डीएनए हिंदी: दक्षिण कोरिया की राजधानी है सियोल (Seol). यहां एक भदगड़ में 150 से लोगों से ज्यादा लोगों की जान चली गई. सैकड़ों लोग घायल हुए और दर्जनों लोगों को कार्डिएक अरेस्ट हुआ. ये सभी लोग सियोल के इतेवोन इलाके में आयोजित हैलोवीन (Halloween) फेस्टिवल में हिस्सा लेने के लिए जुटे थे. सोशल मीडिया पर दर्जनों ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें देखा जा सकता है कि लोग इधर-उधर भाग रहे हैं और कुचले जा रहे हैं. इस दुर्घटना के बाद भारतीय लोगों में उत्सुकता पैदा हो गई है कि आखिर ये हैलोवीन है क्या?
हैलोवीन का आयोजन अक्टूबर की 31 तारीख को होता है. शाब्दिक अर्थ पर जाएं तो इसका मतलब निकलता है कि यह आत्माओं का दिन होता है. यही वजह कै हैलोवीन कॉस्ट्यूम (Halloween Costume) के तौर पर लोग भूतों के जैसे कपड़े पहनते हैं और अपना गेटअप भी वैसा ही बनाते हैं. यह सैकड़ों साल पुराना आयोजन है जो भारत के अलावा ज्यादातर पश्चिमी देशों में होता है. भारत में भी अब धीरे-धीरे इसकी शुरुआत हो रही है.
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Halloween होता क्या है?
यह पश्चिमी देशों का एक त्योहार है. इसका मकसद होता है पूर्वजों की आत्मा को शांति पहुंचाना. हालांकि, अब इसका आयोजन काफी कूल हो गया है और इस दिन पहने जाने वाले ड्रेस की वजह से यह काफी चर्चा में रहता है. इसको लेकर कई तरह की कहानियां भी प्रचलित हैं.
31 अक्टूबर को ही क्यों होता है हैलोवीन?
1 नवंबर को ऑल सेंट्स डे होता है यानी सेल्टिक कैलेंडर का पहला दिन. इससे एक दिन पहले सेल्टिक कैलेंडर के हिसाब से साल का आखिरी दिन होता है. इसीलिए इसे ऑल सैंट्स ईव, ऑल हेलोस ईव, ऑल हेलोस ईविंग और ऑल हैलोवीन जैसे नामों से जाना जाता है. जैसे नए साल की पूर्व संध्या से ही जश्न शुरू होता है वैसे ही हैलोवीन भी 31 अक्टूबर की शाम से शुरू हो जाता है.
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कैसे मनाया जाता है हैलोवीन?
इस दिन का मुख्य आकर्षण हैलोवीन कॉस्ट्यूम होता है. लोग डरावने कपड़े पहनते हैं और एक-दूसरे के घर जाकर गिफ्ट देते हैं. कई शहरों में बड़े-बड़े आयोजन भी होती हैं. बच्चे इस दिन खोखले कद्दू जैसे बैग लेकर घर-धर जाते हैं. इन कद्दुओं को आखिर में इकट्ठा करके दफना दिया जाता है. कॉस्ट्यूम के हिसाब से लोग दानव, शैतान, कंकाल, वैम्पायर, भूत, पिशाच, चुड़ैल और ममी जैसे रूप धारण कर लेते हैं.
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ट्रिक और ट्रीट भी है अहम
इस दिन के मौके पर ट्रिक और ट्रीट भी काफी अहम होती हैं. बच्चे जब पड़ोसियों के घर जाते हैं और ट्रिक या ट्रीट बोलते हैं तो पड़ोसी उन्हें खाने के लिए चॉकलेट या दूसरी चीजें देते हैं. शुरुआत में यह त्योहार धर्म विशेष का होता था लेकिन अब धीरे-धीरे इसे सभी धर्मों के लोग मनाते हैं. भारत जैसे हिंदू और मुस्लिम बाहुल्य वाले देश में भी अब इसका चलन शुरू हो गया है.
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