डीएनए हिंदी: संसद में मणिपुर हिंसा के मामले में अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) पर बहस शुरू हो चुकी है. लेकिन आगे बढ़ने से पहले हम आपको ये बताना चाहते हैं कि ये अविश्वास प्रस्ताव होता क्या है? इस मामले को लेकर संसद में विपक्ष को मोदी सरकार को कैसे घेर रहा है. अविश्वास प्रस्ताव को समझने के लिए आपको संविधान के अनुच्छेद-75 (Article-75) के बारे में पता होना जरूरी है. अनुच्छेद-75 के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री परिषद लोकसभा के प्रति जवाबदेह होती है. अगर सरकार के पास सदन में बहुमत नहीं है तो प्रधानमंत्री समेत पूरे मंत्री परिषद को तुरंत इस्तीफा देना होता है. यानी विपक्ष अगर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाता है तो उसका मकसद सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रकट करना होता है.
इसके लिए सदन का कोई भी सदस्य लोकसभा के नियम 198 के तहत लोकसभा अध्यक्ष को अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे सकता है. जैसा कि कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने दिया था. ऐसा करने के लिए उसे सुबह 10 बजे से पहले इस अविश्वास प्रस्ताव की लिखित जानकारी लोकसभा अध्यक्ष को देनी होती है.प्रस्ताव मंजूर हो इसके लिए जरूरी है कि कम से कम 50 लोकसभा सदस्य इस प्रस्ताव समर्थन करें. इसके बाद अगर लोकसभा अध्यक्ष इस अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी दे देता है तो प्रस्ताव पेश करने के 10 दिनों के अंदर इस पर चर्चा करवाना अनिवार्य हो जाता है.
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सिर्फ लोकसभा में ही लाया जा सकता है अविश्वास प्रस्ताव
यहां आपको ये समझना भी जरूरी है कि अविश्वास प्रस्ताव केवल लोकसभा में ही लाया जा सकता है. वजह ये है कि राज्यसभा स्थाई सदन है और ये कभी भी भंग नहीं हो सकती. जबकि लोकसभा अस्थाई सदन है. केंद्रीय मंत्री परिषद भी लोकसभा के प्रति ही जवाबदेह है. इसीलिए विपक्षी दल लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हैं. नियमों के मुताबिक अविश्वास प्रस्ताव पर तीन दिन चर्चा होती है. इन तीन दिनों में 12 घंटे तक बहस होनी चाहिए.
चर्चा के लिए किस पार्टी को कितना मिला समय?
विपक्षी दलों द्वारा लाए गए इस अविश्वास प्रस्ताव में बीजेपी सरकार को जवाब देने के लिए 7 घंटे का समय दिया गया है. वहीं कांग्रेस को इस मुद्दे पर बोलने के लिए 1 घंटा 15 मिनट का समय दिया गया है. इसके अलावा YSR कांग्रेस, शिवसेना, JDU, BJD, BSP, BRS और LJP को कुल 2 घंटे का समय दिया गया है. इन पार्टियों के सांसदों की संख्या के हिसाब से उन्हें समय दिया जाएगा. यही नहीं निर्दलीय और अन्य पार्टियों के सांसदों को 1 घंटा 10 मिनट का समय दिया गया है.
अविश्वास प्रस्ताव का मकसद सरकार का घेराव तो होता ही है. इसके जरिए विपक्ष सरकार गिराने की कोशिश भी करता है. लेकिन फिलहाल लोकसभा में मोदी सरकार की जो स्थिति है, उसमें सरकार को किसी भी तरह के नुक़सान की गुंजाइश नजर नहीं आती है. INDIA गठबंधन का इस अविश्वास प्रस्ताव का मकसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरना है. विपक्ष भी जानता है कि लोकसभा में वो सरकार गिराने की स्थिति में नहीं है. लेकिन मणिपुर मुद्दे पर पीएम मोदी से सदन में जवाब दिलवाना ही उनके लिए जीत जैसा है. मंगलवार गौरव गोगोई ने भी करीब 35 मिनट तक भाषण दिया. जबकि अविश्वास प्रस्ताव पर सांसदों को अपनी बात रखने के लिए करीब 15 मिनट का समय दिया गया.
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