60 Percent Kannada Rule: 60 पर्सेंट कन्नड़ रूल क्या है? बेंगलुरु में क्यों हो रहा है भाषा विवाद?

नीलेश मिश्र | Updated:Dec 28, 2023, 09:55 AM IST

60 Percent Kannada Rule Protest

60 Percent Kannada Rule: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में अब 60 पर्सेंट कन्नड़ रूल को लेकर विवाद शुरू हो गया है और एक संगठन सड़कों पर उतर आया है.

डीएनए हिंदी: दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक में एक बार फिर से भाषा विवाद शुरू हो गया है. इस बार दुकानों, दफ्तरों और अन्य प्रतिष्ठानों के बाहर लगे साइनबोर्ड और नेमप्लेट को निशाना बनाया जा रहा है. बुधवार को कर्नाटक रक्षणा वेदिके (केआरवी) नाम के एक संगठन ने बेंगलुरु में उन साइनबोर्ड्स को तोड़ दिया जिनमें कन्नड़ भाषा का इस्तेमाल नहीं किया गया था. इसी संगठन के कार्यकर्ताओं ने शहर में रैलियां भी निकाली. संगठन का कहना है कि वह किसी कारोबार के खिलाफ नहीं है लेकिन अगर कोई कर्नाटक में काम कर रहा है तो उसे कन्नड़ भाषा का सम्मान करना ही होगा. केआरएस ने यहां 60 पर्सेंट कन्नड़ रूल का हवाला दिया जिसके मुताबिक 60 प्रतिशत साइन बोर्ड कन्नड़ भाषा में होने चाहिए.

केआरवी के नारायण गौड़ा गुट के कार्यकर्ताओं ने बेंगलुरु के एमजी रोड, ब्रिगेड रोड, लावेल रोड, यूबी सिटी, चामराजपेट, चिकपेट, केम्पेगौड़ा रोड, गांधी नगर, सेंट मार्क्स रोड, कनिंघम रोड, रेजिडेंसी रोड और सदाहल्ली गेट जैसे व्यावसायिक क्षेत्रों में रैलियां निकालीं. इन कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि व्यावसायिक प्रतिष्ठान कर्नाटक की आधिकारिक भाषा कन्नड़ की अनदेखी कर रहे हैं. कई मॉल, दुकान, वाणिज्यिक भवन, कंपनियों और कारखानों, विशेष रूप से बहुराष्ट्रीय कंपनियों को कर्नाटक रक्षणा वेदिके (केआरवी) कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना करना पड़ा.

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क्या चाहते हैं केआरवी के कार्यकर्ता?
प्रदर्शनकारियों ने उन साइनबोर्ड और नाम पट्टिकाओं को क्षतिग्रस्त कर दिया, जिनमें कन्नड़ भाषा का इस्तेमाल नहीं किया गया था. बाद में, केआरवी संयोजक टी. ए. नारायण गौड़ा सहित प्रदर्शनकारी सदस्यों को पुलिस ने एहतियातन हिरासत में ले लिया. गौड़ा ने कर्नाटक में नेम प्लेट और साइनबोर्ड में कन्नड़ भाषा का इस्तेमाल होना चाहिए. उन्होंने कहा, 'नियमों के मुताबिक 60 प्रतिशत साइनबोर्ड और नाम पट्टिकाएं कन्नड़ में होनी चाहिए. हम आपके व्यवसाय के खिलाफ नहीं हैं लेकिन अगर आप कर्नाटक में व्यवसाय कर रहे हैं तो आपको हमारी भाषा का सम्मान करना होगा. अगर आप कन्नड़ की अनदेखी करते हैं या कन्नड़ अक्षरों को छोटे अक्षरों में रखते हैं, तो हम आपको यहां व्यवसाय नहीं करने देंगे.' 

केआरवी नेता ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर उसने कन्नड़ के प्रति उनके प्रेम को गंभीरता से नहीं लिया तो उसे आगामी लोकसभा चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. इस बीच, राज्य के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने कलबुर्गी में मीडिया को बताया कि कन्नड़ समर्थक कार्यकर्ता साइनबोर्ड, विज्ञापनों और नाम पट्टिकाओं पर कन्नड़ में सूचनाएं प्रदर्शित नहीं करने के खिलाफ चेतावनी दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार कन्नड़ का बहुत सम्मान करती है क्योंकि वह अपनी सभी गतिविधियों के लिए राज्य की आधिकारिक भाषा का इस्तेमाल करती है.

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क्या है 60 पर्सेंट कन्नड़ रूल?
बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका ने आदेश जारी किया है कि सभी दुकानदार और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान साइनबोर्ड और नेमप्लेट में 60 फीसदी कन्नड़ भाषा का इस्तेमाल करें. इस आदेश के तहत 28 फरवरी तक सभी को कन्नड़ भाषा वाला बोर्ड लगाना होगा. ऐसा न करने पर लाइसेंस कैंसल कर दिया जाएगा और दुकानों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी. अब फेरडेशन ऑफ कर्नाटक चेंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने अनुरोध किया है कि समय सीमा से पहले कार्रवाई  की जाए. वहीं, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अनुरोध किया है कि कोई भी व्यक्ति कानून को हाथ में न ले.

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