Jaipur Special: जयपुर को भले ही जयसिंह ने बसाया, लेकिन इस मुस्लिम ने दी खूबसूरत 'इस्माइल'

Written By रईश खान | Updated: Oct 18, 2024, 12:06 AM IST

सांकेतिक तस्वीर

Jaipur History: राजस्थान की राजधानी जयपुर का इतिहास बहुत लंबा रहा है. इसे 'पिंक सिटी' के नाम से भी जाना जाता है. इसे खूबसूरत बनाने में सर मिर्जा इस्माइल का अहम रोल था.

जयपुर शहर दुनिया भर में खूबसूरत धरोहरों के लिए जाना जाता है. इस शहर की स्थापना भले ही राजा सवाई जयसिंह ने 1727 में की हो, लेकिन इसे संवारने का काम सर मिर्जा इस्माइल ने किया था. बीसवीं सदी में मिर्जा इस्माइल जयपुर रियासत के दीवान थे. मान सिंह द्वितीय ने उन्हें दीवान बनाया था. उस समय दीवान को प्रधानमंत्री भी कहा जाता था. जयपुर बसाए जाने के बाद उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती उसे खूबसूरत ढांचे में ढालने की थी और इस काम के लिए मिर्जा को जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

इतिहासकारों की मानें तो सर मिर्जा इस्माइल ने रामनिवास बाग को खूबसूरत बनाने के लिए जंगली पेड़ों को कटवाकर पक्की सड़कें बनवाई थीं. एक बड़ा सा दरवाजा लगवाया. जिससे रामनिवास बाग सीधा नजर आता है. शहर में पक्की दुकानें बनवाई गईं. पेड़-पौधे लगवाए जो एक दीवार की तरह नजर आने लगे. रामनिवास बाग का दरवाजा इस तरह बनावाया गया, ताकि उससे निकलते ही त्रिपोलिया और म्यूजियम (अल्बर्ट हॉल) सीधा दिखाई दे.

कौन थे सर मिर्जा इस्माइल?
सर मिर्जा जयपुर रियासत ही नहीं बल्कि मैसूर और हैदराबाद रियासत दीवान भी रहे थे. उनका पूरा नाम सर मिर्जा मुहम्मद इस्माइल अमीन-उल-मुल्क था, जो एक पुलिस अधिकारी थे. उस दौरान पूरी दुनिया खबर फैल रही थी कि मैसूर रियासत को संभालने में सर मिर्जा इस्माइल का अहम रोल है. मानसिंह के कानों में भी जब ये बात पहुंची तो उन्होंने इस्माइल को जयपुर का दीवान बनाने का न्योता भेजा.


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मिर्जा इस्माइल ने भी उनका न्योता कबूल कर लिया. इसके बाद 19 जून 1942 को उन्हें प्रधानमंत्री बनाकर रियासत में लाया गया. यहां आते ही उनको सबसे बड़ी जिम्मेदारी जयपुर की खूबसूरती संवारने की मिली. उन्होंने भी एक अधिकारी तौर पर काम करते हुए शहर में बस्तियों को इस तरह बसाया जो दिखने में खूबसूरत लगें. किले, म्यूजियम जैसे इमारतों को इसी तरह डिजाइन किया गया.

सर मिर्जा इस्माइल का 24 अक्टूबर 1883 को जन्म हुआ था. वे आगा जान के बेटे थे. मैसूर के सेंट बेटरिक स्कूल में उनकी शिक्षा हुई. उनकी विचाराधरा सबको साथ लेकर चलने की थी. यही वजह है कि उनके नाम से जयपुर में एक बड़ा प्रसिद मार्ग है. जिसे एमआई रोड कहते हैं. इस मार्ग का पूरा नाम सर मिर्जा इस्माइल रोड था. लेकिन इस साल बीजेपी सरकार ने इसका नाम बदल दिया. मिर्जा की 5 जनवरी 1959 को मृत्यु हो गई.

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