डीएनए हिंदी: ब्रिटेन (Britain) अपने सबसे बुरे आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझता नजर आ रहा है. भारतीय मूल के ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री तो बन गए हैं लेकिन उनके सामने कई चुनौतियां हैं. ऋषि सुनक ब्रिटेन के 57वें प्रधानमंत्री के तौर पर मंगलवार को कार्यभार संभाला है. बोरिस जॉनसन के इस्तीफे के बाद से लेकर अब तक, यूनाइटेड किंगडम का न तो सियासी संकट संभला न ही आर्थिक.
सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी में विद्रोह के बाद लिज ट्रस को इस्तीफा देना पड़ा था. अब पूरे देश की नजरें ऋषि सुनक पर हैं कि क्या वह ब्रिटेन को इस संकट से बाहर निकाल पाते हैं या नहीं. ऋषि सुनक ने सत्ता संभालते ही ब्रिटेन संकट के लिए रूस-यूक्रेन युद्ध को जिम्मेदार ठहरा दिया है. उन्होंने कहा है कि इस युद्ध की वजह से बाजार अस्थिर है. कोविड संकट भी एक फैक्टर है.
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ऋषि सुनक ने कहा है कि कंजर्वेटिव पार्टी ने साल 2019 में अपने मेनिफेस्टो में जो चुनावी वादा किया था, उसे पूरा किया जाएगा. टोरीज़ ने बोरिस जॉनसन के नेतृत्व में ब्रेक्जिट डील को लेकर प्रतिबद्धता जताई थी. उन्होंने ब्रिटेन के मजबूत बनाने का वादा किया था. इन्हीं वादों को पूरा करने की चुनौती ऋषि सुनक के पास है.
क्या हैं ऋषि सुनक के सामने चुनौतियां?
1. नेशनल हेल्थ सर्विस को सुधारना
ऋषि सुनक को ब्रिटेन की स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने की चुनौती है. प्राइवेटाइजेशन के सापेक्ष पब्लिक हेल्थ पॉलिसी को लेकर अच्छी नीति बनाने की जरूरत है. अस्पतालों को अपग्रेड करना, नए अस्पतालों का निर्माण, नर्सिंग स्टाफ का वेतन बढ़ाने जैसी कई चुनौतियां उनके सामने हैं. सीमित बजट में इसे पूरा कर पाना, अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है.
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2. शिक्षा में व्यापक सुधार
ब्रिटेन के स्कूलों को भी मूलभूत सुधार की जरूरत है. स्कूल और शिक्षण संस्थाओं के कर्मचारी वेतन वृद्धि की मांग कर रहे हैं. अब लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था के बीच ऋषि सुनक, कितना इसे पूरा कर पाते हैं यह देखने वाली बात होगी.
3. बिगड़ती अर्थव्यवस्था को संभालना
ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. मजदूर वर्ग के लिए करों में कटौती, रिटायर लोगों के लिए पेंशन, बेहतर कौशल का विकास और बेरोजगारी को दूर करना, सरकार के लिए बड़ी चुनौती है.
4. सुरक्षित सड़कें
ब्रिटेन में हाल के दिनों में आपराधिक घटनाएं बढ़ी है. सड़कों पर पुलिसकर्मियों की नियुक्ति, जेलों का निर्माण और सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ी खर्चे की जरूरत है. ऋषि सुनक को इस पर तत्काल नीति बनानी होगी.
5. आप्रवास पर सख्त नियंत्रण
ब्रेक्जिट के लिए ब्रिटेन ने सबसे पहले वोटिंग की थी. कोविड संकट और यूक्रेन-रूस युद्ध ने पहले ही ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को झटका दिया था कि राजनीति संकट भी गहराने लगा. सरकार अर्थव्यवस्था को लेकर पहले से आशंकित है. ब्रिटेन में बड़ी संख्या में गैरकानूनी तौर पर अलग-अलग देशों के प्रवासी मजदूर रहते हैं. ऐसे में आप्रवास पर भी ऋषि सुनक को सख्त नियम अपनाने की जरूरत है.
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भारत के लिए अच्छे या बुरे हैं ऋषि सुनक?
देशों की नीतियां व्यक्तिगत संबंधों पर नहीं तय होती हैं. भारत के लिए लिज़ ट्रस और बोरिस जॉनसन का रुख जैसा होता, उससे अलग ऋषि सुनक नहीं साबित होंगे. आइए समझते हैं.
उनके आने से कितना बदलेगा भारत-ब्रिटेन संबंध?
1. भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर चल रही बातचीत अपने अधर में है. माइग्रेशन नीतियों में भी बदलाव देखने को मिल सकता है.
2. भारत अब टेक हब बनता नजर आ रहा है. ऋषि सुनक उन नेताओं में हैं जो चाहते हैं कि ब्रिटेन के लोग भी भारत जाकर सीखें. वह भारत और ब्रिटेन के बीच बेहतरीन प्रवासन संबंधों के पक्षधर हैं. स्टूडेंट वीजा को लेकर भी वे आशान्वित नजर आ रहे हैं.
3. किसी भी तरह की ट्रेड डील दोतरफा ही होती है. ऋषि सुनक यह वकालत कर चुके हैं कि भारत और ब्रिटेन एक-दूसरे की रणनीतियों को बेहतरीन तरीके से समझें.
4. भारत और ब्रिटेन के बीच रणनीतिक संबंध आजादी के बाद से ही बेहतर रहे हैं. ऋषि सुनक भी चाहते हैं कि भारत के साथ उनके संबंध बेहतर हो. हालांकि ब्रिटेन की सत्ता पर कोई भी प्रधानमंत्री बैठे, उसके भारत के बारे में खयाल एक से ही होंगे क्योंकि सिर्फ भारतीय मूल का होने की वजह से उनके संबंध भारत से बिगड़ या बन नहीं सकते हैं.
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