केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को वन नेशन, वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. माना जा रहा है कि कैबिनेट में मंजूरी मिलने के बाद इससे संबंधित विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है. सूत्रों के अनुसार ये भी जानकारी सामने आई है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो वन नेशन, वन इलेक्शन लिए मौजूदा सभी विधानसभाओं के कार्यकाल को भढ़ाया जा सकता हैं.
वन नेशन, वन इलेक्शन के प्रस्ताव का कई राजनीतिक दलों ने विरोध किया है तो वहीं कई राजनैतिक दलों ने इसका समर्थन भी किया है. इसी कड़ी में सपा और बसपा दो ऐसी पार्टियां हैं जिनका समर्थन इस प्रस्ताव को मिला हैं. वहीं कांग्रेस समेत कई ऐसे राजनैतिक दल हैं जो इसके विरोध में खड़े हुए हैं.
दरअसल न नेशन वन इलेक्शन पर सपा प्रवक्ता रविदास मेहरोत्रा ने कहा कि समाजवादी पार्टी भी इसके पक्ष में है. हम भी चाहते हैं कि वन नेशन वन इलेक्शन हों. पिछले 10 साल से बीजेपी केवल इसे पास कर रही है, लेकिन कुछ हकीकत में हुआ नहीं. विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ हों.
वन नेशन, वन इलेक्श के का समर्थन करने हुए बसपा प्रमुख मायावती ने कहा है कि देश में लोकसभा और विधानसभा के साथ स्थानीय निकाय का चुनाव एक साथ कराने वाले प्रस्ताव को मंजूरी पर बहुजन समाज पार्टी का रुख सकारात्मक है. देश और जनहित में ऐसा होता है तो उनकी पार्टी इसके समर्थन में है.
अगर ये शीतकालीन सत्र में ये विधेयक पास हो गया तो केंद्र सरकार 2029 तक देश में लोकसभा के साथ सारे राज्यों के विधानसभा चुनाव करवा सकती है. इस हिसाब से अगर ऐसा हुआ तो उत्तर प्रदेश में फरवरी-मार्च 2027 में संभावित अगले विधानसभा चुनाव की जगह दो साल आगे 2029 में चुनाव होंगे.
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