डीएनए हिंदी: देशभर के तमाम स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को तमाम योजनाओं के तहत स्कॉलरशिप दी जाती है. ऐसी ही एक स्कॉलरशिप अल्पसंख्यक मंत्रालय में भी दी जाती है. अब अल्पसंख्यक मंत्रालय के तहत दी जाने वाली स्कॉलरशिप में घोटाले का मामला सामने आया है. आरोप है कि फर्जी इंस्टिट्यूट और फर्जी स्टूडेंट्स के नाम पर 144 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि का गबन किया गया है. अब केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने इस मामले में सीबीआई जांच की बात कही है. इसमें कई राज्यों के मदरसों और अन्य संस्थानों के बारे में खुलासा हुआ है कि वहां के 40 से 60 प्रतिशत तक फर्जी स्टूडेंट पाए गए हैं.
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अल्पसंख्यक मंत्रालय इन संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चों को सालाना 4 हजार रुपये से लेकर 25 हजार रुपये तक की स्कॉलरशिप दी जाती है. इसी योजना के तहत साल 2007-08 से लेकर 2022 तक कुल 22 हजार करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप दी गई है. यह स्कॉलरशिप पहली कक्षा से लेकर पीएचडी तक के छात्र-छात्राओं को दी जाती है. इसी मामले में आरोप है कि कई राज्यों में फर्जी संस्थानों और फर्जी स्टूडेंट्स के नाम पर 144 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि फर्जी तरीके से ले ली गई.
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क्या है स्कॉलरशिप घोटाला?
अल्पसंख्यक मंत्रालय ने इस मामले में NCAER से जांच करवाई है. यह जांच 21 राज्यों के 1572 संस्थानों में करवाई गई. जांच में सामने आया कि 830 इंस्टिट्यूट सिर्फ कागजों पर ही चल रहे थे. यानी 1572 में से 53 फीसदी संस्थान फर्जी या नॉन ऑपरेटिव निकले. इन संस्थानों में कुल 144.83 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ. इसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई है. अब बाकी के 1.8 लाख संस्थानों की भी जांच करवाई जा रही है.
आरोप है कि 2008 से ही फर्जी खातों और फर्जी नामों पर पैसे ट्रांसफर करने का यह खेल चल रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें सस्थानों के नोडल अधिकारी, बैंक अधिकारी, कर्मचारी और अन्य अधिकारी भी शामिल हैं. जानकारी के मुताबिक, इस तरह गलत आधार कार्ड, मोबाइल नंबर और फर्जी संस्थानों के नाम पर खूब पैसे निकालए गए हैं. जांच के दौरान यह भी सामने आया कि कई बच्चे एक ही मोबाइल नंबर से रजिस्टर्ड थे. इसके अलावा कई बच्चों के पिता का नाम एक ही था. उदाहरण के लिए केरल के मल्लपुरम में पिछले 4 सालों में 8 लाख बच्चों को स्कॉलरशिप दी गई.
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कैसे उड़ाए स्कॉलरशिप के पैसे?
यह भी सामने आया है कि स्कॉलरशिप आ जाने के बाद इन फर्जी स्टूडेंट्स ने आगे की पढ़ाई भी नहीं की. उदाहरण के मुताबिक, 9वीं कक्षा में स्कॉलरशिप लेने के बाद 67 पर्सेंट, 8वीं में स्कॉलरशिप लेने के बाद 67 पर्सेंट और 7वीं में स्कॉलरशिप लेने के बाद इन फर्जी स्टूडेंट्स ने पढ़ाई ही छोड़ दी. रिपोर्ट के मुताबिक, इस सबका का खुलासा सबसे पहले साल 2020 में असम के माइनॉरिटी बोर्ड ने किया था. इसके बाद जांच शुरू हुई तो बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ औऱ पंजाब जैसे राज्यों में भी इस तरह की गड़बड़ी साने आई.
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10 जुलाई को अल्पसंख्यक मंत्रालय ने सीबीआई के पास शिकायत दर्ज कराई थी. इसी मामले में सीबीआई की जांच जारी है. छत्तीसगढ़ में 62 संस्थानों की जांच हुई और सभी फर्जी पाए गए. राजस्थान के 128 में से 99 फर्जी, असम में 68 प्रतिशत फर्जी, कर्नाटक में 64 प्रतिशत फर्जी, यूपी में 44 प्रतिशत फर्जी और बंगाल में 39 प्रतिशत फर्जी पाए गए हैं.
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