डीएनए हिंदीः उत्तर प्रदेश में डिफेंस कॉरिडोर (Defence Corridor) के तहत असॉल्ट राइफल से लेकर ब्रह्मोस (BrahMos missile) जैसी सुपरसोनिक मिसाइलों का निर्माण किया जा रहा है. अमेठी में असॉल्ट राइफलों को निर्माण शुरू भी हो चुका है.रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में डिफेंस कॉरिडोर का खासा महत्व है. अभी भारत रक्षा क्षेत्र की अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए विदेशों पर निर्भर है. इंटरनेशनल लेवल के डिफेंस प्रोडक्ट और हथियारों का उत्पादन होने के साथ ही इन डिफेंस कॉरिडोरों के कारण क्षेत्रीय उद्योगों का विकास होगा और नए रोजगार का मौका बनेगा. आखिर डिफेंस कोरिडोर होता क्या है जिसके तहत इन अत्याधुनिक हथियारों को निर्माण किया जा रहा है और यह प्रदेश के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को कैसे फायदा पहुंचाएगा. इस रिपोर्ट में विस्तार से समझते हैं.
क्या होता है डिफेंस कॉरिडोर?
डिफेंस कॉरिडोर (Defense Corridor) सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है. खासकर ये डिफेंस क्षेत्र से जुड़ा मामला है. Defense Corridor एक रूट होता है, जिसमें कई शहर शामिल होते हैं. इन शहरों में सेना के काम आने वाले सामानों के निर्माण के लिए इंडस्ट्री-उद्योग विकसित किया जाता है, जहां कई कंपनियां हिस्सा लेती हैं. इस कॉरिडोर में पब्लिक सेक्टर, प्राइवेट सेक्टर और एमएसएई कंपनियां (MSAE) हिस्सा लेंगी. इस कॉरिडोर में वो सभी औद्योगिक संस्थान भी शामिल होते हैं जो कि सेना के सामानों का निर्माण करते हैं.
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क्या है डिफेंस कॉरिडोर की अहमियत?
रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में डिफेंस कॉरिडोर का खासा महत्व है. दरअसल अभी भारत रक्षा क्षेत्र की अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए विदेशों पर निर्भर है. भारत अपनी जरूरत से अधिकांश हथियार दूसरे देशों से आयात करता है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर के डिफेंस प्रोडक्ट और हथियारों का उत्पादन होने के साथ ही इन डिफेंस कॉरिडोरों के कारण क्षेत्रीय उद्योगों का विकास होगा और नए रोजगार का मौका बनेगा. साथ ही, उद्योग रक्षा उत्पादन के लिए ग्लोबल सप्लाई चेन के साथ भी जुड़ सकेंगे. बता दें कि 2018-19 में बजट भाषण में वित्त मंत्री ने देश में दो डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (Defence Industrial Corridor) बनाए जाने की घोषणा की थी. इनमें से पहला तमिलनाडु के पांच और दूसरा उत्तर प्रदेश के छह शहरों में बन रहा है.
यूपी में कहां बनेगा कॉरिडोर?
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में यह कॉरिडोर अलीगढ़, आगरा, झांसी, चित्रकूट, कानपुर व लखनऊ में बनाया जाएगा. खास बात है कि इसका सबसे बड़ा हिस्सा झांसी में स्थापित होगा. अलीगढ़ (Aligarh) में जो डिफेंस कॉरिडोर बना है वो व्यवसाय के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण है. यह कॉरिडोर 1500 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हुआ है. अलीगढ़ नोड में 19 इंडस्ट्रियल यूनिट्स होंगी. इकाई लगाने वालों के लिए अब तक करीब 1643 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की जा चुकी है. इसमें से करीब 1600 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण हो चुका है और निवेश के लिए कुल 93 एमओयू भी हो चुके हैं. इसमें से 72 इंडस्ट्रियल इकाइयों से और 21 संस्थाओं के साथ किए गए हैं. सर्वाधिक 35 एमओयू अलीगढ़ नोड्स के लिए हुए हैं. वहीं, लखनऊ, कानपुर, झांसी और आगरा नोड्स के लिए 15, 12, 9 और 2 एमओयू साइन हुए हैं.
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लखनऊ में होगा ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्माण
लखनऊ में बनने वाले डिफेंस कॉरिडोर में 2025 तक अत्याधुनिक ब्रह्मोस मिसाइलों (ब्रह्मोस एनजी) का निर्माण होने लगेगा. शुरू में 100 से अधिक मिसाइलों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया गया है. पांच से सात साल में 900 करोड़ रुपये की मिसाइलों के उत्पादन का लक्ष्य है. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) और रसियन कंपनी एनपीओएम के बीच मेमोरंडम ऑफ अंडरटेकिंग (MOU) हो चुका है. ये कंपनियां शुरू में 300 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी. इसके लिए कॉरिडोर के लखनऊ नोड में 80 एकड़ भूमि चिन्हित की गई है. बता दें कि इसके लिए 26 दिसंबर 2021 को इसका शिलान्यास भी हो चुका था.
डिफेंस कॉरिडोर में बनेंगे ये सामान
डिफेंस कॉरिडोर में बुलेट प्रूफ जैकेट, ड्रोन, लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, तोप और उसके गोले, मिसाइल, विभिन्न तरह की बंदूकें आदि बनाए जाएंगे. लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल बनेगा. इसके साथ ही लड़ाकू विमान, तोप, टैंक, पनडुब्बी, युद्धपोत, हेलीकॉप्टर, सैनिकों के लिए बूट, बुलेट प्रूफ जैकेट, पैराशूट, ग्लब्स आदि के उत्पादन से जुड़ी इकाइयां इन कॉरिडोर में स्थापित होंगी.
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