पाकिस्तान चुनाव नतीजे (Pakistan Election Results 2024) अब काफी हद तक स्पष्ट हो चुके हैं. किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है और नवाज शरीफ ने मौका देखते हुए दूसरी पार्टियों को सरकार बनाने के लिए साथ आने का न्योता भी दे दिया है. इस चुनाव में दिवंगत बेनजीर भुट्टो की पार्टी तीसरे नंबर पर है. अगर उनके बेटे और अब पार्टी के मुखिया बिलावल भुट्टो जरदारी समीकरण साधने में कामयाब रहे, तो वह शायद पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री भी हो सकते हैं. इमरान खान के जेल में होने की वजह से उनकी पार्टी के उम्मीदवारों की जीत निर्दलीय कैंडिडेट के तौर पर है. माना जा रहा है कि बिलावल के पास इस वक्त किंग मेकर बनने का मौका है. हालांकि, चुनौतियां भी कम नहीं हैं.
अभी तक चुनाव का नतीजा रहा है ऐसा
चुनाव आयोग ने अब तक नेशनल असेंबली (Pakistan Election) की 139 सीट के नतीजों की घोषणा की है. जिसमें से 55 सीट पर खान की पार्टी द्वारा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली है. पीएमएल-एन को 43 सीट पर जीत मिली है, जबकि पीपीपी के खाते में 35 सीट गई है. हालांकि, इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने सेना पर चुनाव में धांधली का भी आरोप लगाया है. पूर्व प्रधानमंत्री का कहना है कि पीटीआई अपने दम पर भारी बहुमत से जीत रही है और चुनाव नतीजों में धांधली की गई.
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बिलावल भुट्टो जरदारी के पास है किंग मेकर बनने का मौका
राजनीति और क्रिकेट दोनों में ही कहा जाता है कि मौके पर चौका मारने वाला ही विनर है. इस लिहाज से बिलावल भुट्टो के पास कम सीटों के बावजूद भी किंग मेकर बनने का अहम मौका है. हालांकि, पाकिस्तान की राजनीति में बेनजीर भुट्टो के राजनीतिक उत्तराधिकारी अब तक कुछ कमाल नहीं कर पाए हैं. राजनीति में उनकी पहचान विदेशों में पले-बढ़े इंग्लिश लाइफस्टाइल अपनाने वाले पैराशूट नेता के तौर पर ही रही है. ज्यादातर वह भारत विरोधी बयानों की वजह से ही चर्चा में रहे. इस बार उनके पास वाकई में मौका है कि वह खुद को किंग मेकर के तौर पर साबित कर सकते हैं.
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बहुमत के लिए चाहिए 169 सीट
बहुमत हासिल करने के लिए 336 में से 169 सीट की आवश्यकता है, जिसमें महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षित सीट भी शामिल हैं. इमरान खान की पार्टी ने ऐलान कर दिया है कि वह दोनों में से किसी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे. पड़ोसी देश में राजनीतिक अस्थिरता और सैन्य शासन दोनों ही आम बात है. इस बार पूरी दुनिया की नजर इस पर जरूर रहेगी कि क्या पाकिस्तान के राजनेता लोकतंत्र का भरम रखते हुए गठबंधन सरकार बनाएंगे या फिर आर्मी ही बैकडोर से सत्ता संभालेगी.
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