Shiv Sena Row: सुप्रीम कोर्ट से भी मिली शिंदे गुट को शिवसेना, क्या छीन पाएंगे ठाकरे से संपत्ति भी, 5 पॉइंट्स में जानिए

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Feb 22, 2023, 05:41 PM IST

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Shiv Sena Offices Row: आयोग से शिवसेना का नाम-चिह्न मिलने के बाद शिंदे गुट ने विधानसभा-संसद के दफ्तर ठाकरे गुट से छीन लिए हैं.

डीएनए हिंदी: Shiv Sena News- भारतीय निर्वाचन आयोग (Election Commission Of India) की तरफ से शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न एकनाथ शिंदे गुट को सौंपने के फैसले पर 'सुप्रीम मुहर' भी लग गई है. इस फैसले को स्टे करने की उद्धव ठाकरे गुट की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. इससे एक बार फिर यह सवाल उठने लगा है कि नाम-चिह्न हासिल करने के बाद क्या अब शिंदे गुट शिवसेना की संपत्तियों को भी अपने कब्जे में ले पाएगा. दरअसल यह सवाल शिंदे गुट की तरफ से महाराष्ट्र विधानसभा और दिल्ली संसद भवन में शिवसेना को मिले दफ्तरों पर मंगलवार को अपना कब्जा जमा लेने के बाद से उठ रहा है. ऐसे में चर्चा है कि शिंदे गुट शिवसेना के राष्ट्रीय कार्यालय और बीएमसी में शिवसेना कार्यालय समेत पार्टी की तमाम चल-अचल संपत्ति अपने कब्जे में लेने की कोशिश कर सकता है. हालांकि एक्सपर्ट्स की मानी जाए तो यह नामुमकिन है. आइए 5 पॉइंट्स में जानते हैं क्यों ऐसा नहीं हो सकता.

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1. पहले जान लीजिए शिवसेना के पास है कितनी संपत्ति

शिवसेना के पास पूरे महाराष्ट्र में 82 और मुंबई में 280 छोटे-बड़े दफ्तर हैं. इन सभी की कीमत अरबों रुपये है. हालांकि साल 2020-21 में ADR ने अपनी रिपोर्ट में शिवसेना के पास 191 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति बताई थी. शिवसेना ने चुनाव आयोग में 17 फरवरी, 2022 को वित्त वर्ष 2020-21 की ऑडिट रिपोर्ट दाखिल की थी. इस रिपोर्ट में पार्टी को विभिन्न माध्यमों से 13 करोड़ 84 लाख 11 हजार रुपये हासिल हुए थे, जिनमें से 7 करोड़ 91 लाख 50 हजार रुपये का खर्च पार्टी ने पार्टी के संचालन में खर्च दिखाया है.  

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2. क्यों नहीं मिल सकती शिंदे गुट को संपत्ति

शिवसेना के ज्यादातर दफ्तर पार्टी की संपत्ति ना होकर किसी ने किसी ट्रस्ट के संचालन में हैं यानी शिवसेना इनमें महज किरायेदार की तरह है. इसी तरह पार्टी का मुखपत्र कहलाने वाले सामना अखबार और कार्टून मैगजीन 'मार्मिक' को भी प्रबोधन प्रकाशन नाम की ट्रस्ट चलाती है. दादर स्थित पार्टी मुख्यालय शिवसेना भवन का मालिकाना हक भी शिव सेवा ट्रस्ट के पास है. इसे लेकर हाल ही में एक वकील योगेश देशपांडे ने सिटी चैरिटी कमिश्नर को लिखित में शिकायत भी दी है कि एक पब्लिक ट्रस्ट की संपत्ति को राजनीतिक गतिविधि के लिए कैसे इस्तेमाल किया जा रहा है. महाराष्ट्र पब्लिक ट्रस्ट एक्ट इसकी इजाजत नहीं देता है. इस ट्रस्ट में शिंदे गुट के लोग शामिल नहीं हैं. 

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3. सुप्रीम कोर्ट के सामने भी रखा गया था संपत्ति का मसला

उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में शिंदे गुट के शिवसेना की संपत्तियों पर कब्जे का भी मसला उठाया है. इस मुद्दे पर मंगलवार को जल्दी सुनवाई की मांग करते हुए ठाकरे गुट के वकीलों कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने यह मुद्दा चीफ जस्टिस की बेंच के सामने उठाया था. उन्होंने विधानसभा और संसद में शिंदे गुट के शिवसेना के कार्यालयों पर कब्जा करने की जानकारी बेंच को दी थी और कहा था कि जल्दी सुनवाई नहीं हुई तो उनके बैंक खाते भी छीन लिए जाएंगे.

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4. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को की है इस मुद्दे पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने ठाकरे गुट की याचिका पर बुधवार को सुनवाई की है. इसमें चुनाव आयोग के शिवसेना नाम और उसका चुनाव चिह्न शिंदे गुट को सौंपने के फैसले को परखा गया है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मंगलवार को ही कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी के तत्काल सुनवाई की मांग पर कहा कि पहले वह इस केस से जुड़ी फाइलें पढ़ना चाहते हैं. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट बेंच ने आयोग के फैसले पर स्टे लगाने की मांग को खारिज कर दिया. बेंच ने कहा कि वह दोनों पक्ष सुनने के बाद ही फैसला लेगी. शिंदे गुट से दो सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है.

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5. शिंदे गुट का क्या है संपत्तियों को लेकर रुख

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे गुट के कब्जे वाली संपत्तियों पर दावा नहीं करने की बात कही है. उन्होंने कहा, हमें पार्टी की संपत्ति और फंड का लालच नहीं है. हमने उद्धव सेना से अलग होने का कदम इसलिए उठाया था, क्योंकि हम बाल ठाकरे की विचारधारा को आगे बढ़ाना चाहते हैं. ये (उद्धव ठाकरे) वे लोग हैं, जिन्होंने साल 2019 में लालच में आकर गलत कदम उठाया था. 

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