Rajasthan Election 2023: रिवाज बदलने का दावा कर रही कांग्रेस की राह में हैं ये 5 बड़े रोड़े 

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Nov 25, 2023, 01:10 PM IST

Rajasthan Election 2023

Rajasthan Election Congress Major Challenges: राजस्थान में शनिवार को मतदान हो रहा है और 3 दिसंबर को चुनावी नतीजे घोषित किए जाएंगे. कांग्रेस सत्ता में वापसी के दावे जरूर कर रही है लेकिन उसकी राह में कई बड़ी चुनौतियां हैं.

डीएनए हिंदी: राजस्थान में चुनाव के नतीजे 3 दिसंबर को आने वाले हैं और मतदान के साथ ही सभी प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में बंद हो चुकी है. चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी जहां प्रचंड बहुमत से डबल इंजन सरकार बनाने का ऐलान कर रही थी तो दूसरी ओर कांग्रेस ने भी पूरा जोर लगाया है. पार्टी की आपसी लड़ाई और मतभेदों को भुलाने का दावा करते हुए मंच से बार-बार रिवाज बदलन का ऐलान किया गया. सत्ता में जोरदार बहुमत के साथ वापसी के दावे किए गए हैं. हालांकि, अशोक गहलोत सरकार की कुछ योजनाओं ने मतदाताओं पर असर डाला है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि एक मुख्यमंत्री के तौर पर वह प्रदेश में सबसे लोकप्रिय चेहरा भी हैं. इसके बाद भी सत्ता में वापसी की डगर में कुछ बड़ी बाधाएं भीं.  

कन्हैयालाल हत्याकांड और तुष्टिकरण के आरोप बिगाड़ सकते हैं खेल
उदयपुर में टेलर कन्हैयालाल की हत्या का मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी राजस्थान में चुनाव प्रचार के दौरान कई बार उठा चुके हैं. बीजेपी के पास हिंदुत्व और राष्ट्रवाद दो ऐसे मुद्दे हैं जिससे वह लगातार चुनावी सफलताएं पा रही हैं. कन्हैयालाल मर्डर केस के जरिए गहलोत सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप भी लगाया जा रहा है. टोंक के प्रभारी रमेश बिधूड़ी ने तो प्रचार के दौरान यह भी कह दिया कि इस बार के नतीजों पर लाहौर में भी लोगों की नजर है. गहलोत सरकार के पास आरोपियों की गिरफ्तारी और परिवार को मुआवजे का तर्क है लेकिन बीजेपी के आक्रामक हमलों के सामने ये तर्क ज्यादा मजबूती से टिकते नहीं दिखे. 

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अशोक गहलोत के कार्यकाल में हुए 14 पेपर लीक
राजस्थान में 2019 के बाद से हर साल औसतन तीन पेपर लीक हुए हैं. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की रिपोर्ट के मुताबिक, अशोक गहलोत सरकार में कुल 14 पेपर लीक हुए जिससे लगभग 40 लाख छात्र प्रभावित हुए हैं. राज्य में 2011 से 2022 के बीच पेपर लीक के लगभग छब्बीस मामले दर्ज किए गए थे. इनमें से 14 पिछले चार वर्षों में रिपोर्ट किए गए हैं. बीजेपी चुनाव प्रचार के दौरान इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा भी रही है. पेपर लीक के कारण रद्द की गई परीक्षाओं में ग्रेड-तृतीय लाइब्रेरियन के लिए भर्ती परीक्षा है. इसके बाद सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा का प्रश्न पत्र सितंबर 2021 में लीक हुआ था. पेपर लीक की वजह से रद्द होने वाली परीक्षाओं ने प्रदेश के युवाओं की उम्मीदों पर पानी फेरा और यह कांग्रेस सरकार के खिलाफ आक्रोश का एक प्रमुख मुद्दा है. 

बेरोजगारी और अपराध वद्धि दर भी बढ़ी
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की ओर से इस साल जनवरी में दर्ज 21.1 प्रतिशत बेरोजगारी दर के साथ बेरोजगारी सूचकांक में प्रदेश दूसरे स्थान पर है. उच्च बेरोजगारी दर के साथ राज्य में कुछ वर्षों में अपराध भी बढ़ा है. कन्हैयालाल हत्याकांड हो या चुनाव से कुछ महीने पहले दौसा में बच्ची के साथ सब इंस्पेक्टर का रेप. महिलाओं के साथ अपराध और महिला सुरक्षा को बीजेपी ने एक अहम मुद्दा चुनाव प्रचार में बनाया है.

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विधायकों-मंत्रियों के खिलाफ नाराजगी 
चुनाव पूर्व प्रकाशित कई एजेंसियों के सर्वे में यह दावा किया गया है कि मुख्यमंत्री के तौर पर लोग अशोक गहलोत से भले ही खुश हों लेकिन उनके विधायकों और मंत्रियों के भ्रष्टाचार को लेकर भारी नाराजगी है. माना जा रहा था कि पार्टी कई विधायकों का टिकट काट सकती है. महेश जोशी जैसे सीनियर लीडर का टिकट कटा. पायलट खेमे के विधायक पीआर मीणा का टिकट कट गया है. कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक परसराम मोरदिया का टिकट भी काट दिया गया. हालांकि, इसके बाद भी आम मतदाताओं के बीच विधायकों और मंत्रियों का भ्रष्टाचार, क्षेत्र में उपलब्ध नहीं होने जैसे मुद्दों को लेकर नाराजगी है. 

पांच साल चलती रही पायलच बनाम गहलोत खेमे की लड़ाई 
बीजेपी के पास गहलोत सरकार को घेरने का एक बड़ा हथियार पार्टी के दो बड़े नेताओं के बीच चलती खींचतान है. हालांकि, चुनाव से पहले सभी मतभेद सुलझा लेने की बात कही गई लेकिन बीजेपी बार-बार इसे मतदाताओं को भरमाने का तरीका बता रही है. फिर पायलट और गहलोत के बीच चली खींचतान की वजह से कार्यकाल का काफी समय पार्टी के अंतर्कलह निपटाने में ही चला गया. इन सबको लेकर खुद कांग्रेस कार्यकर्ताओं के अंदर 2018 जैसा उत्साह नहीं है.

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