National Green Hydrogen Mission: क्या है नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन? 20 हजार करोड़ के इस प्लान से कैसे होगा फायदा

कुलदीप सिंह | Updated:Jan 05, 2023, 12:16 PM IST

National Green Hydrogen Plan: नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन से सरकार ने 2030 तक 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन बनाने का लक्ष्य रखा है.

डीएनए हिंदीः मोदी कैबिनेट के करीब 20 हजार करोड़ रुपये के नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen Mission) को मंजूरी दे दी है. सरकार ने 2030 तक 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन बनाने का लक्ष्य रखा है. प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त 2021 को स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण के दौरान नेशनल हाइड्रोजन मिशन का ऐलान किया था. आखिर यह प्लान क्या है और इससे क्या फायदा होगा.  

ग्रीन हाइड्रोजन क्या है?
ग्रीन हाइड्रोज स्वच्छ ऊर्जा का सबसे अच्छा स्त्रोत माना जाता है. यह रीन्युबल एनर्जी जैसी सोलर पावर का इस्तेमाल कर पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में बांटने से पैदा होती है. बिजली जब पानी से होकर गुजारी जाती है तो हाइड्रोजन पैदा होती है.ये हाइड्रोजन कई चीजों के लिए ऊर्जा का काम कर सकती है. ग्रीन हाइड्रोजन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे बनाने में कार्बनडाई ऑक्साइड गैस का उत्सर्जन नहीं होता. पर्यावरणवादियों का दावा है कि यह ऑयल रिफाइनिंग, फर्टिलाइजर, स्टील और सीमेंट जैसे भारी उद्योगों को कार्बन मुक्त करने में मदद कर सकती है. लिहाजा ग्लोबल कार्बन उत्सर्जन में कटौती में भी ये मददगार साबित होगी.

क्या है नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन?
केंद्र सरकार ने नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के लिए 19,744 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई है. इसके तहत सरकार का लक्ष्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन, उपयोग और निर्यात में ग्लोबल हब बनाना है. इस मिशन के तहत 2030 तक हर साल 5 मिलियन मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोन का उत्पादन किया जाएगा. इसके साथ ही इस क्षेत्र में कुल आठ लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा. मिशन के तहत 60-100 गीगावाट की इलेक्ट्रोलाइजर क्षमता को तैयार किया जाएगा. इलेक्ट्रोलाइजर की मैन्युफैक्चरिंग और ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन पर 17,490 करोड़ प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. ग्रीन हाइड्रोजन के हब को विकसित करने के लिए 400 करोड़ का प्रावधान किया है. 
 
क्या होगा फायदा 
- 6 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा.
- ऑयल इंपोर्ट में होने वाले 1 लाख करोड़ का खर्च घटेगा.
- ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में सालाना 50 मिलियन मीट्रिक टन की कमी आएगी.
- उर्वरक और केमिकल बनाने के खर्च में आएगी कमी.
- ग्रीन ऊर्जा सोर्स से हाइड्रोजन उत्पन्न करने के लिए कंपनियों को मिलेगा फायदा.
- ऊर्जा के रूप में कई सेक्टर में इस्तेमाल की जा सकेगी ग्रीन हाइड्रोजन.  

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