क्या है रानीखेत बीमारी? जिसका अंग्रेजों ने 100 साल पहले भारत के मशहूर शहर पर रखा था नाम

Written By रईश खान | Updated: May 19, 2024, 06:29 PM IST

ranikhet disease hens

What is Ranikhet Disease: रानीखेत बीमारी का इतिहास 100 साल से भी ज्यादा पुराना रहा है. इसका पहला मामला 1926 को इंडोनेशिया के शहर जावा में पाया था.

दुनिया के प्रसिद्ध कवि विलियम शेक्सपीयर ने कहा था 'नाम में क्या रखा है?' भले ही ये बात सौ आने सही लगती हो, लेकिन नाम ही एक ऐसा होता है जो आपकी सबसे पहले पहचान दिलाता है. अब उत्तराखंड के रानीखेत को ही ले लीजिए. यह भारत के मशहूर टूरिस्ट प्लेस में से एक माना जाता है. लेकिन रानीखेत के नाम से एक बीमारी भी है, जो इस खूबसूरत टूरिस्ट स्पॉट की छवि खराब करने की कोशिश करती है. लेकिन अब यह मामला कोर्ट पहुंच गया है. कोर्ट में इस बीमारी के नाम को बदलने की मांग की गई है.

रानीखेत के निवासी सतीश जोशी ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने मांग की कि ‘रानीखेत बीमारी’ का नाम बदलकर कुछ और किया जाए. इस नाम से रानीखेत की छवि खराब हो रही है. हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को रानीखेत रोग के नाम पर विचार करने और उसका वैकल्पिक नाम सुझाने का निर्देश जारी कर दिया.

उत्तराखंड सरकार इस मामले में 27 जून, 2024 तक अपना हलफनामा दायर करेगी. अब सवाल ये उठता है कि ये बीमारी है क्या और क्यों इसका नाम भारत के मशहूर पर्यटक स्थल पर रखा गया?

What is Ranikhet Disease- रानीखेत बीमारी क्या है?
सबसे पहले इस बीमारी के बारे में जानते हैं. रानीखेत रोग (Virulent Newcastle disease (VN) एक विषाणुजन्य रोग है, जो मुर्गियों और अन्य जंगली पक्षियों में पाया जाता है. इस बीमारी के चपेट में आने से मुर्गियां कमजोर हो जाती हैं. वह खाना-पीना बंद कर देती हैं और कुछ दिन बाद उनकी मौत हो जाती है. रानीखेत वायरस (RanikheT Virus) के चपेट में आने से 50 से 60 प्रतिशत मुर्गियों या अन्य पक्षियों का मरना तय माना जाता है.


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रानीखेत नाम रखने के पीछे अंग्रेजों ने रची थी साजिश
रानीखेत बीमारी का इतिहास 100 साल से भी ज्यादा पुराना रहा है. इसका पहला मामला 1926 को इंडोनेशिया के शहर जावा में पाया था. इसके बाद 1927 में इंग्लैंड के न्यूकैसल अपॉन टाइन शहर में दर्ज हुआ. अमेरिकी सरकार की NCBI वेबसाइट के मुताबिक, धीरे-धीरे यह बीमारी जापान, फिलीफींस, कोरिया, श्रीलंका और भारत समेत अन्य देशों में फैलने लगी.

वैज्ञानिकों ने जब इस वायरस को पहचाना तो उन्होंने इसका नाम  NDV (Newcastle Disease Virus) और बीमारी को 'न्यूकैसल' (Newcastle Disease) नाम दिया. जो इंग्लैंड के एक शहर (न्यूकैसल अपॉन टाइन) का नाम पर है. लेकिन यह बात अंग्रेंजो को रास नहीं आ रही थी. 

साल 1928 में जब उत्तराखंड के रानीखेत में मुर्गियों में यह बीमारी फैली तो ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने चालाकी से भारत के इस खूबसूरत टूरिस्ट प्लेस के नाम पर न्यू कैसल रोग का नाम बदलकर रानीखेत रोग रख दिया. तब से ही मुर्गियों में फैलने वाले इस वायरस को दुनिया के कुछ देशों में रानीखेत के नाम से जाना जाता है. 

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