डीएनए हिंदी: राहुल गांधी एक बार फिर देश की यात्रा पर हैं और इस बार इसे भारत जोड़ो न्याय यात्रा का नाम दिया गया है. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले एक ओर इंडिया गठबंधन से लगातार बिखराव की खबरें आ रही हैं और दूसरी ओर बीजेपी ने हालिया विधानसभा चुनाव में जोरदार जीत दर्ज की है. पीएम नरेंद्र मोदी के मजबूत नेतृत्व और बीजेपी की जबरदस्त संगठन क्षमता के सामने कांग्रेस अब तक बेबस ही नजर आई है. ऐसे वक्त में जब चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने मणिपुर से अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा शुरू की है. चुनावी रणनीति के लिहाज से यह यात्रा कितनी महत्वपूर्ण है और क्या कांग्रेस को इसका कुछ फायदा मिलेगा, समझें इसके मायने.
jलोकसभा चुनाव 2024 से पहले राहुल गांधी ने यात्रा के लिए ऐसा वक्त चुना है जब विपक्षी गठबंधन बहुत सारी चुनौतियों से जूझ रहा है. विपक्ष के इंडिया गठबंधन की अब तक कई बैठकें हो चुकी हैं लेकिन इसके बाद भी सीट शेयरिंग का फॉर्मूला नहीं सुलझ सका है. सहयोगियों के बीच तकरार की खबरें लगातार आ रही हैं. टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने हालिया वर्चुअल मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया तो दूसरी ओर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी नाराज बताए जा रहे हैं. महाराष्ट्र में शिवसेना (उद्धव गुट) के साथ भी मनमुटाव और सीट शेयरिंग पर सहमति नहीं बनने की बात कही जा रही है. कांग्रेस को इस यात्रा से कितना लाभ मिलेगा, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी.
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जीत नहीं कांग्रेस के लिए अस्तित्व की लड़ाई है 2024
कांग्रेस पार्टी के लिए इस वक्त अस्तित्व की लड़ाई का संघर्ष चल रहा है. हिंदी पट्टी में पार्टी लगभग साफ हो चुकी है और जिन राज्यों में सत्ता में है भी उसमें भी वह सहयोगियों की भूमिका में है. बिहार में गठबंधन सरकार में कांग्रेस की हैसियत तीसरे नंबर की पार्टी के तौर पर है. राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी 2023 विधानसभा चुनावों में मुंह की खा चुकी है. तेलंगाना और कर्नाटक में पार्टी को भले ही जीत मिली है लेकिन दक्षिण में भी कांग्रेस तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में सहयोगियों के ही भरोसे है.
केरल के वायनाड से राहुल गांधी सांसद हैं लेकिन वहां प्रदेश में कांग्रेस की सरकार नहीं है. ऐसे हालात में लगभग पूरे भारत में कांग्रेस संगठन निराश है और कार्यकर्ताओं में मोटिवेशन नहीं है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा खुद पार्टी और राहुल गांधी को नेता के तौर पर स्थापित करने का बड़ा उपक्रम बन सकती है. चुनाव और वोटों के परिणाम से अधिक यह कार्यकर्ताओं को संगठित करने और जमीन पर उनकी सक्रियता बढ़ाने का एक मौका जरूर है.
राहुल गांधी की अपनी छवि मजबूत करने का सुनहरा मौका
यह अच्छी बात है कि पिछले कुछ वक्त में राहुल गांधी ने अनमने राजकुमार, राहुल बाबा और पार्ट टाइम नेता जैसे खुद से जुड़े उपमानों को ध्वस्त किया है. वह लगातार और सटीक शब्दों में आर्थिक नीतियों, बेरोजगारी और देश के किसी भी हिस्से में होने वाले अपराध और हिंसा के लिए मुखर होकर आवाज लगाई है. राहुल गांधी लगातार संघ और बीजेपी पर खुले शब्दों में हमले कर रहे हैं. अब जबकि वह कांग्रेस अध्यक्ष नहीं हैं तो पूरे भारत में की जाने वाली उनकी यह यात्रा खुद पार्टी के अंदर उनकी छवि और नेतृत्व के प्रति विश्वास पैदा करने का काम करेगी.
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यह बात विरोधी ही नहीं कांग्रेस समर्थक भी जानते हैं कि पार्टी की कमान आज भी किसी न किसी तह से गांधी परिवार के पास ही है और आज नहीं तो कल फिर से परिवार से ही कोई पार्टी अध्यक्ष बनेगा. राहुल की ये यात्राएं उन्हें कार्यकर्ताओं से लेकर स्थानीय नेताओं तक से संवाद करने का मौका देगी. शीर्ष नेतृत्व और नीचे के कार्यकर्ता के बीच संवाद किसी भी संगठन को मजबूत करने का पहला आधार है. यह यात्रा राहुल के लिए वह सुनहरा मौका है जहां से वह खुद को कांग्रेस का सबसे बड़ा और सर्वमान्य नेता के तौर पर स्थापित कर सकें.
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