डीएनए हिंदी: शनिवार को इंग्लैंड के लॉर्ड्स (Lords) में भारतीय महिला क्रिकेट टीम (Indian Women's Cricket Team) की ऑलराउंडर दीप्ति शर्मा (Deepti Sharma) ने जो किया वो न ही पहली बार था और न ही आखिरी बार हुआ है. भारतीय महिला टीम और इंग्लैंड के बीच खेली जा रही तीन वनडे मैचों की सीरीज का आखिरी मुकाबला लॉर्ड्स में खेला गया. इस मुकाबले में भारतीय महिलाओं ने 16 रन से जीत दर्ज कर सीरीज जीत ली और अंग्रेजों का पहली बार सफाया किया. इससे पहले दोनों वनडे जीतकर भारतीय टीम सीरीज में पहले ही अजेय बढ़त बना चुकी थी.
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इस मुकाबले में इंग्लैंड ने टॉस जीता और भारतीय महिलाओं को पहले बल्लेबाजी करने के लिए आमंत्रित किया. स्मृति मंधाना (Smriti Mandhana) के 50 और दिप्ति शर्मा के नाबाद 68 रनों की बदौलत भारत ने 169 रन बनाए. जवाब में इंग्लैंड की पूरी टीम 153 रनों पर ढेर हो गई. इंग्लैंड के 9 विकेट सिर्फ 118 रनों पर गिर गए थे. इसके बाद चार्लोट डीन और फ्रेया डेविस ने इंग्लैंड की उम्मीदों को जिंदा किया और टीम को जीत की दहलीज तक पहुंचाने में मदद की.
दीप्ति के मांकडिंग ने बदल दिया मैच का नतीजा
दोनों बल्लेबाज इतनी आसानी ने भारतीय गेंदबाजों को खेल रही थीं कि एक समय लगने लगा कि इंग्लैंड मैच जीत जाएगी. लेकिन फिर पारी के 44वें ओवर में कुछ ऐसा हुआ जिसने क्रिकेट की दुनिया में सनसनी मचा दी. दीप्ति शर्मा पारी का 44वां ओवर डालने आईं. स्ट्राइक पर फ्रेया थीं और नॉन स्ट्राइक पर चार्लोट. दीप्ति जब गेंदबाजी के लिए स्टंप के पास आईं तो उन्होंने देखा कि चार्लोट नॉन स्ट्राइक क्रीज से बाहर निकल चुकी हैं. दीप्ति ने मांकडिंग कर चार्लोट को पवेलियन की राह दिखा दी और जीत भारत के नाम कर दिया.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
जिसके बाद क्रिकेट के एक्सपर्ट्स के साथ-साथ पूर्व क्रिकेटर इस मामले पर अलग-अलग तरह से अपनी राय दे रहे हैं. किसी का कहना है कि ये खेल भावना के खिलाफ है तो कोई कह रहा है कि ये नियम में है तो खेल भावना के खिलाफ कैसे हो सकता है. दीप्ति ने जो किया वो पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले रवि चंद्रन अश्विन, इंग्लैंड के पूर्व कप्तान पॉल कॉलिंगवुड और वीनू मांकडिंग के मामले ज्यादा चर्चित रहे हैं.
क्या होता है मांकडिंग?
मैच के दौरान जब गेंदबाज अपनी गेंदबाजी के दौरान नॉन स्ट्राइक पर खड़े बल्लेबाज को आउट करता है, उसे मांकडिंग कहा जाता है. गेंदबाज को जब लगता है कि नॉन स्ट्राइकर गेंद फेंकने से पहले ही क्रीज से बाहर निकल गया है, तो वह नॉन-स्ट्राइकर छोर की स्टंप बिखेर कर बल्लेबाज को आउट कर सकता है. इस दौरान गेंदबाज ने गेंद फेंकी नहीं होती इसलिए वह गेंद रिकॉर्ड में नहीं होती लेकिन बल्लेबाज को पवेलियन लौटना पड़ता है.
मांकडिंग का इतिहास
क्रिकेट के इतिहास में पहली बार मांकडिंग की घटना 13 दिसंबर को साल 1947 में हुई थी, जब भारतीय खिलाड़ी वीनू मांकड ने ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज बिल ब्राउन को इसी तरीके से रनआउट किया था. इस घटना के बाद बल्लेबाज को आउट दिया गया और क्रिकेट जगत में वीनू मांकड की खूब आलोचना हुई. हालांकि तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई कप्तान डॉन ब्रैडमैन (Don Bradman) ने माकंड के रनआउट का समर्थन किया. इस घटना के बाद से ही बल्लेबाजों को इस तरह आउट करने की घटना को माकंडिंग कहा जाने लगा.
मांकडिंग पर क्या है ICC का नियम?
साल 2017 में मांकडिंग से जुड़ा हुआ में एक नियम आया था, जिसमें गेंदबाज को नॉन स्ट्राइकर पर खड़े बल्लेबाज को रन आउट करने की अनुमति दी गई, लेकिन उस समय गेंदबाज का इरादा गेंद फेंकने का होना चाहिए न कि स्ट्राइकर को मांकडिंग करने का. अगर गेंदबाज उस समय रन आउट नहीं कर पाता है तो अंपायर उस गेंद को डेड बॉल घोषित कर सकता है. हालांकि अब MCC ने नए नियम के तहत मांकडिंग को फेयर प्ले में रनआउट माना है, जो अक्टूबर से लागू हो जाएगा.
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