September Rain: सितंबर की बारिश लेकर आएगी राहत की बौछार, कम होगी महंगाई 

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Sep 15, 2023, 07:49 PM IST

Rain And Inflation

September Rain Inflation: सितंबर की शुरुआत से देश के अलग-अलग हिस्सों में बारिश हो रही है.अगस्त में हुई कम बारिश की वजह से लोगों को गर्मी से परेशान होना पड़ा था. अब बारिश गर्मी ही नहीं बल्कि महंगाई से भी राहत लेकर आने वाली है. 

डीएनए हिंदी: सितंबर की बारिश से दिल्ली-एनसीआर ही नहीं देश के कई हिस्सों में लोगों ने गर्मी से राहत की सांस ली है. दूसरी ओर यह बारिश महंगाई से भी लोगों को राहत देने का काम कर सकती है. बारिश के बाद से खरीफ फसल के अच्छे पैदावार की उम्मीद की जा रही है. कृषि क्षेत्रों में सितंबर में हुई बारिश से भारत में खाने-पीने की चीजों के दाम की महंगाई कम होने की उम्मीद की जा रही है. बरीश के बाद चावल और सोयाबीन की बुआई क्षेत्र में वृद्धि हुई है. धान की बुआई का रकबा साल-दर-साल 2.7 फीसदी बढ़ा है और सोयाबीन का रकबा 1.3 फीसदी बढ़ा है. समझें सितंबर की बारिश का महंगाई से क्या कनेक्शन है. 

सितंबर की बारिश से महंगाई के आंकड़ों के कम होने की उम्मीद की जा रही है. माना जा रहा है कि अगले महीने जब रिटेल महंगाई के आंकड़ें सामने आएंगे तो यह 6 फीसदी तक से कम हो सकता है. खाने-पीने की चीजों के दामों का सीधा संबंध मानसून और बारिश से भी होता है. अतिवृष्टि और कम बारिश होने पर भी चीजों के दाम बढ़ जाते हैं. सितंबर में हुई अच्छी बारिश के बाद धान और सोयाबीन की बुआई क्षेत्र में बढ़ोतरी हुई है. माना जा रहा है कि इन दोनों फसलों का उत्पादन बढ़ेगा. चावल की अच्छी पैदावार देश ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण है. 

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अगस्त में कम बारिश ने बढ़ाई थी टेंशन 
अगस्त में पूरे देश में औसत से कम बारिश हुई थी. अगस्त में 36 फीसदी की कमी के साथ 122 वर्षों में सबसे बड़ा सूखा रहा था. मध्य भारत में अगस्त में 47 फीसदी की कमी देखी गई थी. दिल्लीःएनसीआर में कम बारिश का आलम यह था कि लोगों को अप्रैल जैसी गर्मी का अहसास हो रहा था और तापमान 38 से 40 डिग्री तक चला गया था. सितंबर में अब तक अलग-अलग हिस्सों में बारिश तो हो रही है लेकिन यह अभी भी औसत से कम ही है. सितंबर के पहले 15 दिनों में उत्तर-पश्चिम और पूर्व/उत्तर-पूर्व में अभी भी क्रमशः 30 फीसदी और 44 फीसदी की कमी है. 

बुआई और बारिश का क्या है कनेक्शन 
बारिश और बुआई का अपना कनेक्शन भी है. सभी फसलों का कुल बोया गया क्षेत्रफल 108.85 मिलियन हेक्टेयर है जो पिछले साल के 108.8 मिलियन हेक्टेयर से थोड़ा अधिक है. कृषि अर्थशास्त्रियों का कहना है कि बारिश से बेहतर फसल की उम्मीद जगती है. पिछले साल की तुलना में इस बार ज्यादा बुआई हुई है. हालांकि, फसल पकने तक की स्थितियों पर नजर रखना होगा. इसके अलावा, फसल तैयार होने में स्थानीय मौसम और परिस्थितियां भी जिम्मेदार होती हैं. पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और पंजाब में बारिश की कमी रही है. ये तीनों बड़े राज्य हैं और अगर कृषि पैदावार में कमी आती है तो इसका असर पड़ेगा. 

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बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में धान की ज्यादा बुआई की सूचना है. अगर बारिश की यह गति अगले कुछ दिनों तक जारी रहती है तो पिछले साल की तुलना में फसल ज्यादा हो सकती है. चावल की अच्छी खेती भारत के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि देश से चावल बड़े पैमाने पर अमेरिका समेत एशिया के कई देशों में निर्यात किया जाता है.

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