Sri Lanka Crisis: तबाह हो गई श्रीलंका की अर्थव्यवस्था, क्यों इन देशों में गहराने वाला है आर्थिक संकट?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jul 09, 2022, 11:17 PM IST

श्रीलंका में अब नहीं संभल रहे हैं आर्थिक हालात, सड़कों पर उमड़े लोग.

Russia Ukraine Crisis: रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग में कई देशों की अर्थव्यवस्था तबाह हो गई है. कई राज्यों में भोजन, ईंधन और दूसरे उत्पादों की कीमतें बढ़ गई हैं.

डीएनए हिंदी: श्रीलंका का आर्थिक संकट (Sri Lanka Crisis) अब ऐसे मोड़ पर पहुंच चुका है जहां से सुधार की सारी संभावनाएं खत्म नजर आ रही हैं. देश दिवालिया हो गया है और अब सरकार विरोधी प्रदर्शनों ने देश को मुश्किल में डाल दिया है. सरकार के पास न तो इतने पैसे बचे हैं कि वह पेट्रोल-डीजल खरीद सके, न ही श्रीलंका के लोगों के पास अब पैसे बचे हैं कि वे खरीदने में सक्षम हों. तेल की किल्लत की वजह से छात्र अपने स्कूल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) ने भी श्रीलंका की मदद करने से हाथ पीछे खींच लिया है. लाओस और पाकिस्तान से लेकर वेनेजुएला और गिनी तक, दुनिया भर की कई अर्थव्यवस्थाओं के लिए खतरे की घंटी बज रही है.

94 देशों में लगभग 1.6 बिलियन लोग खाद्य-बिजली संकट और बुरी अर्थव्यवस्था का सामना कर रहे हैं. लोग आर्थिक संकट की वजह से कई मोर्चों पर बुरी स्थिति में फंसे हैं. वहां हालात और बदतर होने की आशंका है. लोग जरूरी चीजों की किल्लत झेलने वाले हैं. आर्थिक संकट से ऐसे देशों को उबारने में वैश्विक संगठनों को भी पसीना छूट सकता है.

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क्यों बदहाली का सामना कर रहे हैं कुछ देश?

कोविड महामारी (Covid-19 Pandemic) की वजह से कई देशों की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है. श्रीलंका संकट की सबसे बड़ी वजह वहां के पर्यटन उद्योग का ध्वस्त होना है. रूस-यूक्रेन (Russia Ukraine War) के बीच जारी जंग में लगाई गई कई आर्थिक पाबंदियों ने भी वहां की स्थिति को तबाह कर दिया है. टूरिज्म से लेकर बिजनेस सेक्टर तक कई देशों में प्रभावित हैं. आइए जानते हैं कि किन देशों की अर्थव्यवस्था बदहाली की कगार पर पहुंच गई है.

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अफगानिस्तान

तालिबान के नियंत्रण में आने के बाद से अफगानिस्तान एक गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है क्योंकि पिछले साल अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों ने अपनी सेना वापस ले ली थी. अफगानिस्तान को व्यापक स्तर पर सीधी मदद नहीं मिल रही है. सरकारों ने कई तरह की पाबंदियों का ऐलान किया है. बैंकिंग सिस्टम पूरी तरह से प्रभावित है. व्यापार पंगु हो गया है. तालिबान सरकार को मान्यता देने से कई देश कतरा रहे हैं. अमेरिका ने अफगानिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में 7 बिलियन डॉलर की राशि को फ्रीज कर दिया है. 39 मिलियन से ज्यादा लोग खाद्य संकट का सामना कर रहे हैं. सरकारी कर्मचारियों को वेतन तक नहीं मिल पा रही है.

अर्जेंटीना

अर्जेंटीना में हर 10 में 4 नागरिक गरीब हैं. विदेशी निवेश न के बराबर है. विदेशी मुद्राकोष रिक्त हो रहा है. मुद्रा लगातार कमजोर पड़ती जा रही है. इस साल महंगाई 70 फीसदी से ज्यादा रहने वाली है. यह देश IMF से 44 मिलियन का कर्ज मांग रहा है जिसे देने से वैश्विक संगठन इनकार कर रहा है क्योंकि दावा यह किया जा रहा है कि यह देश कर्ज नहीं लौटा सकेगा.

मिस्र

मिस्र की मुद्रास्फीति की दर अप्रैल में लगभग 15% तक बढ़ गई है, जिसकी वजह से लोग परेशान हैं. गरीब लोग और गरीब होते जा रहे हैं. केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए ब्याज दरें बढ़ाईं और मुद्रा का अवमूल्यन किया, जिससे मिस्र के बड़े विदेशी ऋण को चुकाने में बेहद मुश्किलें आईं. मिस्र का शुद्ध विदेशी भंडार गिर गया है.

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और कितने देशों की डूबने वाली है अर्थव्यवस्था?

इन देशों के अलावा लाओस, लेबनान, म्यांमार, पाकिस्तान, तुर्की और जिम्बाब्वे जैसे देशों की अर्थव्यवस्था बर्बादी की कगार पर है. इन देशों का विदेशी मुद्रा भंडार अप्रत्याशित रूप से कम हुआ है. मंहगाई इन देशों में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. अगर समय रहते सरकार ने कोशिश नहीं की तो श्रीलंका जैसी स्थिति यहां भी पैदा हो सकती है.

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