डीएनए हिंदी: रामनवमी के जिस त्योहार पर राम-राज्य की संकल्पना याद आती थी, उसी तिथि पर देश सांप्रदायिक झड़पों की भेंट चढ़ रहा है. देश के कई शहरों में भीषण बवाल हुआ है. पश्चिम बंगाल में हिंसक झड़पों की शुरुआत के बाद गुजरात और महाराष्ट्र जैसे भी राज्य भी दंगे की चपेट में आए. राजधानी दिल्ली में भी तनाव देखने को मिला. इन राज्यों में हुए बवाल की शुरुआत मामूली बहस से ही हुई लेकिन अंजाम हिंसक हो गया.
ऐसा नहीं है कि सिर्फ पश्चिम बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र् और दिल्ली में ही स्थितियां तनावपूर्ण रहीं. योगी राज में उत्तर प्रदेश में भी कुछ ऐसा ही नजारा नजर आया, बस हिंसक झड़प नहीं हुई. लखनऊ और मथुरा जैसे शहरों में भी तनावपूर्ण स्थिति नजर आई. आइए जानते हैं कहां-कहां और क्यों भड़की हिंसा.
पश्चिम बंगाल: देखते-देखते सुलग उठे दो शहर
पश्चिम बंगाल के हावड़ा के शिबपुर इलाके में हिंसा की पहली लहर उठी. दो समुदाय आपस में मामूली बात को लेकर भिड़ गए. दो गुटों में पत्थरबाजी हुई और देखते ही देखते दर्जनों दुकानें और गाड़ियों को भीड़ ने आग लगा दी. पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े. कई लोग पुलिस की गिरफ्त में हैं. शोभायात्रा के दौरान इस इलाके में हिंसा भड़की थी. कुछ लोग छत से पत्थर फेंक रहे हैं, कुछ उपद्रवी शोभा यात्रा में बाधा डाल रहे हैं. पत्थरबाजी के बाद वहां हंगामा बरप गया.
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पश्चिम बंगाल के ही उत्तर दिनाजपुर जिले के डालखोला इलाके में हिंसा भड़की. इस्लामपुर शहर का यह इलाका सुलग उठा. मुस्लिम बाहुल इस इलाके में पुलिस अधीक्षक तक घायल हो गए हैं. रामनवमी पर शोभा यात्रा के दौरान दो समुदाय भिड़े लेकिन तब तक एक युवक की जान जा चुकी थी. कई पुलिसकर्मी घायल हैं. ममता बनर्जी ने हिंदु समुदाय पर हिंसा का ठीकरा फोड़ा है.
कैसे सुलग उठा गुजरात?
गुजरात के मुख्य शहरों में शुमार वडोदरा में भी हिंसा सुलग उठी. फतेहपुर इलाके में कई राउंड पत्थरबाजी हुई. यहां रामनवनी की शोभायात्रा के दौरान हिंसा भड़की. जैसे ही यात्रा मस्जिद के पास पहुंची, दूसरे समुदाय की ओर से पत्थरबाजी होने लगी. देखते-देखते इलाके में स्थिति तनावपूर्ण हो गई. यह इलाका बेहद संवेदनशील माना जाता है.
यूपी में भी स्थितियां तनावपूर्ण
ऐसा नहीं है कि महाराष्ट्र, गुजरात और पश्चिम बंगाल में ही झड़पें हुई हैं. उत्तर प्रदेश में भी हालात ऐसे ही रहे. राजधानी लखनऊ की भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी में छात्रों के दो गुट भिड़ गए. ABVP के छात्रों ने जुलूस निकाला तो दूसरा गुट भिड़ गया. हिंसक झड़प हुई. विश्वविद्यालय प्रशासन ने जैसे-तैसे मामला सुलझाया. मथुरा में भी सांप्रदायिक हिंसा होते-होते बची है. मुस्लिम बाहुल इलाकों में रामनवमी की जुलूस निकालने के दौरान झड़प होते-होते बची है.
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कैसे सुलगा महाराष्ट्र का संभाजीनगर?
महाराष्ट्र के संभाजीनगर में भी हिंसा जमकर भड़की. दो लड़कों के बीच हुई लड़ाई कब दो समुदायों की लड़ाई हो गई, किसी को पता नहीं चला. राम मंदिर के बाहर 12.30 बजे रात में हिंसा के बाद मामला आगे बढ़ गया था. लोगों ने पुलिस की गाड़ियों में आग लगा दी थी. बमबाजी हुई थी.
क्यों पुलिस को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं लोग?
ज्यादातर लोगों का कहना है कि इस दिन सुरक्षा का कार्यभार पुलिस के कंधों पर होता है. अगर पुलिस चाहती तो ऐसी हिंसा होने से रोकी जा सकती थी. संवेदनशील इलाकों में या तो जुलूस की एंट्री बैन की जाती, या पूरे रूट पर उन्हें सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराई जाती. पश्चिम बंगाल में बीजेपी ममता बनर्जी सरकार को दोष दे रही है. विपक्ष बीजेपी शासित राज्यों में भी पुलिस की भूमिका पर सवाल उठा रहा है.
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