डीएनए हिंदी: दिल्ली की हवा साल दर साल प्रदूषित होती जा रही है. अभी तक सर्दियों के मौसम में ही धुंध और धूल भरा मौसम होता था, लेकिन अब गर्मियों में भी हवा में प्रदूषण काफी हद तक बढ़ गया है. दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) काफी नीचे आ गया है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के मुताबिक, पिछले तीन सालों में मई महीने में हवा में प्रदूषण (Air Pollution) का स्तर सबसे बुरा है.
सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2022 में औसत AQI 212 रहा है. वहीं, 2021 में AQI का स्तर 144 और 2020 में यही स्तर सिर्फ़ 143 था. आंकड़ों की मानें तो इस बार अच्छी हवा के दिनों की संख्या भी तेजी से घटती जा रही है. आइए समझते हैं कि AQI क्या होता है और इससे हवा की गुणवत्ता कैसे समझी जा सकती है.
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क्या होता है AQI?
एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी हवा की गुणवत्ता के लिए तय किया गया मानक. इसे 0 से 500 तक गिना जाता है. गिनती जितनी ज्यादा होती है, हवा में प्रदूषण उतना ही ज़्यादा होता है. यानी अगर AQI का स्तर 500 है तो हवा बहुत ज़्यादा है और अगर AQI का स्तर 0 के आसपास है तो हवा बेहद साफ और अच्छी है.
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AQI का पैमाना क्या है?
हवा की गुणवत्ता को मापने के लिए छह अलग-अलग स्तर तय किए गए हैं. इन्हें अलग-अलग रंगों से दर्शाया जाता है. नीचे टेबल में बताया गया है कि AQI के किस स्तर का क्या मतलब होता है और वह किस तरह से खतरा पैदा कर सकती है.
कौन से हैं बड़े प्रदूषक?
राष्ट्रीय एयर क्वालिटी इंडेक्स के मुताबिक, हवा के प्रदूषण के पांच बड़े कारण हैं.
1. ग्राउंड लेवल ओजोन
2. पार्टिकल पॉल्यूशन (PM मैटर, जैसे कि PM 2.5 और PM 10)
3. कार्बन मोनोऑक्साइड
4. सल्फर डाई ऑक्साइड
5. नाइट्रोजन डाइ ऑक्साइड
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