डीएनए हिंदीः गुजरात में 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों (Gujarat Riots) की पीड़िता बिलकिस बानो (Bilkis Bano) ने 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. बिलकिस बानो की ओर से दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका (Review Petition) दाखिल की गई है. याचिका में सभी दोषियों को फिर से जेल भेजने की मांग की गई है. इस मामले में सुनवाई कब होगी इसकी तारीख अभी सामने नहीं आई है. आखिर पुनर्विचार याचिका क्या होती है और उससे बिलकिस बानो को क्यों जगी है इंसाफ की आस, विस्तार से समझते हैं.
क्या होती है पुनर्विचार याचिका (Review Petition)
सुप्रीम कोर्ट के किसी भी फैसले को लेकर पुनर्विचार याचिका दाखिल की जा सकती है. संविधान के अनुच्छेद 137 के अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अधिकार दिया गया है. इस याचिका में पक्षकार कोर्ट से आग्रह सकता है कि वह अपने फैसले पर फिर विचार करे. इसके लिए नियम भी निर्धारित किया गया है. एक निश्चित समय के भीतर ही पुनर्विचार याचिका दाखिल की जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए किसी भी फैसले के 30 दिन के अंदर ही इसे दाखिल किया जा सकता है.
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कौन है बिलिकल बानो
गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो का नाम काफी सुर्खियों में रहा था. बिलकिस बानो गुजरात में रहने वाले उन तमाम मुस्लिमों में से एक थी जो सन् 2002 के गुजरात दंगों के बाद प्रदेश छोड़कर जाना चाहते थे. बिलकिस अपने परिवार के साथ गुजरात से किसी दूसरी जगह जाने की कोशिश कर रही थीं. उनके साथ उनकी छोटी बच्ची और परिवार के 15 अन्य सदस्य भी थे. उस वक्त गुजरात में हिंसा भड़की हुई थी. 3 मार्च को 5 महीने की गर्भवती बिलकिस बानो अपने परिवार और अन्य कई परिवारों के साथ एक सुरक्षित जगह के आसरे की तलाश में छिपी थीं, जहां 20-30 आदमियों ने हथियारों के साथ हमला कर दिया. इस दंगे में बिलकिस बानों के परिवार के 7 लोग मारे गए जबकि बिलकिस का गैंगरेप किया गया. उनकी 3 साल की बेटी को भी मार दिया गया. इस जघन्य अपराध के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. इस मामले में 11 लोगों को सजा सुनाई गई. पिछले दिनों गुजरात सरकार ने सभी दोषियों को रिहा कर दिया है.
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