क्या राहुल गांधी की खत्म हो जाएगी लोकसभा सदस्यता? जानें क्या है वो नियम जिसको लेकर BJP हमलावर

Written By रईश खान | Updated: Mar 17, 2023, 05:30 PM IST

rahul gandhi (file photo)

बीजेपी, राहुल गांधी के खिलाफ 2005 के 'कैश फॉर क्वेरी' प्रकरण को हथियार बना रही है. तब संसद की विशेष समिति ने 11 सांसदों की सदस्यता खत्म कर दी थी.

डीएनए हिंदी: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के हाल ही में लंदन में दिए ‘भारत में लोकतंत्र पर क्रूर हमला’ वाले बयान को लेकर बीजेपी हमलावर है. बीजेपी इसे विदेशी धरती से देश का अपमान बता रही है और राहुल गांधी से बिना शर्त माफी मांगने की मांग कर रही है. बीजेपी ने कहा कि अगर वह माफी नहीं मांगते हैं तो उनके खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है. इस बीच बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने संसद में राहुल गांधी के खिलाफ विशेष समिति बनाने और उनकी लोकसभा सदस्यता खत्म करने की मांग की. अब सवाल ये उठता है कि क्या ऐसे में किसी भी सांसद की सदस्यता खत्म हो सकती है? आइये जानते क्या कहते हैं नियम. 

दरअसल, बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने 2005 की घटना का जिक्र करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा है. दुबे ने कहा कि 2005 में 'कैश फॉर क्वेरी' स्कैंडल में भी संसद की विशेष समिति ने संसद की गरिमा को चोट पहुंचाने के आरोप में 11 सांसदों की सदस्यता खत्म कर दी थी और बाद में इसे सुप्रीम कोर्ट ने भी सही ठहराया था. बीजेपी सांसद ने लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम 223 के तहत लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखा है.

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क्या कहता है नियम 223?
इस नियम के तहत सदस्य को किसी सदस्य या समिति द्वारा किए गए विशेषाधिकार के उल्लंघन के मामले में संसद में स्पीकर की सहमति (नियम 22 के तहत) के साथ सवाल उठाने की इजाजत देता है. ऐसे मामले में आगे की जांच के लिए विशेषाधिकार समति की गठन किया जाता है और उसे जांच सौंपी जाती है. यह समित पूरे मामले की जांच और दोनों के पक्षों की बात सुनने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार करती है और करीब 1 महीने में अपनी रिपोर्ट दे देती है. अगर दोषी पाया जाता है तो लोकसभा अध्यक्ष से उस सांसद के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा करती है.

बीजेपी ने इस मुद्दे को बनाया आधार?
राहुल गांधी के खिलाफ बीजेपी इसी समति का गठन कराकर हथियार बनाना चाहती है. कैश फॉर क्वेरी' प्रकरण में वर्ष 2005 में एक स्पेशल कमेटी लोकसभा में गठित हुई थी. ये कमेटी तत्तकालीन कांग्रेस नेता पवन कुमार बंसल की अगुवाई में बनी थी. इस कमेटी ने पैसा लेकर संसद में सवाल पूछने वाले 10 सांसदों के खिलाफ जांच की और फिर रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष को सौंपी. लोकसभा अध्यक्ष ने सभी सांसदों की सदस्यता खत्म कर दी थी. 

राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता पर कितना खतरा?
भारत के इतिहास में देखें तो 1976 में कुछ ऐसा ही मामला सामने आया था. तब तत्कालीन राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की सदस्यता खत्म कर दी गई थी. सुब्रमण्यम ने यूनाइडेट किंगडम, यूएस और कनाडा में भारत के संबंध में कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थी. उन्होंने टोरंटो स्टार और वाशिंगटन स्टार को दिए गए इंटरव्यू में भारत के संबंध में कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थी. बीजेपी नेता निशिकांत दुबे ने राहुल गांधी पर लोकसभा अध्यक्ष को सूचित किए बिना पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ निराधार, बदनामीपूर्ण और असंसदीय दावे करके नियम 352 के उल्लंघन का अरोप लगाया है.

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क्या है नियम 352?
संसदीय नियमावली के नियम 352(2) के अनुसार, एक सांसद लोकसभा अध्यक्ष को पूर्व सूचना देकर और उनकी अनुमति से ही सदन के किसी भी सदस्य के खिलाफ टिप्पणी कर सकता है. निशिकांत दुबे का कहना है कि राहुल गांधी ने इसका भी उल्लंघन किया है. उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष को सूचना दिए बगैर पीएम मोदी के खिलाफ निराधार और बदनामीपूर्ण झूठे आरोप लगाए. उन्होंने 1976 की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि सुब्रमण्यम स्वामी को राज्यसभा से बाहर कर दिया गया था, क्योंकि उन्होंने सभापति को पूर्व सूचित किए और उनकी अनुमति बिना प्रधानमंत्री के खिलाफ आरोप लगाए गए थे.

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