Kidney Transplant: लालू यादव की किडनी सिंगापुर में होगी ट्रांसप्लांट, जानिए भारत में क्या है कानून और इस पर कितना आता है खर्च?

कुलदीप सिंह | Updated:Dec 05, 2022, 11:01 AM IST

Lalu Prasad Yadav Kidney Transplant: लालू यादव की किडनी सिंगापुर में ट्रांसप्लांट की जाएगी. लालू की छोटी बेटी रोहिणी आचार्य उन्हें किडनी डोनेट करेंगी.

डीएनए हिंदीः राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) पिछले काफी कई महीनों से बीमार चल रहे हैं. उनकी सिंगापुर में इलाज हो रहा है. लालू यादव की किडनी ने काम करना बंद कर दिया है. सिंगापुर में आज उनकी किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney Transplant) की जाएगी. लालू यादव की छोटी बेटी रोहिणी आचार्य उन्हें अपनी किडनी डोनेट कर रही हैं. किडनी ट्रांसप्लांट आखिर होता क्या है और इसे लेकर भारत में क्या कानून है? अपनी इस रिपोर्ट में विस्तार से समझते हैं. 

किडनी ट्रांसप्लांट क्या होता है? 
इंसान के शरीर में दो किडनी होती हैं. अगर एक भी किडनी काम कर रही हो तो इंसान जिंदा रह सकता है. अगर इंसान की दोनों किडनियां काम करना बंद कर दें तो उसे किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है. इसमें पुरानी किडनी को निकालकर दूसरी किडनी लगा दी जाती है. इसे किडनी ट्रांसप्लांट करते हैं. 

किस इंसान की किडनी की जा सकती है ट्रांसप्लांट? 
जिंदा या ब्रेन डेड इंसान किडनी डोनेट कर सकता है. हालांकि उसी इंसान की किडनी ली जाती है तो ठीक से काम कर रही हो. इसके लिए डोनेट करने से पहले उस व्यक्ति की पूरी जांच की जाती है. यह भी देखा जाता है कि उस व्यक्ति की एक किडनी लेने के बाद वह कितना जी सकता है. किडनी हमारे शरीर में खून का साफ करने का काम करती है. यह शरीर के अपशिष्ट को यूरिन के रास्ते बाहर निकाल देती है. बता दें कि कुछ इंसानों के शरीर में जन्म से ही दो की जगह सिर्फ एक ही किडनी होती है. कानून के मुताबिक किसी मरीज को उसके खून के रिश्तेदार अंग दान कर सकते हैं, जिसमें माता-पिता, भाई-बहन, दादा-दादी और पत्नी शामिल हैं. 

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भारत में किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर क्या है कानून?
भारत में किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर एक कानून बनाया गया है. मानव अंग और प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 (HUDA) के कहत ही कोई व्यक्ति किडनी ट्रांसप्लान करा सकता है. एचयूडीए 1994 के तहत देश में अंग को खरीदा या बेचा नहीं जा सकता. इसके दायरे में देश के सभी अस्पताल आते हैं. यदि कोई व्यक्ति या अस्पताल इस एक्ट का पालन नहीं करता तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है. अगर कोई व्यक्ति ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया है तो उसके परिजनों के बाद ही उसका अंगदान किया जा सकता है. 

क्या होती है प्रक्रिया?
किसी इंसान को अगर किडनी डोनेट करनी है तो पहले उसे कानूनन प्रक्रिया पूरी करनी होती है. खून के रिश्ते को ही किडनी डोनेट की जा सकती है. किडनी डोनेट करने से पहले उसकी सभी मेडिकल जांच की जाती है. जांच रिपोर्ट आने के बाद ऑपरेशन के जरिए किडनी शरीर से निकाल की जाती है. अगर कोई व्यक्ति ब्रेन डेड है तो उसकी किडनी 24 से 48 घंटे के बीच ही ट्रांसप्लांट की जाती है.  

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कितना आता है खर्च?
किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर कितना खर्च आएगा यह कुछ तय नहीं है. सरकारी अस्पतालों में ट्रांसप्लांट मुफ्त किया जाता है. हालांकि दवाईयों पर 2-3 लाख का खर्च आ ही जाता है. वहीं निजी अस्पताल में डॉक्टर की फीस, ऑपरेशन का खर्च और दवाईयों का मिलाकर 30 लाख से अधिक का खर्च आता है. चूंकि किडनी ट्रांसप्लांट एक जटिल प्रक्रिया होती है. यह सुविधा बड़े अस्पतालों में मिलती है. ऐसे में उनका खर्च लाखों में आता है.    

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