डीएनए हिंदीः देश का सबसे बड़ा और यूपी का पहला डाटा सेंटर (Data Centre) ग्रेटर नोएडा में शुरू हो गया है. योगी आदित्यनाथ ने इस डाटा सेंटर का उद्घाटन किया है. ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क-5 में बने इस सेंटर को हीरानंदानी ग्रुप ने बनाया है. इस डाटा सेंटर में फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, आदि प्लेटफॉर्म के करोड़ों उपभोक्ताओं का डाटा सुरक्षित रखा जाएगा. इतना ही नहीं रेलवे से लेकर बैंकिंग और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ा डाटा भी यहां सुरक्षित रहेगा. यह डाटा सेंटर इतना बड़ा है कि देश के करीब 60 फीसदी लोगों का डाटा इसमें सुरक्षित रहेगा.
डाटा सेंटर क्या होता है?
डाटा सेंटर वह जगह होती है जहां डिजिटल डाटा को स्टोर किया जाता है. इसके साथ ही इसकी प्रोसेसिंग के लिए सर्वर लगाए जाते हैं. डाटा सेंटर में रखा डाटा किसी भी तरह की वायरस या अन्य खतरों से सुरक्षित रहता है. इस इन्फॉर्मेशन को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जाता है. डाटा सेंटर में बड़ी संख्या में सर्वर लगाए जाते हैं. किसी कंपनी को अगर इस सुरक्षित डाटा की जरूरत होती है तो कानून के तहत उसे मुहैया कराया जाता है. डाटा सेंटर में कोई भी डाटा कम से कम 5 साल के लिए सुरक्षित रखा जाता है. इसमें इंटरनल हाई लेवल सिक्योरिटी पर विशेष नजर रखनी होती है ताकि कोई भी घुसपैठिया साइबर अटैक के जरिए हमारे डाटा को नुकसान न पहुंचा सके.
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क्या है नोएडा में बने डाटा सेंटर की खासियत
करीब तीन लाख स्क्वायर फीट में फैले इस डाटा सेंटर के निर्माण की शुरुआत 2021 में हुई थी. इसका निर्माण हीरानंदानी समूह की मुंबई स्थित सहायक कंपनी Yotta द्वारा शुरू किया गया था. इस डाटा सेंटर का पहला चरण पूरा हो चुका है. इसमें 6 इमारतें एक दूसरे से जुड़ी होंगी. इनमें करीब 30,000 रैक रखी जाएंगी. इस डाटा सेंटर के निर्माण पर करीब 5,000 करोड़ रुपये खर्च आएगा. सेंटर के पहले टावर की क्षमता 30 मेगावाट डाटा स्टोर करने की है. वहीं 2024 तक दो टावर और तैयार हो जाएंगे.
बिजली के लिए डाली जा रही विशेष लाइन
इतने बड़े डाटा सेंटर के लिए बिजली की थी अधिक मात्रा में जरूरत होगी. इस डाटा सेंटर के लिए करीब 250 मेगावाट बिजली की जरूरत होगी. नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड (एनपीसीएल) ने इस काम को एक चुनौती के तौर पर लिया है. बता दें कि पूरे ग्रेटर नोएडा वेस्ट को फिलहाल सभी सोसाइटी, स्कूल और मॉल को मिलाकर 150 मेगावाट बिजली की जरूरत है जबकि इस डाटा सेंटर के लिए ही 250 मेगावाट बिजली की जरूरत होती. इसके लिए अलग से लाइन डाली जा रही है.
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