कोलकाता रेप और हत्या के मामले को लेकर लगातार जांच हो रहे हैं. सीबीआई की टीम लगातार आरोपियों और इस मामले से जुड़े लोगों से पूछताछ कर रही है. इसी कड़ी में सीबीआई ने पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष के साथ तीन दिनों तक लंबी पूछताछ की है. इन दिनों संदीप घोष को लेकर खूब चर्चा हो रही है. लगातार सवाल किए जा रहे हैं कि संदीप के पास ऐसे कौन से राज छिपे हुए हैं कि सीबीआई इतनी लंबी पूछताछ कर रही है. संदीप कोलकाता के उसी अस्पताल में पूर्व प्रिंसिपल हैं, जहां ट्रेनी डॉक्टर के साथ दरिंदगी को अंजाम दिया गया था. संदीप का पूरा करियर भ्रष्टाचार, अवैध कार्य और ताकत के गलत इस्तेमाल से जुड़ रहा है. इस मामले के बाद अब वो अपने आप में कानूनी जांच का विषय बने हुए हैं. आइए उनका प्रोफाइल जानते हैं.
संदीप घोष की कहानी
संदीप की पैदाइश कोलकाता से करीब 80 किमी दूर एक साधारण से गांव में हुई थी. उनके गांव का नाम बनगांव है. वो इसी गांव में पैदा हुए और यहीं से शुरुआती पढ़ाई की. साल 1989 में उन्होंने अपने गांव के स्कूल से ही हाई स्कूल पूरी की. उसके बाद आगे की पढ़ाई करने वो कोलकाता आ गए. कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में उन्होंने एमबीबीएस के कोर्स में दाखिला लिया. साल 1994 में उन्होंने अपनी डिग्री पूरी कर ली. उसके बाद से मेडिकल क्षेत्र में उनका करियर चल निकला.
उनकी एक पुरानी मित्र डॉ. बिदिशा दत्ता ने इंडिया टूडे मीडिया से बात करते हुए कहा कि 'वो और संदीप दोनों एक जमाने में बैचमेट हुआ करते थे.' उन्होंने आगे बताया कि 'कॉलेज के दिनों में हम दोनों में बहुत ज्यादा दोस्ती नहीं थी. हमने कभी भी उसे एक बदमाश छात्र के तौर पर नहीं देखा. ये हो सकता है कि पावर हासिल होने के बाद उसमें तब्दीली आई हो.' साथ ही उन्होंने बताया कि 'संदीप को पहली बार नेशनल मेडिकल कॉलेज के एमएसवीपी के तौर पर चुना गया था.'
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दो बार वापस लेना पड़ा था तबादला
संदीप के विरुद्ध प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग को कई शिकायतें प्राप्त हुई थीं. एक बार तो जांच कमेटी भी बनाई गई. लेकिन कुछ भी ठोस नहीं हो सका. दो बार संदीप को तबादले का ऑर्डर आया, दोनों ही बार उसे वापस ले लिया गया. ये उनके ऊपर तक की पकड़ और पैरवी का नतीजा था. सबसे खास बात ये रही कि जब भी तबादले का ऑर्डर उनके नाम आया तो छात्रों और इंटर्न्स के एक समूह की तरफ से संदीप के पक्ष में खूब प्रदर्शन किया गया.
सहकर्मी ने बताया 'माफिया'
संदीप घोष के संदर्भ में आरजी कर अस्पताल में कार्यरत प्रोफेसर डॉ अख्तर अली ने मीडिया से बहुत कुछ बताया है. अख्तर अली कॉलेज के पूर्व उपाधीक्षक हैं. उन्होंने बताया कि 'वो बेहद की भ्रष्ट शख्स हैं. वो स्टूडेंट को फेल कर देते थे, 20% कमीशन मांगते थे. टेंडर में मेडिकल कॉलेज और अस्पताल से जुड़े कार्यों के लिए पैसे लेते थे. गेस्ट हाउस में स्टूडेंट्स को शराब पहुंचवाई जाती थी. वो एक माफिया की तरह हैं, बेहद ताकतवर. पिछले साल 2023 में मैंने उनके विरुद्ध कम्पलेन की थी, जिसकी वजह से मेरा तबादला हो गया.'
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