बिहार की राजनीति में हाल ही में बड़ा बदलाव हुआ. जनता दल (यूनाइटेड) के मुखिया नीतीश कुमार ने एक बार फिर पाला बदला और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ जाकर सरकार बना ली. नीतीश कुमार एक बार फिर से मुख्यमंत्री बने और बीजेपी के दो डिप्टी सीएम बने. नीतीश कुमार के इस कदम पर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि 'खेला' अभी बाकी है. बिहार में 12 फरवरी को होने वाले फ्लोर टेस्ट से पहले राजनीतिक चर्चाएं जोरों पर हैं और कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.
मंत्री पद को लेकर हो रही खींचतान और सत्ताधारी गठबंधन में शामिल पार्टियों के बयानों को लेकर एक बार फिर सारी नजरें फ्लोर टेस्ट पर टिक गई हैं. चर्चाएं हैं कि हिंदुस्तानी अवामी मोर्चा (HAM) के नेता जीतन राम मांझी मंत्री पद न मिलने पर बगावत कर सकते हैं. हालांकि, जेडीयू-बीजेपी अपने दम पर भी बहुमत साबित कर सकती हैं. आइए समझते हैं कि आखिर फ्लोर टेस्ट क्या होता है?
फ्लोर टेस्ट क्या होता है?
किसी भी नई सरकार के गठन के बाद उसे सदन में बहुमत पास करना होता है. स्पष्ट बहुमत न होने की स्थिति में विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराया जाता है. इसमें मौजूदा सरकार को मौका दिया जाता है कि वह अपना बहुमत सदन में साबित करके दिखाए. यानी जितने मौजूदा विधायक हों उसके आधे से कम से कम एक ज्यादा विधायक उसके साथ हों. कई बार ऐसा भी हुआ है जब मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बावजूद नेता संसद या विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाए और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड विधानसभा में पेश हुआ UCC बिल, समान कानून वाला देश का पहला राज्य बनेगा
फ्लोर टेस्ट में बहुमत का प्रस्ताव सदन में रखा जाता है. इसमें सभी विधायक अपना मत बताते हैं. सदन के स्पीकर इस मतदान को सार्वजनिक, गोपनीय या अन्य तरीकों से करवा सकते हैं. ऐसे में अगर मौजूदा मुख्यमंत्री के पक्ष में बहुमत आता है तो वह सरकार बच जाती है. बहुमत न मिलने की स्थिति में सरकार गिर जाती है और मुख्यमंत्री अपने पद से हट जाता है.
बिहार में क्या है सीटों का गणित?
बिहार में फ्लोर टेस्ट 12 फरवरी को होना है. राज्य में विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं. सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत 122 विधायकों का है. बीजेपी-जेडीयू के गठबंधन NDA ने अपनी सरकार बनाते समय कुल 128 विधायकों के समर्थन का दावा किया है. अब उसे अपना यही दावा सदन में बहुमत लाकर साबित करना है.
यह भी पढ़ें- इंसान को क्यों दिया कुत्ते वाला बिस्किट? अब राहुल गांधी ने खुद बताई पूरी बात
आरजेडी के पास सबसे ज्यादा 79, बीजेपी के पास 78, जेडीयू के पास 45, कांग्रेस के पास 19, सीपीआई (M-L) के पास 12, HAM के पास 4, सीपीआई के पास 2, सीपीएम के पास 2 और AIMIM के पास एक विधायक है. एक निर्दलीय विधायक भी है.
सत्ता पक्ष के विधायक
BJP- 78
JDU- 45
HAM-4
निर्दलीय-1
कुल- 128
विपक्ष के विधायक
RJD- 79
कांग्रेस- 19
CPI (M-L)- 12
CPM-2
CPI-2
कुल- 114
AIMIM किसी भी गठबंधन में घोषित तौर पर शामिल नहीं है. हालांकि, बीजेपी-जेडीयू मिलकर ही सरकार बनाने में सक्षम हैं. शायद यही वजह है कि HAM के दावों को बीजेपी इतनी गंभीरता से नहीं ले रही है. वहीं, कांग्रेस एहतियात के तौर पर कांग्रेस ने अपनी सभी 19 विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट कर दिया है.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.