Cloud Mystery: बादलों के होते हैं अलग-अलग रंग, कौन से बदरा कराते हैं कम या ज्यादा वर्षा?

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jun 23, 2022, 10:38 AM IST

बादल

बादल पानी की बूंदों से बनते हैं. बादल के भीतर, पानी की बूंदें एक दूसरे में संघनित होती हैं, जिससे बूंदों का आकार बढ़ता है.

डीएनए हिंदी: आसमान में बादलों के अलग-अलग रंग होते हैं. बादलों के रंग पर कई कविता और कहानियां लिखी गई हैं. मॉनसून सीजन में अक्सर आसमान में बादल छाए रहते हैं. लोग बादलों के रंग को देखकर अनुमान जताते हैं कि बारिश होगी या नहीं होगी. कई बार ऐसी भविष्यवाणियां सच भी साबित होती हैं.

बादलों के रंग को लेकर घाघ और भड्डरी जैसे कवियों ने कई दोहे रचे हैं. 

शुक्रवार की बादरी, रही सनीचर छाय.
तो यों भाखै भड्डरी बिन बरसे ना जाय.

आइए समझते हैं अलग-अलग बादलों के रंगों की कहानी, कैसे बनते हैं बादल, कैसे होती है बारिश, और कौन से बादल कराते हैं कम या ज्यादा बारिश.

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कैसे होती है बारिश?

बादल, पानी या बर्फ से बनते हैं. पृथ्वी की सतह से वाष्पित पानी ऊपर जाकर बादल बनते हैं. जब वाष्पीकरण की प्रक्रिया पूरी हो जाती है तब पृथ्वी पर बारिश होती है. वाष्पीकरण की प्रक्रिया ताप की वजह से शुरू होती है. 

बादल पानी की छोटी बूंदें हैं जो एक ऊंचाई पर जाकर हवा में जलवाष्प के संघनन की वजह से बनते हैं. बादल का निर्माण धरती की सतह से कुछ ऊंचाई पर होता है, इसलिए ये अलग-अलग आकार के होते हैं. बादलों को उनकी आकृति के आधार पर 4 वर्गों में बांटा गया है.

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पक्षाभ मेघ, कपासी मेघ, स्तरी मेघ और वर्षा मेघ. 

पक्षाभ बादल

ऐसे बादल करीब 8,000 से 12,000 मीटर की ऊंचाई पर बनते हैं. ये पतले और बिखरे हुए बादल होते हैं. देखने में ये पंख जैसे लगते हैं और सफेद रंग के होते हैं. ऐसे बादलों की वजह से बारिश होने की संभावना न के बराबर होती है.

कपासी बादल

कपासी बादल रुई की तरह दिखते हैं. ये अक्सर 4,000 से 7,000 मीटर की ऊंचाई पर बनते हैं. ऐसे बादल बिखरे-बिखरे होते हैं. बारिश ऐसे बादलों की वजह से नहीं होती है.

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स्तरी बादल

स्तरी बादल, दरअसल परतदार बादल होते हैं. आसमान के एक बड़े हिस्से ऐसे बादल छाए रहते हैं. जब ताप में गिरावट आती है तब ये बादल अलग-अलग हवाओं के मिश्रण की वजह से बनते हैं. इनका रंग भी हल्का सफेद और भूरा होता है.



वर्षा बादल

बारिश कराने वाले बादल अलग से नजर आते हैं. इनका रंग काला या गहरा स्लेटी होता है. ये मध्य स्तर पर बनते हैं जो पृथ्वी की सतह से बेहद नजदीक होते हैं. सूर्य की किरणें बनने के बाद इन्हें भेद नहीं पाती हैं, यही वजह कि ऐसे बादल सूरज को ढंक देते हैं. बारिश कराने वाले बादल की बूंदे बड़ी होती हैं, जिनके बिखराव की वजह से बारिश होती है.

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