Shinzo Abe Dies: भारत-जापान के बीच संबंध सुधारने में कितना अहम था शिंजो आबे का रोल, कैसी थी PM Modi के साथ बॉन्डिंग?

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jul 08, 2022, 04:58 PM IST

प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी और शिंजो आबे. (फाइल फोटो)

Shinzo Abe: जापान के इतिहास में शिंजो आबे सबसे सफल नेताओं में शुमार रहे हैं. वैश्विक स्तर पर संबंध सुधारने में उनका अहम योगदान रहा है.

डीएनए हिंदी: जापान (Japan) के पूर्व प्रधान मंत्रीशिंजो आबे (Shinzo Abe) का निधन हो गया है. शुक्रवार सुबह एक चुनावी सभा के दौरान उनपर जानलेवा हमला हुआ और वे गंभीर रूप से जख्मी हो गए. 67 साल की उम्र में उनकी मौत हो गई. वह नारा शहर में एक चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे तभी एक शख्स ने उन्हें गोली मार दी. शिंजो आबे पर हमला नारा शहर के यमातोसैदाईजी स्टेशन के पास करीब लगभग 11.30 पर हुआ है. वह लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार के चुनाव अभियान के लिए भाषण दे रहे थे, जब हमलावर ने उन्हें निशाना बनाया. पुलिस के मुताबिक आबे को पीठ में एक के बाद एक लगातार दो गोली लगी, जिसके बाद वे जमीन पर गिर गए.

पुलिस ने इस संबंध में एक 41 वर्षीय शख्स को गिरफ्तार भी किया है. दावा किया जा रहा है कि हत्यारे की पहचान भी हो गई है. जापानी मीडिया के मुताबिक हत्यारे का नाम तेत्सुया यामागामी है. वह पूर्व नौसैनिक था. 

विश्वयुद्ध के बाद के इतिहास में शिंजो आबे का नाम जापान के सबसे सफल नेताओं में शामिल है. उनका कार्यकाल सबसे लंबा रहा है. वह साल 2006 से लेकर 2007 तक और 2012 से लेकर 2020 तक प्रधानमंत्री रहे हैं. शिंजो आबे ने अगस्त 2020 में ऐलान किया था कि वह प्रधानमंत्री पद छोड़ रहे हैं. वह एक दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे थे. जब वह 65 साल के थे तभी उन्होंने पद छोड़ दिया था. उनका कार्यकाल सितंबर 2021 में खत्म होने वाला था.

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भारत के साथ संबंध सुधारने में अहम था शिंजो आबे का रोल

शिंजो आबे का भारत के प्रति हमेशा से झुकाव रहा था. उनके कार्यकाल में भारत-जापान संबंध अपने बेहतरीन दौर में था. वह भारत को पसंद करते थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी उनके संबंध अच्छे रहे हैं. वैश्विक मंचों पर दोनों नेताओं के बीच अच्छी बॉन्डिंग नजर आती थी.

जब शिंजो आबे ने अपने पद से इस्तीफा दिया था तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, 'प्रिय मित्र शिंजो आबे. आपके खराब स्वास्थ्य के बारे में सुनकर दुख हुआ. आपके नेतृत्व और व्यक्तिगत प्रतिबद्धता की वजह से भारत और जापान के साथ रिश्ते बेहतर रहे हैं. भारत-जापान साझेदारी पहले से कहीं अधिक गहरी और मजबूत हुई है. मैं आपके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना और प्रार्थना करता हूं.'


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शुक्रवार को, जैसे ही शिंजो आबे पर हमले की खबर फैली, मोदी ने ट्वीट किया, 'मेरे प्रिय मित्र शिंजो आबे पर हमले से बहुत व्यथित हूं. हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं उनके, उनके परिवार और जापान के लोगों के साथ हैं.'

कैसे बदल गए भारत-जापान के रिश्ते?

2006-07 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान, आबे ने भारत का दौरा किया. अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान शिंजो आबे भारत के साथ संबंधों को बेहतर करने के लिए कोशिश करते नजर आए. भारत में उन्होंने कई दिन बताए. अपने चाचा ईसाकू सातो (Isaku Sato) के रिकॉर्ड को भी शिंजो आबे ने तोड़ दिया था. उन्होंने तीन बार भारत का दौरा किया था. जनवरी 2014, दिसंबर 2015 और सितंबर 2017 में शिंजो आबे भारत में आए थे. जितनी यात्राएं उन्होंने भारत की हैं, उतनी यात्राएं किसी भी जापानी प्रधानमंत्री ने नहीं की है.

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वह 2014 में गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि बनने वाले पहले जापानी पीएम थे. यह भारत के संबंध के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है. उनकी मेजबानी एक ऐसी सरकार द्वारा की जा रही थी जो मई 2014 में चुनावों का सामना करने वाली थी. जापान के नेता के रूप में, उन्होंने भारत में जांचा और परखा. डॉ मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी दोनों के कार्यकाल में उन्होंने भारत के साथ संबंध बेहतर रखा.

जापान और भारत के बीच वैश्विक साझेदारी की नींव साल 2001 में रखी गई थी. साल 2005 में द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन हुए थे. 2012 के बाद शिंजो आबे ने भारत के साथ संबंधों को सुधारने पर जोर दिया.


अगस्त 2007 में, जब शिंजो आबे पहली बार प्रधानमंत्री के तौर पर भारत आए तो उन्होंने हिंद-प्रशांत महासागर की दोस्ती की अवधारणा को मजबूती दी. अब भारत और जापान के बीच संबंध सबसे बेहतर संबंधों में गिने जाते हैं. दूसरे कार्यकाल के दौरान शिंजो आबे ने भारत के साथ मजबूत दोस्ती की नींव रखी.

पीएम मोदी के साथ कैसे रहे शिंजो आबे के रिश्ते?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के प्रधानमंत्री थे तब वह कई बार जापान का दौरा कर चुके थे. जब नरेंद्र मोदी साल 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने सितंबर 2014 में भारत का दौरा किया. यह प्रधानमंत्री की पहली विदेश यात्रा रही. दोनों नेताओं के बीच हुई वार्ता का नतीजा अच्छा निकला. द्विपक्षीय वार्ता में रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को बढ़ाने पर जोर दिया गया.

जापान के साथ नागरिक परमाणु ऊर्जा से लेकर समुद्री सुरक्षा तक दोनों नेताओं ने कई अहम समझौते किए. बुलेट ट्रेन से लेकर बेहतरीन इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर दिया गया. इंडो-पैसिफिक रणनीति को सुधारने की कोशिश की गई. दोनों नेताओं के बीच रिश्तों ने भारत-जापान संबंधों को नई दिशा दी.

कैसी रही है डिफेंस डील?

साल  2008 में भारत-जापान के बीच एक डिफेंस डील हुई थी. अधिग्रहण और क्रॉस-सर्विसिंग समझौते पर बातचीत भी की गई. आर्मी डील भी हुई. नवंबर 2019 में, पहली विदेश और रक्षा मंत्रियों की बैठक नई दिल्ली में आयोजित की गई थी. 2015 में रक्षा उपकरण और टेक्नोलॉजी के ट्रांसफर के लिए एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए थे, जो जापान के लिए एक असामान्य समझौता था.

आबे के कार्यकाल के दौरान, भारत और जापान इंडो-पैसिफिक आर्किटेक्चर की वजह से करीब आ गए. आबे ने अपने 2007 के भाषण में दो समुद्रों के संगम के अपने दृष्टिकोण पर बात रखी थी. क्वाड के गठन में भी उनका अहम योगदान माना जाता है. अक्टूबर 2017 में जैसे ही प्रशांत, हिंद महासागर और डोकलाम में भारत की सीमाओं में चीनी आक्रामकता बढ़ी, यह आबे थे जिन्होंने क्वाड को पुनर्जीवित करने का फैसला किया. नवंबर 2017 में, इसे भारतीय, जापानी, ऑस्ट्रेलियाई और अमेरिकी अधिकारियों के ने फिर से सक्रिय करने का फैसला किया.

चीन के साथ गतिरोध पर भारत के साथ खड़ा जापान

2013 से, भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच चार सार्वजनिक रूप से ज्ञात सीमा-गतिरोध हैं. अप्रैल 2013, सितंबर 2014, जून-अगस्त 2017, और मई 2020 में चीन के साथ तनाव अपने उच्चतम स्तर पर रहा है. शिंजो आबे के नेतृत्व में जापान भारत के साथ हमेशा खड़ा रहा. डोकलाम संकट और मौजूदा गतिरोध के दौरान जापान ने यथास्थिति को बदलने के लिए चीन के खिलाफ बयान दिए हैं.

और किन मुद्दों पर भारत के साथ है जापान?

2015 में आबे की यात्रा के दौरान, भारत ने बुलेट ट्रेन शुरू करने का फैसला किया. आबे के नेतृत्व में, भारत और जापान ने भी एक्ट ईस्ट फोरम का गठन किया और पूर्वोत्तर में परियोजनाओं को शुरू किया. यहां के हर प्रोजेक्ट पर चीन की नजर है. चीन का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत और जापान ने मालदीव और श्रीलंका में कई संयुक्त परियोजनाओं की आधारशिला रखी है.

भारत ने शिंजो आबे को हमेशा दिया है सम्मान|

भारत के लिए शिंजो आबे हमेशा खास रहे हैं. वह सबसे पसंदीदा जी-7 नेता रहे हैं. वह आर्थिक, रणनीतिक और राजनीतिक स्तर पर हमेशा भारत के साथ खड़े रहे. वह भारत के घरेलू विकास को लेकर आशान्वित रहे हैं.  यामानाशी में अपने पैतृक घर में प्रधानमंत्री मोदी की मेजबानी भी उन्होंने की थी. उनकी तरह किसी ने ऐसा स्वागत नहीं किया था. शिंजो आबे के लिए अहमदाबाद में रोड शो किया गया था. 

भारत सरकार ने जनवरी 2021 में आबे के लिए देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण की घोषणा की. शिंजो आबे के साथ मोदी की आखिरी मुलाकात इस साल 24 मई को हुई थी, जब प्रधानमंत्री ने उनसे टोक्यो में क्वाड शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात की थी.

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