What is Internet: इंटरनेट कैसे करता है काम, दुनियाभर के देशों को आपस में कैसे करता है कनेक्ट

कुलदीप सिंह | Updated:Jul 15, 2022, 10:31 AM IST

History of Internet: भारत में इंटरनेट की शुरुआत 1986 से मानी जाती है. तब इसमें देश के बड़े आईआईटी जिनमें बेंगलुरु, दिल्ली, मुंबई खड़गपुर, कानपुर और मद्रास आदि को जोड़ा गया. शुरुआती दौर में इसकी स्पीड सिर्फ 9.6 kbit/s थी.  

डीएनए हिंदीः इंटरनेट (Internet) के बिना आज के समय में लोगों की जिंदगी अधूरी है. फेसबुक (Facebook), ट्विटर से लेकर इंस्टाग्राम (Instagram) और यूट्यूब पर लोग घंटों समय बिना रहे हैं. ऑनलाइन गेमिंग को लेकर भी बच्चों से लेकर युवाओं में खासी दीवानगी है. रेलवे की टिकट बुक करने से लेकर ऑनलाइन शॉपिंग तक लोग इंटरनेट पर निर्भर हैं. इंटरनेट ही है जिसकी मदद से आप मीलों दूर बैठ लोगों से वीडियो कॉल पर बात कर सकते हैं. उन्हें अपना संदेश भेज सकते हैं. क्या आपने सोचा है कि आखिर इंटरनेट की शुरुआत कैसे हुई. इंटरनेट काम कैसे करता है? अपनी इस रिपोर्ट में इसे विस्तार से समझते हैं

इंटरनेट की कैसे हुई शुरुआत? 
सबसे आपको इंटरनेट का मतलब समझाते हैं. इंटरनेट (international network of computer) का मतलब दो या दो से अधिक Computer को आपस में कनेक्ट करने से हैं. इंटरनेट की शुरुआत करीब 50 साल पहले हुई थी. बात 1969 की है जब इंसान ने पहली बार चांद पर कदम रखा था. उस समय अमेरिका के रक्षा कार्यालय ने Advance Research Project Agency यानी ARPA को नियुक्त किया था. उस दौरान पूरे मिशन को सफल बनाने के लिए चार कंप्यूटरों को आपस में जोड़कर एक नेटवर्क तैयार किया गया था. इस नेटवर्क का काम एक-दूसरे के साथ डाटा शेयर करना था. धीरे-धीरे इसमें और कंप्यूटर भी जोड़े गए. कई और एजेंसी भी आपस में जुड़ने लगी. बाद में इंटरनेट को आम लोगों के लिए भी खोल दिया गया. 

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किसने किया था इसका आविष्कार? 
इंटरनेट की शुरुआत दरअसल अमेरिकी सेना ने अपनी खुफिया जानकारी आपस में एक दूसरे के साथ साझा करने के लिए की थी. इसको अमरीकी सेना विभाग ने Massachusetts Institute of Technology के साथ मिलकर Advance Research Project Agency Network नाम से डेवलप किया था. Robert E Kahn और Vint Cerf ने Internet Protocol Suite (TCP/IP) को डेवलप किया, जो कि ARPANET में यही डेटा और फाइल ट्रांसफर के लिए यह जरूरी स्‍टैंडर्ड इंटरनेट प्रोटोकॉल बन गया. 1980 के समय में Tim Berners-Lee ने WWW (World Wide Web) पर रिसर्च करना शुरू किया और उन्होंने information share करने के लिए HTML (HyperText Markup Language) बनाया.  

कैसे काम करता है इंटरनेट? 
इंटरनेट का काम दो या दो से अधिक कंप्यूटरों को आपस में जोड़ना है. इंटरनेट के लिए एक सर्वर रूम होता है जिसमें सभी सूचनाएं स्टोर रहती हैं. यह सर्वर 24 घंटे काम करते हैं. यह सर्वर आपस में ऑप्टिकल फाइबर केबल (Optical Fiber Cable) द्वारा जुड़े होते हैं. इंटरनेट वैसे सैटेलाइट की मदद से भी काम करता है लेकिन इसकी स्पीड कम होती है. ऑप्टिकल फाइबर केबल बालों से भी पतले होते हैं. यह केबल महासागरों में डाले जाते हैं. इनके जरिए से एक देश से दूसरे देश कनेक्ट रहते हैं. पहले इंटरनेट की सुविधा सिर्फ टेलीफोन लाइन के द्वारा दी जाती थी लेकिन आज टेलीकॉम कंपनियां लोगों को स्मार्टफोन में इस्तेमाल करने के लिए Satellite के जरिये नेट का इस्तेमाल करने की सुविधा देती है. अब टेलीकॉम कंपनियां सैटेलाइट के जरिये नेट की सुविधा देने लगी हैं. इंटरनेट पर किसी भी देश या एजेंसी का कब्जा नहीं है. हमने 8 लाख किलोमीटर से भी ज्यादा लम्बाई वाले ऑप्टिकल फाइबर केबल समुद्र में बिछाये हैं जिसमे हमारे इंटरनेट का 90 फीसदी इस्तेमाल होता है. समुद्र में उन जगहों पर यह केबल बिछाए जाते हैं जिनमे कम नुकसान और कम लागत आती है. कई इन केबल को समुद्री जहाजों से नुकसान भी होता है. ऐसे में इन केबल की 24 घंटे निगरानी होती है और किसी भी खराबी को ठीक करने के लिए टीम मौजूद रहती हैं.  

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भारत में कब और कैसे हुई इंटरनेट की शुरुआत?  
देश में इंटरनेट की शुरुआत 1986 से मानी जाती है. तब सरकार ने डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स (DoE) की मदद से ERNET (Educational Research Network) की स्थापना की. उस दौरान इसे शोध के काम के लिए लाया गया था. इसमें देश के बड़े आईआईटी जिनमें बेंगलुरु, दिल्ली, मुंबई खड़गपुर, कानपुर और मद्रास आदि को भी जोड़ा गया. बाद में 14 अगस्त 1995 को उस समय की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी विदेश संचार निगम लिमिटेड (VSNL) ने इंटरनेट को आम नागरिकों के लिए लांच किया. भारत में जब इंटरनेट की शुरुआत हुई उस दौरान इसकी स्पीड सिर्फ 9.6 kbit/s थी. हालांकि इतनी कम स्पीड के बाद भी सिर्फ 6 महीने में ही 10 हजार से अधिक लोग इससे जुड़ गए. धीरे-धीरे समय में बदलाव हुआ और इंटरनेट की स्पीड बढ़ती गई. 2004 में सरकार ने एक पॉलिसी बनाई जिसके बाद ब्रॉडबैंड की डाउनलोड स्पीड 256 kbit/s या उससे अधिक  कर दी गई. भारत में इसके बाद 3G और 4G स्पीड पर काम शुरू हुआ. भारत में पहली बार 10 अप्रैल 2012 को Airtel ने 4G service की शुरुआत कर दी. 5 सितंबर 2016 को मुकेश अम्बानी ने रिलायंस जिओ को लांच करके देशभर के टेलिकॉम कंपनियों को एक बड़ी टक्कर दे दी. 

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