डीएनए हिंदी: 12 अगस्त की रात अंग्रेजी के मशहूर लेखक सलमान रुश्दी (Salman Rushdie) पर जानलेवा हमला हुआ था. अब न्यूयॉर्क स्टेट पुलिस ने हमलावर की पहचान कर ली है. 24 वर्षीय हमलावर फेयरव्यू का रहने वाला है. उसका नाम हदी मतार बताया जा रहा है. फिलहाल पुलिस fBI के साथ मिलकर इस मामले की छानबीन कर रही है. हमले के पीछे की वजह अब भी सामने नहीं आई है. बता दें कि हमले के बाद से सलमान रुश्दी की हालत गंभीर है. 75 वर्षीय रुश्दी को पेंसिलवेनिया के एरी में एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उनकी स्थिति के हिसाब से हमलावर के खिलाफ आरोप तय किए जाएंगे. जानिए क्या है ये पूरा मामला-
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कार्यक्रम के दौरान हुआ जानलेवा हमला
ये हमला कल रात अमेरिका के न्यूयॉर्क में हुआ. विवादित किताब द सैटेनिक वर्सेज (The Satanic Verses) के राइटर और बुकर पुरस्कार विजेता सलमान रुश्दी का उस वक्त स्टेज पर परिचय करवाया जा रहा था. तब एक आदमी मंच पर दौड़ते हुए आया और उसने छुरा घोंप दिया. 1980 के दशक से ही सलमान रुश्दी को आतंकियों की तरफ से जान से मारने की धमकी मिलती रही है.
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क्यों कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं सलमान रुश्दी?
सलमान रूश्दी ने 1988 में एक नॉवेल 'द सेटेनिक वर्सेज (The Satanic Verses)' लिखा था, जो इस्लाम पर आधारित है. इसे आज तक की सबसे विवादित किताबों में से एक माना जाता है और दुनिया के अधिकतर देशों में इस पर प्रतिबंध लग चुका है. इस नॉवेल को लिखने के लिए वे लगातार इस्लामी आतंकवाद के निशाने पर रहे हैं.
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30 लाख डॉलर का इनाम है रूश्दी को मारने के लिए
द सेटेनिक वर्सेज नॉवेल के लिए ईरान के दिवंगत सर्वोच्च नेता अयात्तुल्लाह रुहोल्लाह खोमैनी ने 1989 में उन्हें मारने के लिए फतवा जारी कर दिया था. इस फतवे में रूश्दी को मारने के लिए 30 लाख डॉलर का इनाम रखा गया था, जो आज भी चला आ रहा है.
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दस साल तक फतवे के कारण छिपे रहे रूश्दी
अपने सिर पर फतवे के कारण रूश्दी को करीब 10 साल तक दुनिया से छिपकर लगभग अज्ञातवास की तरह बिताना पड़ा, इस दौरान कई गंभीर घटनाएं हुईं. रूश्दी की किताब के ट्रांसलेटर्स पर हमला किया गया, किताब बेचने वाले बुकस्टोर्स पर बमबारी की गई.
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रूश्दी का एक नॉवेल रहा था सुपरहिट, जीता था बुकर प्राइज
रूश्दी का एक अन्य नॉवेल 'मिडनाइट चिल्ड्रन' जबरदस्त सुपरहिट आंका गया था. इस नॉवेल को 1981 में बुकर प्राइज (Booker Prize) से भी नवाजा गया. ब्रिटेन ने उन्हें हमेशा अपना सम्मानित नागरिक माना. इसी कारण साहित्य की सेवा के लिए 16 जून 2007 को महारानी एलिजाबेथ के जन्मदिन पर उन्हें नाइट (सर) की उपाधि से भी नवाजा जा चुका है.
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