वी अमृतसर से उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा. चुनाव में बंपर जीत मिली. नवजोत सिंह सिद्धू, कैप्टन सरकार में बतौर कैबिनेट मंत्री शामिल हुए. उनकी पत्नी ने भी मंत्रिपद संभाला. शपथ ग्रहण के कुछ दिनों तक सिद्धू शांत दिखे लेकिन बाद में हंगामा शुरू हो गया. वह कभी तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की तारीफ में कसीदे पढ़ते तो कभी बगावती रुख अख्तियार कर लेते.
ये भी पढ़ें- PM मोदी की डिग्री दिखाने का आदेश खारिज, गुजरात HC ने अरविंद केजरीवाल पर लगाया 25 हजार का जुर्माना
कितना अहम है पंजाब में सिद्धू का रोल?
पंजाब की राजनीति में उनका कद तो बहुत बड़ा है लेकिन जनता उन्हें भरोसेमंद चेहरा कभी नहीं मान पाती है. वह प्रियंका गांधी के भी नजदीक हैं तो राहुल गांधी के भी करीबी हैं. फिर भी कांग्रेस उन पर भरोसा नहीं जता पाती है. वह पार्टी मैनेजमेंट में फेल रहे हैं. यही हाल जनता का भी है. वह जनता से भी किस बात पर उखड़ जाएं, कहा नहीं जा सकता है. उनके कभी नरम, कभी गरम तेवर पार्टी के लिए ठीक नहीं होते हैं. उनके करीबी भी कभी-कभी उनके बयानों की वजह से नाराज हो जाते हैं. ऐसे में दोबारा नवजोत सिंह सिद्धू की वापसी की राह पंजाब में इतनी भी आसान नहीं है.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.