PM Vishwakarma Yojna: क्या है पीएम विश्वकर्मा योजना? कारोबारियों को कैसे मिलेगा इसका फायदा

नीलेश मिश्र | Updated:Sep 17, 2023, 01:15 PM IST

PM Vishwakarma Scheme

PM Vishwakarma Yojna Kya hai: पीएम मोदी ने अपने जन्मदिन के मौके पर PM विश्वकर्मा योजना लॉन्च कर दी है. इसके तहत सस्ता लोन और स्किल ट्रेनिंग दी जाएगी.

डीएनए हिंदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज PM विश्वकर्मा योजना लॉन्च कर दी है. इसके तहत तमाम कौशल वाले कारीगरों को ट्रेनिंग और लोन दिया जाएगा. इस योजना को लोकसभा चुनाव 2024 से पहले काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि मोदी सरकार इससे एक बड़े वर्ग को साधने की कोशिश भी कर रही है. इस योजना के तहत मिट्टी का काम करने वाले, जूते-चप्पल बनाने वाले और कपड़े सिलने जैसे कुल 18 पारंपरिक कारोबारों को विश्वकर्मा सर्टिफिकेट और आईडी देकर पहचान दी जाएगी. इसके अलावा, 1 लाख रुपये तक का लोन सिर्फ 5 प्रतिशत के ब्याज पर दिया जाएगा.

इससे पहले पीएम मोदी ने द्वारका के IICC यशोभूमि में तमाम कारीगरों से मुलाकात की और उनके काम के बारे में उनसे चर्चा की. उन्होंने जूते बनाने वालों, राज मिस्त्री, कपड़ा सिलने वाले और अन्य कारीगरों के पास जाकर उनके काम के बारे में विस्तार से चर्चा की. इस योजना से देश का एक बड़ा कामगार वर्ग लाभान्वित होगा जो कि अभी तक चिह्नित नहीं किया जा सका है. पीएम मोदी ने इस साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ऐलान किया था कि पीएम विश्वकर्मा योजना शुरू की जाए. अब इसे विश्वकर्मा पूजा के दिन ही शुरू किया गया है.

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क्या है PM विश्वकर्मा योजना?
देशभर में बाल काटने वाले, कपड़े सिलने वाले, जूते बनाने वाले, मिट्टी के बर्तन बनाने वाले और मिस्त्री का काम करने वाले करोड़ों लोग ऐसे हैं जो किसी सेक्टर में औपचारिक तौर पर नहीं गिने जाते हैं. पीएम मोदी ने इन्हीं को पहचान देने के लिए विश्वकर्मा योजना का ऐलान किया है. इस योजना के तहत 13 हजार करोड़ रुपये की लागत से न सिर्फ इन कारीगरों को पहचान दी जाएगी बल्कि उन्हें प्रोफेशनल ट्रेनिंग, सर्टिफिकेट और उद्यम के लिए आर्थिक सहायती भी दी जाएगी.

किसको मिलेगा लाभ?
इस योजना के तहत शुरुआत में 18 तरह का काम करने वालों को चिह्नित किया गया है. इसमें शामिल हैं:- बढ़ई, नाई, सुनार, मोची, धोबी, दर्जी, राजमिस्त्री, कुम्हार, लोहार, हथियार बनाने वाले, नाव बनाने वाले, हथौड़ा और औजार बनाने वाले, ताला बनाने वाले, मूर्तिकार, टोकरी और चटाई की बुनाई करने वाले, गुड़िया और खिलौना बनाने वाले, माला बनाने वाले और मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले.

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ये काम करने वाले ज्यादातर लोग अपनी जातीय पहचान के चलते भी इन कामों से जुड़ते हैं. इनमें कई तरह के कारीगर कई राज्यों में काफी संख्या में हैं और ज्यादातर पिछले वर्ग की जातियों से आते हैं. ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इस योजना की शुरुआत से न सिर्फ इनको योजना से जोड़ने की तैयारी है बल्कि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव की तरह ही एक नया लाभार्थी वर्ग तैयार करने की भी कोशिश की जा रही है.

क्या है प्रक्रिया?

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