डीएनए हिंदी: आंध्र प्रदेश के अपराध जांच विभाग (CID) ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को गिरफ्तार कर लिया है. तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के मुखिया चंद्रबाबू नायडू नंदल्या में एक रैली के बाद अपनी वैन में आराम कर रहे थे. गिरफ्तारी के बाद चंद्रबाबू नायडू ने कहा है कि उन्होंने कोई भ्रष्टाचार नहीं किया है और बिना कोई सबूत दिखाए ही उन्हें गिरफ्तार किया गया है. टीडीपी ने कहा है कि उनके वकीलों की टीम आज ही हाई कोर्ट में अपील दायर करेगी. बता दें कि इसी घोटाले में चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ वॉरंट जारी किया गया है. चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी के बाद टीडीपी समर्थकों ने हंगामा शुरू कर दिया है.
चंद्रबाबू नायडू को जिस स्किल डेवलमेंट स्कैम में गिरफ्तार किया गया है वह लगभग 371 करोड़ रुपये की गड़बड़ी से जुड़ा है. आरोप है कि चंद्रबाबू नायडू ने मुख्यमंत्री रहते हुए भ्रष्टाचार किया और कैबिनेट को धोखे में रखा. चंद्रबाबू नायडू समेत अन्य आरोपियों के बारे में कहा जाता है कि इन लोगों ने ठेके में गड़बड़ी की, जनता के पैसे का दुरुपयोग किया और स्किल डेवलपेंट कॉर्पोरेशन के अंतर्गत फर्जीवाड़े वाली एक योजना चलाई.
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कुल 3356 करोड़ के खर्च वाले इस प्रोजेक्ट में आंध्र प्रदेश सरकार ने 10 प्रतिशत खर्च किए बाकी की 90 प्रतिशत फंडिंग Siemens नाम की कंपनी ने की थी. आरोप है कि इस पूरे केस में Siemens की भूमिका भी संदिग्ध है. इसी केस में Siemens ने आंतरिक जांच की और सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मैजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज कराया है. Siemens का कहना है कि इसमें उसका हाथ नहीं है और सरकार की ओर से इसे जॉइंट वेंचर के तौर पर शुरू किया गया था.
क्या-क्या हैं आरोप?
इस मामले में सबसे बड़ी गड़बड़ यह बताई जा रही है कि सरकार की ओर से तय प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए डीटेल्ट प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) में प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत कैबिनेट के सामने रखी गई. इसमें स्किल डेवलपमेंट के लिए प्रस्तावित लागत को पेश करने के तरीके पर ही सवाल उठाए गए है. जांच में यह भी कहा गया है कि डीपीआर के बाद तुरंत मंजूरी दी गई और पैसे भी जारी कर दिए. नियमों को ताक पर रखकर किए गए इन कामों के चलते सवाल उठ रहे हैं.
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इसके अलावा कॉन्ट्रैक्ट और सरकार के आदेशों में भी फर्क है क्योंकि स्पष्ट निविदा के बावजूद पैसे जारी किए गए. आरोप हैं कि चंद्रबाबू नायडू ने ही तुरंत पैसे जारी करने के आदेश दिए जबकि उन्हीं की सरकार के वित्त विभाग के अधिकारियों ने इस पर आपत्ति भी दर्ज कराई थी. आरोप हैं कि उस समय की चंद्रबाबू नायडू सरकार के कई अधिकारियों ने भी पैसों के हेरफेर में अहम भूमिका निभाई. हालांकि, अभी तक इन पैसों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है कि वे कहां गए.
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कैसे सामने आया मामला?
बता दें कि एक व्हिसलब्लोअर ने आंध्र प्रदेश के ऐंटी करप्शन ब्यूरो को इस स्किल डेवलपमेंट स्कैम की जानकारी दी थी. इसी तरह एक सरकारी मुखबिर ने भी जून 2018 में एक चेतावनी दी थी. इन आरोपों के सामने आने के बाद प्रोजेक्ट से जुड़ी फाइलों के नोट भी गायब हो गए थे. इसके अलावा, इस घोटाले की अहम जिम्मेदार मानी जा रही कंपनियों जैसे कि PVSP/SKiller और DesignTech ने बिना सर्विस टैक्स भरे ही केंद्रीय वैट का दावा भी कर दिया. जीएसटी अधिकारियों ने इन कंपनियों के लेनदेन में गड़बड़ी देखी तो शक और गहरा होता गया. आरोप हैं कि साल 2017 में ये कंपनियां हवाला के जरिए पैसों की हेरफेर में भी शामिल थीं.
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