दिल्ली एक बार फिर किसान आंदोलन (Farmers Protest) के मुहाने पर है. अपनी मांगों के लिए पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली आ रहे हैं. किसानों की भीड़ और हंगामे की आशंका के चलते पूरी दिल्ली में धारा 144 लागू कर दी गई है. आपने भी हर प्रदर्शन, धरना, आंदोलन और इस तरह के आयोजनों के समय इस धारा का नाम जरूर सुना होगा. इसका इस्तेमाल पुलिस और प्रशासन द्वारा किया जाता है ताकि स्थिति काबू में की जा सके और जनता को एक सामान्य चेतावनी भी दी जा सके कि अगर वह उपद्रव में शामिल होती है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.
आमतौर पर धारा 144 लागू किए जाने पर सबसे पहले भीड़ इकट्ठा करने पर रोक लगाई जाती है. जुलूसों और प्रदर्शनों के समय इसे लागू करके यह घोषित कर दिया जाता है कि भीड़ जुटाने की अनुमति नहीं है. इसी से जुड़े कई अन्य प्रतिबंध भी लागू कर दिए जाते हैं, ताकि उनका उल्लंघन होते ही प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की जा सके और कानून की नजर में भी यह वैध रहे. आइए धारा 144 को विस्तार से समझते हैं...
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क्या है धारा 144?
धारा 144 CrPC से जुड़ी है. इसका इस्तेमाल शांति कायम करने और आपात स्थिति से बचने के लिए किया जाता है. जहां धारा 144 लागू कर दी जाती है वहां तीन या उससे ज्यादा लोग एक समय पर एकसाथ इकट्ठा नहीं हो सकते हैं. जिले के उच्च अधिकारी जैसे कि जिलाधिकारी या पुलिस अधीक्षक की अनुमति के बाद किसी क्षेत्र विशेष या पूरे जिले में धारा 144 लागू की जाती है.
धारा 144 लागू करने के साथ ही इसकी वजह भी बताई जाती है कि यह धारा क्यों लगाई जा रही है. साथ ही, यह भी बताया जाता है कि कब से कब तक यह लागू रहेगी. कई बार इसमें दिन में कुछ घंटों की छूट भी दी जाती है. धारा 144 के तहत लागू प्रतिबंधों का उल्लंघन करने पर पुलिस संबंधित आरोपी को तत्काल हिरासत में ले सकती है या फिर गिरफ्तार भी कर सकती है.
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धारा 144 को 2 महीने से ज्यादा समय के लिए नहीं लगाया जा सकता है. हालांकि, विशेष परिस्थितियों में राज्य सरकार इसे अधिकतम 6 महीने के लिए बढ़ा सकती है. बता दें कि धारा 144 के तहत जितने भी तरह के प्रतिबंध लागू किए जा सकते हैं जरूरी नहीं है कि वे सभी एकसाथ लागू कर दिए जाएं. स्थानीय प्रशासन अपने हिसाब से फैसले लेता है कि किन चीजों पर रोक लगाई जानी है और किन चीजों पर नहीं.
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कौन से प्रतिबंध होते हैं लागू?
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