डीएनए हिंदी: आसमान में बादलों के अलग-अलग रंग होते हैं. बादलों के रंग पर कई कविता और कहानियां लिखी गई हैं. मॉनसून सीजन में अक्सर आसमान में बादल छाए रहते हैं. लोग बादलों के रंग को देखकर अनुमान जताते हैं कि बारिश होगी या नहीं होगी. कई बार ऐसी भविष्यवाणियां सच भी साबित होती हैं.
बादलों के रंग को लेकर घाघ और भड्डरी जैसे कवियों ने कई दोहे रचे हैं.
शुक्रवार की बादरी, रही सनीचर छाय.
तो यों भाखै भड्डरी बिन बरसे ना जाय.
आइए समझते हैं अलग-अलग बादलों के रंगों की कहानी, कैसे बनते हैं बादल, कैसे होती है बारिश, और कौन से बादल कराते हैं कम या ज्यादा बारिश.
Why Earthquake Occur: आखिर क्यों आते हैं भूकंप, क्या है इसके पीछे का कारण
कैसे होती है बारिश?
बादल, पानी या बर्फ से बनते हैं. पृथ्वी की सतह से वाष्पित पानी ऊपर जाकर बादल बनते हैं. जब वाष्पीकरण की प्रक्रिया पूरी हो जाती है तब पृथ्वी पर बारिश होती है. वाष्पीकरण की प्रक्रिया ताप की वजह से शुरू होती है.
बादल पानी की छोटी बूंदें हैं जो एक ऊंचाई पर जाकर हवा में जलवाष्प के संघनन की वजह से बनते हैं. बादल का निर्माण धरती की सतह से कुछ ऊंचाई पर होता है, इसलिए ये अलग-अलग आकार के होते हैं. बादलों को उनकी आकृति के आधार पर 4 वर्गों में बांटा गया है.
आखिर कैसे बदला जाता है किसी शहर का नाम, आम लोगों पर क्या पड़ता है असर?
पक्षाभ मेघ, कपासी मेघ, स्तरी मेघ और वर्षा मेघ.
पक्षाभ बादल
ऐसे बादल करीब 8,000 से 12,000 मीटर की ऊंचाई पर बनते हैं. ये पतले और बिखरे हुए बादल होते हैं. देखने में ये पंख जैसे लगते हैं और सफेद रंग के होते हैं. ऐसे बादलों की वजह से बारिश होने की संभावना न के बराबर होती है.
कपासी बादल
कपासी बादल रुई की तरह दिखते हैं. ये अक्सर 4,000 से 7,000 मीटर की ऊंचाई पर बनते हैं. ऐसे बादल बिखरे-बिखरे होते हैं. बारिश ऐसे बादलों की वजह से नहीं होती है.
कैसे होता है राष्ट्रपति चुनाव? कौन कर सकता है नामांकन और वोटिंग में कौन-कौन होते हैं शामिल, जानें सबकुछ
स्तरी बादल
स्तरी बादल, दरअसल परतदार बादल होते हैं. आसमान के एक बड़े हिस्से ऐसे बादल छाए रहते हैं. जब ताप में गिरावट आती है तब ये बादल अलग-अलग हवाओं के मिश्रण की वजह से बनते हैं. इनका रंग भी हल्का सफेद और भूरा होता है.
वर्षा बादल
बारिश कराने वाले बादल अलग से नजर आते हैं. इनका रंग काला या गहरा स्लेटी होता है. ये मध्य स्तर पर बनते हैं जो पृथ्वी की सतह से बेहद नजदीक होते हैं. सूर्य की किरणें बनने के बाद इन्हें भेद नहीं पाती हैं, यही वजह कि ऐसे बादल सूरज को ढंक देते हैं. बारिश कराने वाले बादल की बूंदे बड़ी होती हैं, जिनके बिखराव की वजह से बारिश होती है.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.