डीएनए हिंदी: नेपाल (Nepal) के पोखरा (Pokhra) में रविवार को येती एयरलाइंस का एक प्लेन क्रैश हो गया था. हादसे के वक्त विमान में कुल 72 लोग सवार थे. सरकार का मानना है कि इस विमान में सवार सभी लोग मारे गए थे. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 68 लोगों की मौत हो गई है. हादसे के बाद अब ब्लैक बॉक्स बरामद हो गया है. ब्लैक बॉक्स से हादसे की असली वजह सामने आ सकती है. येती एयरलाइंस का एक विमान रविवार को पोखरा में उतरने से ऐन पहले दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. 41 यात्रियों की पहचान हो गई है. विमान का ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया गया है. अब इससे यह पता चल सकता है कि हादसा कैसे हुआ.
किसी भी विमान हादसे के बाद जांच एजेंसियां उसके Black Box को ढूंढने की कोशिश में लग जाती हैं. आखिर उसमें ऐसा क्या होता है जो दुर्घटना के हर राज़ को खोल देती है. दुर्घटनाओं के राज़ खोलने वाले इस बक्से को ब्लैक बॉक्स क्यों कहते हैं, ऐसे सभी सवालों के जवाब जानिए यहां.
क्या होता है ब्लैक बॉक्स?
ब्लैक बॉक्स किसी भी प्लेन के जरूरी हिस्सों में से होता है. ब्लैक बॉक्स सभी प्लेन में रहता है चाहें वह पैसेंजर प्लेन हो, कार्गो या फाइटर. यह वायुयान में उड़ान के दौरान विमान से जुडी सभी तरह की गतिविधियों को रिकॉर्ड करने वाला उपकरण होता है. इसे फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर भी कहते हैं. आम तौर पर इस बॉक्स को सुरक्षा की दृष्टि से विमान के पिछले हिस्से में रखा जाता है. ब्लैक बॉक्स टाइटेनियम का बना होता है और टाइटेनियम के ही बने डिब्बे में बंद होता है ताकि ऊंचाई से जमीन पर गिरने या समुद्री पानी में गिरने की स्थिति में भी इसको कम से कम नुकसान हो.
तस्वीरों में देखें ब्लैक बॉक्स की खासियत
ब्लैक बॉक्स कैसे खोलता है फ्लाइट दुर्घटना के राज?
दरअसल दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए ब्लैक बॉक्स को हवाई जहाज में लगाया जाता है. हवाई जहाज का ब्लैक बॉक्स या फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर, विमान में उड़ान के दौरान विमान से जुडी सभी तरह की गतिविधियों जैसे विमान की दिशा, ऊंचाई, ईंधन, गति, हलचल, केबिन का तापमान जैसे 88 तरह के आंकड़ों के बारे में 25 घंटों से अधिक की रिकार्डेड जानकारी एकत्रित रखता है.
कब से लगाया जा रहा है विमानों में ब्लैक बॉक्स?
ब्लैक बॉक्स का इतिहास 50 साल से भी ज्यादा पुराना है. दरअसल 50 के दशक में जब विमान हादसों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही थी. उस वक्त 1953-54 के करीब एक्सपर्ट्स ने विमान में एक ऐसे उपकरण को लगाने की बात की जो विमान हादसे के कारणों की ठीक से जानकारी दे सके. इसके पीछे उद्देश्य था कि जानकारी होने पर भविष्य में होने वाले हादसों से बचा जा सकेगा. इसके बाद ही विमान के लिए ब्लैक बॉक्स का निर्माण किया गया था. शुरुआत में इसके लाल रंग के कारण ‘रेड एग’ के नाम से पुकारा जाता था. शुरूआती दिनों में बॉक्स की भीतरी दीवार को काला रखा जाता था, शायद इसी कारण इसका नाम ब्लैक बॉक्स पड़ा है.
नेपाल में कुछ यूं उतरता है प्लेन, देखने के बाद दोबारा नहीं होगी फ्लाइट में बैठने की हिम्मत, देखें VIDEO
ब्लैक बॉक्स में कौन से उपकरण होते हैं?
ब्लैक बॉक्स में दरअसल दो बॉक्स होते हैं. पहला फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर इसमें विमान की दिशा, ऊंचाई, ईंधन, गति, हलचल, केबिन का तापमान सहित 88 तरह के आंकड़ों के बारे में 25 घंटों से अधिक की रिकार्डेड जानकारी एकत्रित रखता है. यह बॉक्स 11000°C के तापमान को एक घंटे तक सहन कर सकता है जबकि 260°C के तापमान को 10 घंटे तक सहन करने की क्षमता रखता है. इस दोनों बक्सों का रंग काला नही बल्कि लाल या गुलाबी होता है जिससे कि इसको खोजने में आसानी हो सके. दूसरा उपकरण होता है कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर. यह बॉक्स विमान में अंतिम 2 घंटों के दौरान विमान की आवाज को रिकॉर्ड करता है. यह इंजन की आवाज, आपातकालीन अलार्म की आवाज , केबिन की आवाज और कॉकपिट की आवाज को रिकॉर्ड करता है, ताकि यह पता चल सके कि हादसे के पहले विमान का माहौल किस तरह का था.
Nepal plane crash: नेपाल में बार-बार क्यों होती हैं विमान दुर्घटनाएं, किस वजह से खतरनाक है यहां हवाई सफर?
कैसे करता है दुर्घटना के बाद भी काम
ब्लैक बॉक्स बिना बिजली के भी 30 दिन तक काम करता रहता है. जब यह बॉक्स किसी जगह पर गिरता है तो हर सेकेंड एक बीप की आवाज/तरंग लगातार 30 दिनों तक निकालता रहता है. इस आवाज की उपस्थिति को खोजी दल द्वारा 2 से 3 किमी. की दूरी से ही पहचान लिया जाता है. इसके एक और मजेदार बात यह है कि यह 14000 फीट गहरे समुद्री पानी के अन्दर से भी संकेतक भेजता रहता है.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.