Mumbai Metro Car Shed Project: क्या है मुंबई का मेट्रो कार शेड प्रोजेक्ट? आरे कॉलोनी में शिफ्ट करने को लेकर क्यों छिड़ा है विवाद

Written By कुलदीप सिंह | Updated: Jul 07, 2022, 10:29 AM IST

What is Aarey controversy: शिंदे सरकार ने उद्धव सरकार के मेट्रो कार शेड बनाने पर रोक के फैसले को पलट दिया हैं. सुप्रीम कोर्ट से भी प्रोजेक्ट को लेकर राहत मिल चुकी है.  

डीएनए हिंदीः महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने उद्धव सरकार का एक बड़ा फैसला पलट दिया है. आरे कॉलोनी (Aarey Forest) में मेट्रो कार शेड (Mumbai Metro Project) बनाने पर लगी रोक को हटा दिया गया है. देवेन्द्र फडणवीस जब महाराष्ट्र के सीएम थे तो यह प्रोजेक्ट उनके ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल रहा था. अब एक बार फिर यह मामला सुर्खियों में आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में शिंदे सरकार को राहत दे दी है. आखिर ये प्रोजेक्ट क्या है और इस पर इतना विवाद क्यों हो रहा है. विस्तार से समझते हैं.  

क्या है मेट्रो कार शेड प्रोजेक्ट?
मुंबई मेट्रो द्वारा मुंबई मेट्रो 33.5 किलोमीटर लंबे कोलाबा-बांद्रा-सीप्ज अंडरग्राउंड मेट्रो लाइन के लिए एमएमआरडीए द्वारा एक मेट्रो कार शेड बनाया जा रहा है. पहले ये प्रोजेक्ट आरे कॉलोनी (Aarey Colony) में बनना था. बाद में उद्धव सरकार में इसे कांजुरमार्ग शिफ्ट कर दिया. दरअसल आरे को मुंबई का दिल कहा जाता है. मुंबई शहर के अंदर बसा यह एक ग्रीन लैंड है. यहां करीब पांच लाख पेड़ हैं. पर्यावरणविदों का मानना है कि प्रोजेक्ट सीधा लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा है. मेट्रो कॉर्पोरेशन की तरफ से यहां पेड़ों को काटने का कम शुरू किया गया था. जिसका काफी विरोध हुआ और मामला कोर्ट तक पहुंच गया. साल 2019 में शिवसेना ने मेट्रो कार शेड को आरे कॉलोनी से शिफ्ट करने का वादा किया था. जब उद्धव ठाकरे सत्ता में आए तो उन्होंने मेट्रो कार शेड प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया. बाद में एकनाथ शिंदे सरकार में आए तो उन्होंने फिर इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी.  

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क्यों हो रहा विरोध 
करीब 1800 एकड़ में फैले आरे जंगल तेंदुओं का अलावा जानवरों की 300 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं. यहां कुछ झीलें भी मौजूद हैं. यहां पांच लाख से अधिक पेड़ मौजूद हैं. पर्यावरणविदों का तर्क है कि पेड़ों को काटना न केवल पर्यावरण के लिए खतरनाक होगा, बल्कि इससे मुंबई के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास बाढ़ जैसा खतरा पैदा हो जाएगा. उनका कहना है कि इन पेड़ों की वजह से बारिश का पानी ठहर जाता है. अगर पेड़ नहीं होंगे तो बारिश का अतिरिक्त पानी मीठी नदी में जाएगा. इससे क्षेत्र में बाढ़ का खतरा पैदा हो जाएगा. आरे में उद्यान, पशुपालन, नर्सरी और झीलें हैं. पिकनिक स्पॉट के रूप में छोटा कश्मीर नाम का एक स्थान है, जो चारों ओर से हरी-भरी हरियाली और झील से घिरा हुआ है और पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण है. इसके साथ ही आरे से सटा एक चिड़ियाघर और संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान भी है.  

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प्रोजेक्ट की क्यों पड़ी जरूरत 
मेट्रो ने 2014 में वर्सोवा से घाटकोपर तक परियोजना का पहला चरण शुरू किया जो शुरू हो चुका है. जब इस प्रोजेक्ट का विस्तार किया गया तो मेट्रो को पार्किंग शेड की जरूरत थी. इसके लिए पूरे मुंबई में तलाश की गई लेकिन प्रोजेक्ट से जुड़ी कंपनी को आरे कॉलोनी में शेड निर्माण के लिए सही जगह मिली. बाद में बीएमसी ने भी पेड़ काटने की मंजूरी दे दी. मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के प्रस्ताव के मुताबिक कुल 2702 पेड़ों में से 2,238 पेड़ों को काटा जाना था. बाकी को यहां से ट्रांसफर करना पड़ा. जैसे ही इसकी जानकारी लोगों को मिली तो उन्होंने इस प्रोजेक्ट विरोध करना शुरू कर दिया.  

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नेहरू ने रखी थी आरे कॉलोनी की नींव
1951 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने मुंबई में डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए आरे मिल्क कॉलोनी की नींव रखी. तब उन्होंने पौधरोपण किया था. उनके बाद धीरे-धीरे और लोगों ने भी पौधे लगाने शुरू कर दिए. देखते ही देखते पूरा इलाका जंगल में बदल गया. बता दें कि आरे मिल्क कॉलोनी में 12 गांव या इलाके शामिल हैं. इनमें साई, गुंडगांव, फिल्मसिटी, रॉयल पाम्स, डिंडोशी, आरे, पहाड़ी गोरेगांव, व्यारावल, कोंडिविता, मरोशी या मरोल, परजापुर और पासपोली का नाम शामिल है. 1977 में इस क्षेत्र में फिल्मों की शूटिंग के स्थान के लिए 200 हेक्टेयर क्षेत्र में फिल्म सिटी शुरू की गई थी.  

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