Pride Month Special: Same Sex Marriage अर्बन एलीट की मांग के दावों पर याचिकाकर्ताओं की खरी-खरी, 'बराबरी का हक मांग रहे'

Written By स्मिता मुग्धा | Updated: Jun 06, 2023, 07:12 PM IST

Same Sex Marriage petitioners Utkarsh And Kotia

Same Sex Marriage Urban Elite: सेम सेक्स मैरिज के विरोध में मीडिया, सोशल मीडिया पर दो शब्द बार-बार सामने आया अर्बन एलीट. यानी बड़े शहरों के अभिजात्य लोगों के बीच चलने वाला विचार. जानिए इस पर याचिकाकर्ता गे कपल की क्या राय है.

डीएनए हिंदी: सेम सेक्स मैरिज (Same Sex Marriage) के विरोध में केंद्र सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि यह कुछ चुनिंदा अमीर लोगों का मसला है. हालांकि इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा कि इसका कोई ठोस प्रमाणित आंकड़ा हमारे पास नहीं है. इसके बावजूद भी सोशल मीडिया से लेकर घरों की डिनर टेबल तक ज्यादातर बहसों में 'अर्बन एलीट' का मुद्दा सामने आता रहा. इस आपत्ति पर याचिकाकर्ता उत्कर्ष सक्सेना और अनन्य कोटिया ने हमसे अपने विचार शेयर किए. उन्होंने कहा कि शादी करना अर्बन एलीट नहीं है, हम बस अपने लिए वही अधिकार मांग रहे हैं जो पहले से समाज में हैं. 

'शादी करने का हक मांग रहे, अपने लिए बराबरी चाहते हैं'
भारत जैसे देश में आज भी लिव इन और ओपन मैरिज इतना आम नहीं है और अक्सर प्रेम की परिणति का अगला अध्याय विवाह को ही माना जाता है. शादी का एक भावनात्मक पक्ष साहचर्य है तो इसका दूसरा पहलू है कि यह अपने साथ बहुत से अधिकारों का संरक्षण भी देती है. सेम सेक्स मैरिज की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं का भी यही तर्क है. हालांकि इसके विरोध में केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने तर्क दिया कि यह अर्बन एलीट लोगों का विचार है. उत्कर्ष और अनन्य ने हमसे बात करते हुए कहा कि हम शादी की मांग कर रहे हैं, अपने लिए अलग से नए अधिकारों की मांग नहीं कर रहे हैं. शादी तो इस समाज में सदियों से होती रही है और यह हमारे सामाजिक जीवन का हिस्सा है. 

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फैसले से क्या है याचिकाकर्ताओं की उम्मीद 
बातचीत के आखिरी हिस्से में हमने इस जोड़े से उनकी भविष्य की योजनाओं और फैसले से अपेक्षाओं पर भी बात की. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से याचिकाकर्ताओं को न्याय की उम्मीद है और आस लगाए बैठे हैं कि उनकी वाजिब मांग को समर्थन मिलेगा. पेशे से वकील उत्कर्ष ने कहा कि कानूनी दृष्टि से देखें तो कई विकल्प बनते हैं जिसमें एक यह भी हो सकता है सर्वोच्च न्यायालय इस याचिका को रद्द कर दे या फिर हमारी मांगों को पूरी तरह से स्वीकार कर ले. उन्होंने यह भी कहा कि मैं और अनन्य ने अगर फैसला पक्ष में नहीं आया तो निराश होंगे लेकिन हम जैसे साथ रह रहे हैं वैसे ही आगे भी साथ रहेंगे.

Pride Month Special Series की यह आखिरी कड़ी थी. इसके पहले के दोनों हिस्से यहां पढ़ सकते हैं: 

पहली कड़ी

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दूसरी कड़ी

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