Samajwadi Party Candidate List: जिन सीटों पर अखिलेश यादव ने उतारे उम्मीदवार, 2019 में वहां कैसा था हाल

Written By नीलेश मिश्र | Updated: Jan 31, 2024, 10:24 AM IST

Akhilesh Yadav

SP Candidate List 2024: समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने 16 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है.

डीएनए हिंदी: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए समाजवादी पार्टी ने सबसे पहले कदम बढ़ाते हुए अपने 16 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है. इन 16 में 3 नाम अखिलेश यादव के परिवार के भी हैं. दूसरी तरफ, उत्तर प्रदेश में INDIA गठबंधन के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर अभी भी ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है लेकिन अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय लोकदल को 7 और कांग्रेस को 11 सीटें देने का ऐलान कर दिया है. अखिलेश यादव ने उम्मीदवारों के नामों के ऐलान के साथ ही PDA यानी पिछला, दलित, अल्पसंख्यक के नारे को फिर से दोहराया है.

जिन 16 सीटों के लिए समाजवादी पार्टी ने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है 2019 में उसमें से 13 सीटें बीजेपी जीती थी. सपा को 2 और बसपा को एक सीट पर जीत मिली थी. हालांकि, तब सपा और बसपा गठबंधन में चुनाव लड़ी थीं. सपा अपनी पारंपरिक सीटें जैसे कि फिरोजाबाद और बदायूं भी हार गई थी. इस बार कुछ सीटों पर उम्मीदवारों को बदला भी गया है. संभल से शफीकुर्रहमान बर्क और मैनपुरी से डिंपल यादव मौजूदा सांसद हैं. इन दोनों को फिर से टिकट दिया गया है.

संभल
अक्सर विवादों में रहने वाले शफीकुर्रहमान बर्क इसी सीट से समाजवादी पार्टी के सांसद हैं. 93 साल के हो चुके बर्क को सपा ने एक बार फिर से चुनाव में उतारा है. बर्क इस सीट से 2009 में भी सांसद रहे हैं लेकिन 2014 में वह 5 हजार वोटों के अंतर से चुनाव हार गए थे. इसी सीट से 1998 और 1999 में खुद मुलायम सिंह यादव चुनाव जीते थे. 2004 में प्रोफेसर राम गोपाल यादव इसी सीट से लोकसभा चुनाव जीते थे.

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फिरोजाबाद
फिरोजाबाद सीट लंबे समय से सपा की मजबूत सीट रही है. 2009 में खुद अखिलेश यादव इसी सीट से जीतकर संसद पहुंचे थे. हालांकि, 2019 में शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच मनमुटाव के चलते शिवपाल यहां से अपने भतीजे अक्षय यादव के खिलाफ चुनाव लड़ गए और इसका फायदा बीजेपी को मिला. मौजूदा समय में यहां से बीजेपी के चंद्रसेन जादौन सांसद हैं. सपा ने एक बार फिर से अक्षय यादव को ही चुनाव में उतारा है.

मैनपुरी
मैनपुरी को सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की सीट के रूप में जाना जाता है. सपा इस सीट पर 1996 से चुनाव नहीं हारी है. 2022 में हुए उपचुनाव में डिंपल यादव इसी सीट से चुनाव जीतीं. इस बार फिर से वही उम्मीदवार हैं. 2019 में मुलायम सिंह यादव इसी सीट से जीते लेकिन 2022 में उनका निधन हो गया. सपा हर बार इस सीट को बड़े अंतर से जीतती आई है.

एटा
यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह के नाम से चर्चित इस सीट पर मौजूदा समय में उन्हीं के बेटे राजवीर सिंह बीजेपी के सांसद हैं. 1989 से अभी तक इस सीट पर दो बार सपा और एक बार कल्याण सिंह की जन क्रांति पार्टी जीती है. बाकी समय बीजेपी यहां पर कुल 6 बार चुनाव जीती थी. सपा ने इस बार देवेश शाक्य को यहां से चुनाव में उतारा है.

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बदायूं
1996 से समाजवादी पार्टी के कब्जे में रही इस सीट पर 2019 में बीजेपी को जीत मिली थी. मौजूदा समय में सपा के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य बदायूं से बीजेपी की सांसद हैं. बसपा से गठबंधन के बावजूद सपा के धर्मेंद्र यादव इस सीट से चुनाव हार गए थे. इस बार भी सपा ने धर्मेंद्र यादव को चुनाव में उतारा है.

खीरी
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी इसी सीट से लगातार दो बार से चुनाव जीत रहे हैं. सपा ने उत्कर्ष वर्मा को टिकट दिया है.

धौरहरा
नए परिसीमन के तहत यह सीट 2009 में बनी थी. कांग्रेस के जितिन प्रसाद पहली बार इस सीट से चुनाव जीते थे. 2014 के चुनाव में वह चौथे नंबर पर रहे थे और 2019 में तीसरे नंबर पर. अब जितिन प्रसाद बीजेपी में हैं और यूपी सरकार में मंत्री हैं. दो बार से यहां रेखा वर्मा चुनाव जीत रहे हैं. वहीं, सपा ने अखिलेश सरकार में मंत्री रहे आनंद भदौरिया को चुनाव में उतारा है. वह इसी सीट से 2014 में चुनाव हार चुके हैं.

लखनऊ
प्रदेश की राजधानी लखनऊ की लोकसभा सीट काफी अहम सीट मानी जाती है. हालांकि, बीते समय में यह सीट बीजेपी का गढ़ बन गई है. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ से दो बार से सांसद हैं. अटल बिहारी वाजपेयी 1991 से 2009 तक इसी सीट से सांसद रहे थे. बीजेपी 1991 से ही इस सीट पर चुनाव नहीं हारी है. पिछले दो चुनाव में राजनाथ सिंह को अपने विपक्षियों से लगभग दो गुना ज्यादा वोट मिले हैं. सपा ने इस बार लखनऊ से रविदास मेहरोत्रा को चुनाव में उतारा है. वह लखनऊ सेंट्रल सीट से सपा के विधायक हैं.

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उन्नाव
इस सीट से बीजेपी के साक्षी महाराज लगातार दो बार से चुनाव जीत रहे हैं. 2009 में यहां से कांग्रेस की सांसद रहीं अनु टंडन अब समाजवादी पार्टी में हैं. सपा ने अनु टंडन को ही लोकसभा चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है. अनु टंडन 2014 में चौथे और 2019 में तीसरे नंबर पर रही थीं. 

फर्रुखाबाद
अभी कांग्रेस और सपा के बीच सीट बंटवारे को लेकर खींचतान जारी है लेकिन सपा ने फर्रुखाबाद सीट से नवल किशोर शाक्य को चुनाव में उतार दिया है. कांग्रेस के सलमान खुर्शीद 2009 में यहां से सांसद थे लेकिन 2014 और 2019 में वह यहां से चुनाव हार चुके हैं. बीजेपी के मुकेश राजपूत दो बार से यहां से सांसद बन रहे हैं.

अकबरपुर
कानपुर की अकबरपुर लोकसभा सीट पर इस बार चुनाव रोमांचक हो सकता है. इस सीट से 2009 में कांग्रेस के सांसद रहे राजाराम पाल अब सपा में हैं और सपा ने उन्हें उम्मीदवार बना दिया है. 2014 और 2019 में बीजेपी के देवेंद्र सिंह इसी सीट से सांसद हैं. बिठूर विधायक अभिजीत सिंह सांगा भी इस सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने के दावेदारों में माने जा रहे हैं.

बांदा
बीजेपी पिछले दो चुनावों से इस सीट पर जीत रही है लेकिन दोनों चुनावों में उसने अपने उम्मीदवार बदले हैं. आर के सिंह पटेल 2009 में सपा के सांसद थे, 2014 में बसपा से लड़े और हार गए. 2019 में वह बीजेपी में शामिल हुए और चुनाव जीतकर सांसद बने. इस बार सपा ने शिवशंकर सिंह पटेल को चुनाव में उतारा है.

फैजाबाद
यह वही जगह है जहां राम मंदिर बना है और यह लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है. सपा इस सीट पर 1998 के बाद से चुनाव नहीं जीती है. 2 बार से इस सीट पर जीत रही बीजेपी को चुनौती देने के लिए सपा ने अपने मौजूदा विधायक अवधेश प्रसाद को चुनाव में उतारा है.

आंबेडकर नगर
सपा-बसपा के गठबंधन ने इस सीट पर 2019 में जीत हासिल की थी और बसपा के रितेश पांडेय यहां से सांसद बने थे. सपा के लिए अच्छी बात यह रही कि 2022 के विधानसभा चुनाव ने यहां की सभी पांच विधानसभा सीटें जीत लीं. सांसद रितेश पांडेय के पिता पूर्व सांसद राकेश पांडेय अब सपा के विधायक हैं. वहीं, मौजूदा विधायक लालजी वर्मा को सपा ने यहां से चुनाव में उतारा है.

बस्ती
2014  और 2019 में इस सीट से बीजेपी के हरीश द्विवेदी चुनाव जीते हैं. हालांकि, 2019 में वह 31 हजार वोटों के अंतर से चुनाव जीते थे. 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी यहां की 5 में से चार सीटें हार गई. ऐसे में यहां का चुनाव काफी रोमांचक हो सकता है. सपा ने यहां से राम प्रसाद चौधरी को चुनाव में उतारा है. पिछली बार वह इसी सीट से बीएसपी के उम्मीदवार थे लेकिन चुनाव हार गए थे.

गोरखपुर
योगी आदित्यनाथ का गढ़ कहे जाने वाले गोरखपुर पर सबकी नजरें हैं. आमतौर पर यहां मठ का कब्जा रहा है लेकिन 2018 के उपचुनाव में सपा ने प्रवीण निषाद को चुनाव में उतारा था और वह चुनाव जीत गई थी. 2019 में बीजेपी के टिकट पर उतरे भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार रवि किशन यहां से चुनाव जीते और खुद प्रवीण निषाद बीजेपी में शामिल हो गए. इस बार सपा ने भोजपुरी ऐक्ट्रेस काजल निषाद को चुनाव में उतारा है.

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